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टीकमगढ़

मऊरानीपुर से सिमर्रा खुर्द तक जा रहे पैदल

ग्राम पंचायत के साथ ब्लॉक स्तर पर परिवार का भरण पोषण के करने के मजदूरी नहीं मिल रही थी। जहां मजदूरी के लिए परिवार को लेकर परदेश चले गए थे।

टीकमगढ़May 05, 2021 / 08:52 pm

akhilesh lodhi

No means found, houses will be safe

No means found, houses will be safe


टीकमगढ़/ जतारा.ग्राम पंचायत के साथ ब्लॉक स्तर पर परिवार का भरण पोषण के करने के मजदूरी नहीं मिल रही थी। जहां मजदूरी के लिए परिवार को लेकर परदेश चले गए थे। लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण काम पर बुरा असर पड़ा है। जिसके कारण परिवार को वापस हो रहे है। रोड बेज बस से मऊरानीपुर आ गए। लेकिन साधन नहीं मिलने के काण मऊरानीपुर से सिमर्रा खुर्द के लिए पैदल घर जा रहे है।
ग्राम सिमरा खुर्द के चतुर्भुज लोधी और घनश्याम दास आदिवासी ने बताया कि वह अपने बच्चों के साथ पलायन कर गए थे। लेकिन कोरोना वायरस की दूसरी लहर आने के बाद यात्री वाहन बंद हो गए। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के चित्रकूट से मऊरानीपुर तक तो यूपी रोडवेज की बस से आ गए। लेकिन वहां से ग्राम सिमरा खुर्द मध्य प्रदेश आने के लिए जब कोई साधन नहीं मिला तो अपने बच्चों के साथ पैदल ही अपने घर की ओर चल पड़े। इसी प्रकार क्षेत्र के अन्य लोग भी वापस आए और इस संबंध में लोगों से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि अब कोरोना वायरस की दूसरी लहर चल रही है। जिससे संक्रमण बढ़ रहा है ।जान को खतरा है अब हम घर पर ही रहेंगे और गांव में ही मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करेंगे। कभी परदेश नहीं जाएंगे।
बीमारी के प्रकोप बचने वापस लौटे घर
मजदूर घनश्याम दास, रामलाल, भगवानदास आदिवासी ने बताया कि अब वह कभी पलायन नहीं करेंगे और घर पर ही रहेंगे। ऐसी स्थिति में शासन प्रशासन द्वारा संक्रमण रोकने और लोगों की भीड़ भाड़ को नियंत्रण करने के लिए कोरोना कफ्र्यू लागू है। इसके साथ ही सरकार द्वारा यात्री बसों का परिवहन भी आगामी आदेश तक के लिए बंद कर दिए है। जिसके कारण लोगों को पैदल चलकर घर जाना पड़ रहा है।


रोजी रोटी पर छाने लगा संकट
महानगरों में मजदूरों के काम धंधा भी बंद हो गया है। रोजी रोटी का फि र संकट छाने लगा। जिसके बाद मजदूरों ऐसी स्थिति में अपने घर की ओर लौट रहे हैं। मजदूरों ने बताया कि पर रोजी-रोटी के अभाव में अपने छोटे-छोटे मासूम बच्चों और परिवार के साथ महानगरों में मजदूरी कर रहे थे।लेकिन कोरोना के चलते अब वह अपने घरों की ओर प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में लोग घर लौट रहे हैं। ऐसी स्थिति में जिन व्यक्तियों को सड़क पर को यात्री वाहन नहीं मिल रहा तो पैदल ही अपने घर की ओर चल रहे हैं ।

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