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रेलवे की करोड़ों की संपत्ति पर कब्जा, कई जगह लगे सरकारी बोर्ड तो कहीं होने लगी खेती

देश की आजादी के कुछ सालों बाद यातायात का मुख्य साधन रही जयपुर से टोडारायसिंह रेल लाइन बंद कर दी गई। लेकिन उसके स्टेशन और अन्य भवनों पर लोगों ने कब्जा कर लिया है। इनकी देखरेख भी नहीं की जा रही है।

टोंकMay 02, 2024 / 07:37 pm

pawan sharma

Railway Line

रेलवे का मुख्य कार्यालय भवन, बीसलपुर परियोजना का लगा बोर्ड, टिकट खिडक़ी ओर वेस्टर्न रेल के लगे अवशेष।

देश की आजादी के कुछ सालों बाद यातायात का मुख्य साधन रही जयपुर से टोडारायसिंह रेल लाइन बंद कर दी गई। लेकिन उसके स्टेशन और अन्य भवनों पर लोगों ने कब्जा कर लिया है। इनकी देखरेख भी नहीं की जा रही है।
जयपुर से टोडारायसिंह की रेल लाइन को बंद करने के बाद प्रशासन ने इसकी सम्पति पर अनदेखी बरती। आलम यह हो गया कि रेलवे स्टेशन तथा क्वार्टर पर लोगों ने आवास बना लिए हैं। फागी और रेनवाल मांजी में तो रेलवे स्टेशन भवन में जल जीवन मिशन ने अपने कार्यालय खोल लिए हैं। इस टे्रन का स्टेशन जयपुर के बाद सांगानेर, रेनवाल मांजी, भोजपुरा, फागी, निमेडा, मालपुरा, टोरडीसागर, टोडारायसिंह था।
जयपुर से टोडारायङ्क्षसह तक चलने वाली रेल को बंद करने के बाद रेलवे की करोड़ों रुपए की भूमि पर अतिक्रमण हो गया है और अफसर बेपरवाह है। इस भूमि को बीसलपुर जयपुर पेयजल प्रोजेक्ट खंड जयपुर को स्थानांतरित कर दिए जाने के बाद विभागीय अधिकारियों की अनदेखी के चलते ये रूक नहीं पा रहे है । वहीं भूमि के स्थानांतरण होने से शहर वासियों के रेल को पुन: शुरू करने का सपना भी अधूरा ही रहने की संभावना बनी हुई है।
कई जगह सडक़ निर्माण हुआ तो कहीं खेती:

जयपुर से टोडारायङ्क्षसह के लिए 1954 में स्थापित की गई रेल लाइन को बंद करनें के बाद भूमि को रेलवे ने जयपुर बीसलपुर परियोजना अधिशासी अभियंता प्रोजेक्ट खंड जयपुर के नाम स्थानांतरित कर दी । इस पर विभाग ने भूमि के कुछ स्थानों पर अपने बोर्ड लगाकर भूमि को लावारिस छोड़ दिया, जिसके चलते भूमि पर आए दिन अतिक्रमण हो रहे हैं।
खाली पड़े भवनों में भी अतिक्रमण

यहां तक कि रेलवे की लाइन पर से सार्वजनिक निर्माण विभाग ने सडक़ों का निर्माण कर दिया और नगर पालिका ने पट्टे जारी कर दिए गए। लोगों ने सैकड़ों बीघा भूमि पर अतिक्रमण कर खेती करना शुरू कर दिया और रेलवे के खाली पड़े भवनों में भी अतिक्रमण हो रहे हैं । लोग इनको क्षतिग्रस्त कर खिड़$की दरवाजे और लोहे का सामान इत्यादि ले भी गए। रेल की पटरियां उखाडऩे के साथ ही क्षेत्र का विकास भी थम सा गया। कोई भी बड़ी औद्योगिक इकाई नहीं होने से युवाओं को रोजगार के लिए बाहर जाना पड़ रहा है।
जनप्रतिनिधियों की अनदेखी, थम गया विकास

तत्कालीन जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के चलते वर्ष 1992 में जयपुर से टोडारायङ्क्षसह रेल बंद कर दी गई थी हालांकि क्षेत्र के लोगों ने उस समय आंदोलन भी किया लेकिन उन्हें अनदेखा कर दिया गया। वर्ष 1954 में जयपुर से टोडारायङ्क्षसह वाया सांगानेर- फागी रेनवाल- डिग्गी मालपुरा पर टोरडी होते हुए टोडारायङ्क्षसह तक रेल लाइन बिछाई गई थी। इस पर शटल सेवा शुरू की गई थी। बाद में रेलवे ने घाटे का सौदा बता कर 1992 में इस शटल सेवा को बंद कर दिया गया तथा 1993 में रेल पटरियों को हटा दिया गया।
रेल को पुन: शुरू कराने का कर रहे प्रयास

रेल को पुन चालू कराने को लेकर मालपुरा विकास मंच, सांगानेर संघर्ष समिति, पंच तीर्थ रेल दर्शन समिति, श्वेतांबर जैन समाज इंदौर, नाथद्वारा रेल संघर्ष समिति की ओर से गत दिनों केंद्रीय रेल मंत्री को ज्ञापन सौंप कर सांगानेर से नाथद्वारा वाया मालपुरा टोडारायङ्क्षसह होते हुए पुन: शुरू करने की मांग की थी। इससे डिग्गी कल्याण जी महाराज, विश्व प्रसिद्ध जैन दादाबाड़ी, भीलवाड़ा, चित्तौडगढ़़ एवं नाथद्वारा क्षेत्र के लोगों को सुविधा मिलेगी।

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