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टोंक रेल का मुद्दा फिर सुर्खियों में

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से की मांगसालों से अटकी है टोंक की रेलटोंक. सालों से अटकी टोंक की रेल का मुद्दा फिर से सुर्खियों में आया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कोरिडोर खण्ड के लोकार्पण समारोह में सम्बोधन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से टोंक की रेल समेत अन्य की मांग की है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री से भि

टोंकJan 08, 2021 / 08:22 pm

jalaluddin khan

टोंक रेल का मुद्दा फिर सुर्खियों में

टोंक रेल का मुद्दा फिर सुर्खियों में

टोंक रेल का मुद्दा फिर सुर्खियों में
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से की मांग
सालों से अटकी है टोंक की रेल
टोंक. सालों से अटकी टोंक की रेल का मुद्दा फिर से सुर्खियों में आया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कोरिडोर खण्ड के लोकार्पण समारोह में सम्बोधन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से टोंक की रेल समेत अन्य की मांग की है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री से भिवाड़ी से सलारपुर औद्योगिक क्षेत्र के पास डीएफएसी स्टेशन को लेकर मांग की है। जैसलमेर-बाड़मेर को मुंद्रा-कांडला बंदरगाह से जोडऩे के लिए नई रेल लाइन को लेकर भी आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने सरमथुरा-गंगापुर वाया करौली रेलवे लाइन, चौथ का बरवाड़ा से अजमेर वाया टोंक रेलवे लाइन, पुष्कर-मेड़ता रोड रेलवे लाइन, आदिवासी क्षेत्र की महत्वकांक्षी बांसवाड़ा-डूंगरपुर-रतलाम रेल परियोजना, भीलवाड़ा के रूपाहेली में मेमूकोच फैक्ट्री को प्रायोरिटी पर शुरू कराए जाने की मांग की है।

2012 में स्वीकृत हुई थी टोंक की रेल
गौरतलब है कि वर्ष 2012 के केन्द्रीय रेल के पूरक बजट में टोंक के लिए रेल लाइन स्वीकृत होने के बाद रेल विभाग ने स्टेशन, फ्लाइओवर तथा रेल लाइन बिछाने के लिए सर्वे समेत अन्य सभी कार्य पूरे कर लिए। इसके बाद रेल का मुद्दा राज्य व केन्द्र सरकार के बीच फंस गया।
इसका खामियाजा टोंक के लोगों को विकास नहीं होने को लेकर भुगतना पड़ रहा है। टोंक में रेल नहीं होने का सबसे बड़ा नुकसान रोजगार का हो रहा है। इसके साथ ही टोंक जिले में पयर्टन की असीम सम्भावनाएं होने के बावजूद देश-विदेश के पर्यटक टोंक तक को नहीं जान पा रहे हैं।

165 किलोमीटर है लम्बाई
अजमेर-टोंक-सवाईमाधोपुर रेल परियोजना की कुल लम्बाई 165 किलोमीटर है। इसके लिए अनुमानित 873.71 करोड़ रुपए खर्च होगा। इसकी स्वीकृति बजट में जारी की जा चुकी है। रेल का कार्य सवाईमाधोपुर के चौथ का बरवाड़ा से शुरू होकर टोंक व अजमेर जिले के कई गांवों को जोड़ेगा।

23 बनेंगे स्टेशन
अजमेर के नसीराबाद से सवाईमाधोपुर के चौथ का बरवाड़ा तक 23 स्टेशन बनाए जाएंगे। इसमें चौथ का बरवाड़ा, टोंक के टोडारायसिंह का दाबडदूम्बा, बनसेरा, बरवास, टोंक का डारदाहिंद, बमोर, खेड़ा, बनेठा, सेदरी, अजमेर के नसीराबाद, लिहारवाड़ा, जयवंतपुरा, सराना, गोयला, सरवाड़, सूरजपुरा, केकड़ी, मेवड़ा, कालन, नया गांव व बघेरा शामिल हैं।

जब कर लिया तय
रेल विभाग ने सर्वे की निविदा 4 फरवरी 2016 को जारी की थी। इसके बाद से अब तक सर्वे टीम ने रेल लाइन बिछाने के लिए जमीन, रेलवे स्टेशन, ब्रिज समेत अन्य की सर्वे रिपोर्ट तैयार कर ली है।
अब महज शिलान्यास बाकी है। ये शिलान्यास जमीन अतिग्रहण होने के बाद होगा। सर्वे टीम के मुताबिक टोंक में सवाईधोपुर चौराहे के समीप स्टेशन बनाया जाएगा।


विकास के पथ पर होगा जिला
रेल नहीं होने से टोंक जिला आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ है। रेल होने पर जिला विकास के पथ पर तेजी से बढ़ेगा। सबसे अधिक औद्योगिक क्षेत्र को फायदा होगा, लेकिन रेल की कमी के चलते ऐसा नहीं हो रहा है।

सालों से है इंतजार
टोंक के लोग रेल का इंतजार सालों से कर रहे हैं। करीब 7 दशक पहले पूर्व सांसद कवि केसरलाल ने रेल की मांग उठाई थी। इसके बाद कई सांसदों ने भी इसके बारे में सोचा, लेकिन इसे बुनियाद तक भी नहीं ले पाए।
पूर्व केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री नमोनारायण मीणा ने जनता की आवाज सुनी और वर्ष 2012 के पूरक बजट में टोंक के लिए रेल स्वीकृत कराई। इसके बाद सांसद सुखबीरसिंह जौनापुरिया ने भी इसके लिए संसद में आवाज उठाई, लेकिन ये आवाज सरकार की कानूं तक नहीं पहुंची। इसके चलते रेल के आगे की कार्यवाही नहीं हो सकी और सर्वे के आगे रेल का कार्य आगे नहीं बढ़ पाया।
सरकार दूर करनी होगी अड़चन
केन्द्र व राज्य सरकार चौथ का बरवाड़ा-अजमेर रेल लाइन वाया टोंक के कार्य शुरू होने में आ रही अड़चनों को दूर करे और जल्द कार्य का शिलान्यास करावाए।
अकबर खान, अध्यक्ष रेल लाओ संघर्ष समिति टोंक

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