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टोंक

छह माह से पगार नहीं, फिर भी 14 घंटे कर रहे काम, ताकि आप सलामत रहें

सरकार द्वारा कोरोना संक्रमण पर काबू पाने क लिए भले ही हजारों करोड़ों रूपए विभिन्न मदों में खर्च किए जा रहे हो लेकिन इस टोंक सआदत अस्पताल में स्थित कोविड-19 लैब में काम कर रहे रिचर्स असिस्टेंट, लैब टेक्निीशियन व कम्फ्यूटर ऑपरेटर कोरोना जैसी जानलेवा महामारी में अपने व परिवार के जीवन को संकट में डालकर अपनी डयूटी कर रहे है। लकिन पिछले छ माह से अपना वेतन पाने के लिए तरस रहे है।

टोंकApr 24, 2021 / 06:41 am

pawan sharma

छह माह से पगार नहीं, फिर भी 14 घंटे कर रहे काम, ताकि आप सलामत रहें

छह माह से पगार नहीं, फिर भी 14 घंटे कर रहे काम, ताकि आप सलामत रहें

टोंक. प्रदेश में भी कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर तेजी से फैलने के कारण हजारों लोग रोजना कोरोना संक्रमित हो रहे है। इस महामारी के फैलने व लोगों को इससे संक्रमित होने से बचाने के लिए सरकार की ओर वीकेंड लॉकडान, कफ्र्यू सहित जनअनुशासन पखवाडा़ आदि तक लगाए गए है। हर कोई इस महामारी से बचने के लिए संक्रमित से बात करना तो दूर पास जाने तक से डर रहा है।
वही दूसरी ओर इस जानलेवा बीमारी कोरोना संक्रमण से जान हथेली पर रखकर टोंक सआदत अस्पताल में स्थापित कोविड-19 लैब में मौत से साक्षत दो-दो हाथ करने वाले दिन रात कर्मवीर बन अपने कत्र्तवय का पालन कर लोगों को समय पर कोरोना जांच रिपोर्ट देने में लगे हुए है। यहां तक की इन दिनों में तों इनकों लैब में 10 से 12 घंटे तक प्रतिदिन काम करना पड़ रहा है।जिसका ही नतीजा है कि लोगों को बिना टेक्निीकल व्यवधान के समय पर जांच रिपोर्ट मिल रही है। फिर भी 13 में से संविदा पर कार्यरत12 लैब कर्मचारियों को पिछले छह माह से पगार तक नहीं मिली है।

साप्ताहिक अवकाश भी निरस्त
सआदत अस्पताल में कोविड-19 लैब मेंं एक ही माइक्रोबायोलॉजिस्ट व स्टॉफ की कमी होने के लैब कर्मियों को अतिरिक्त समय तक काम करना पड़ रहा है। यहां तक कि लैब कर्मियों का साप्ताहिक अवकाश भी निरस्त कर दिया गया है।

पहले 48 अब 24 घंटें में
टोंक में पहले लैब नही होने के कारण जिलें के सभी कोरोना सेम्पलों की जांच जयपुर में हो रही थी, जहां पर प्रदेश भर का भार होने के कारण 48 घंटे में जांच रिपोर्ट मिल रही थी। इस कारण संक्रमित रोगी का समय पर उपचार नही हो पा रहा था। लेकिन अब कोरोना की जांच टोंक में ही होने से रिपोर्ट भी 24 में मिल रही है।

कमी है स्टॉफ की
लैब की नोडल अधिकारी डॉ बैनर्जी ने बताया कि लैब के शुरू होने पर उनके सहित तीन माइक्रोबायोलॉजिस्ट कार्यरत थे। लेकिन बीच में कोरोना संक्रमण का प्रकोप कम होने पर लैब से विशेषज्ञों सहित स्टॉफ को भी कम कर दिया गया। डॉ बैनर्जी ने बताया कि लैब में अभी भी दो चिकित्साधिकारी की आवश्यकता है।
साथ ही पूर्व में 18 एलटी की जगह अब 12 एलटी ही काम कर रहे है। डॉ बैनर्जी ने बताया कि जिले में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण के कारण इन दिनों जांच के लिए ज्यादा सेम्पल आ रहे है। लैब में एक ही माइक्रोबायोलॉजिस्ट व स्टॉफ की कमी होने के बावजूद भी सभी स्टॉफ दिनरात काम रहे है। जिसका ही नतीजा है कि लोगों को जांच रिपोर्ट समय पर मिल पा रही है।
शाम को लिते है सेम्पल
डॉ बैनर्जी ने बताया कि सआदत अस्पताल सहित जिले भर से आने वाले प्रतिदिन के सेम्पल जांच क लिए लैब में शाम तक आ पाते है। इसके बाद सभी सेम्पलों को जमाना, नम्बरिग करना, आरटीपीसीआर नम्बर से मिलान करना सहित कम्फ्यूटर में डाटा फीड करने में लगभग दो से ढ़ाई घंटे का समय लगता है।
उसके बाद सेम्पलों के जांच की आगे की कार्रवाई की जाती है। जो रात को लगभग पांच से छ चरणों में पूरी होती है। एक बार प्रकिया शुरु होने पर करीब 8 से 10 घंटे का समय लगता है। इसके बाद माइक्रोबायोलॉजिस्ट इसका अध्ययन कर जांच रिपोर्ट जारी करते है। जिसकों फिर कम्फ्यूटर ऑपरेटर आरटीपीसीआर नम्बर से मिलान कर पोर्टल पर अपलोड करते है।
अभी तक नही मिला वेतन

सरकार द्वारा कोरोना संक्रमण पर काबू पाने क लिए भले ही हजारों करोड़ों रूपए विभिन्न मदों में खर्च किए जा रहे हो लेकिन इस टोंक सआदत अस्पताल में स्थित कोविड-19 लैब में काम कर रहे रिचर्स असिस्टेंट, लैब टेक्निीशियन व कम्फ्यूटर ऑपरेटर कोरोना जैसी जानलेवा महामारी में अपने व परिवार के जीवन को संकट में डालकर अपनी डयूटी कर रहे है। लकिन पिछले छ माह से अपना वेतन पाने के लिए तरस रहे है। हालात ये है कि आर्थिक तंगी के कारण परिवार ओर घर खर्च चलाने के लिए लोगों से रूपए उधार लेकर काम चलाना पड़ रहा है। बकाया वेतन दिलवाएं जाने के लिए कर्मचारियों ने विभागीय अधिकारियों सहित जिला कलक्टर को भी पत्र सौंपा है।

सीएम ने किया था वर्चुअल लोकार्पण
टोंक सआदत अस्पताल में गत वर्ष एनएचएम की ओर से स्थापित की गई एक करोड़ रूपए की लागत से कोविड-19 लैब का 12 से 24 घंटे में कोरोना जांच रिपोर्ट उपल्ब्ध करवाने के उद्देश्य से नवम्बर 2020 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने टोंक सहित प्रदेश के 6 जिलों में कोविड-19 लैब का वर्चुअल लोकार्पण किया था। टोंक में लैब के शुरू होने से 24 घंटे के अंदर जांच मिलने लगी थी। इस कारण संक्रमित को रिपोर्ट के आधार पर समय पर उपचार भी मिलने लगा।

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