read more: छह अंगुली हैं इसलिए सरकार नहीं दे रही नौकरी, अब गृह सचिव व CRPF DIG से कोर्ट ने मांगा जवाब न्यायाधीश आलोक शर्मा की अदालत ने यह अंतरिम आदेश पटवारी से गिरदावर के पद पर डीपीसी dpc के जरिए पदोन्नत हुए मालपुरा निवासी रामदास माली की ओर से एडवोकेट लक्ष्मीकांत शर्मा के जरिए दायर की गई याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए हैं।
याचिका में बताया कि राजस्व मंडल अजमेर ने गत एक जून को गिरदावर के पद पर पदोन्नति दे दी, लेकिन गत 3 जून को राजस्व मंडल के सचिव ने आदेश जारी कर कहा कि याचिकाकर्ता का पदस्थापन आपराधिक प्रकरण लंबित होने के कारण नहीं किया जाए।
read more:जयपुर में डांसर सपना चौधरी के कार्यक्रम को लेकर आई बड़ी खबर इस आदेश को यह कहते हुए चुनौती दी गई कि याचिकाकर्ता के विरुद्ध विभागीय या एसीबी का कोई प्रकरण लम्बित नहीं है। पारिवारिक प्रकरण लम्बित है। आपराधिक प्रकरण के लम्बित होने के आधार पर याचिकाकर्ता को पदोन्नत पद पर पदस्थापन से मना नहीं किया जा सकता है। अदालत ने प्रार्थीपक्ष के एडवोकेट के तर्कों को सुनने के बाद राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता आरपी सिंह को याचिका की प्रति सौंपने के आदेश देते हुए जवाब मांगा है।
शिक्षिका को पूर्व सेवा का परिलाभ नहीं देने पर नोटिस जारी मालपुरा. एक तृतीय श्रेणी शिक्षिका को उसकी पूर्व सेवा का परिलाभ नहीं देने के मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर पीठ ने राज्य के प्रमुख शिक्षा सचिव प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक, जिला शिक्षा अधिकारी टोंक, मुख्य ब्लॉक प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी मालपुरा को कारण बताओ नोटिस जारी कर 17 जुलाई तक जवाब मांगा है।
न्यायाधीश आलोक शर्मा की एकलपीठ ने यह अंतरिम आदेश सोड़ा निवासी तथा वर्तमान में राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय जयसिंहपुरा में कार्यरत्त शिक्षिका कुसुम कुमारी पारीक द्वारा एडवोकेट लक्ष्मीकान्त शर्मा के जरिए दायर की गई याचिका पर प्रारम्भिक सुनवाई करते हुए दिए है।
याचिका में बताया कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति सीधी भर्ती परीक्षा 2012 के तहत उदयपुर में हुई थी तथा 28 मार्च 2018 को उसकी सेवाओं को नियमित कर दिया गया, लेकिन वर्ष 2013 की सीधी भर्ती परीक्षा में उसका चयन टोंक जिले में हो गया तथा उदयपुर से उसे 16 अक्टूबर 2017 को टोंक जिले के लिए कार्यमुक्त कर दिया गया
लेकिन टोंक के शिक्षा अधिकारियों द्वारा उसे वेतनमान के रूप में परिविक्षा प्रशिक्षणार्थी के अनुरूप ही दिया जा रहा है। याचिका इसे चुनौती दी गई। अदालत ने मामले की सुनवाई के बाद याचिका की प्रति राजकीय अधिवक्ता प्रदीप कलवानिया को सौंपने के आदेश देते हुए अधिकारियों से 17 जुलाई तक जवाब मांगा है।