वर्तमान में इन पेड़ों के संरक्षण को लेकर गांव वालों की एक समिति भी गठित हैं। गांव के बद्रीलाल जाट, चतुर्भुज जाट ने बताया कि यहां वर्षों पहले परंपरागत जल स्रोत नाड़ी पेटा स्थित धार्मिक स्थल पर बुजुर्गो ने सुख शांति समृद्धि की कामना को लेकर भगवान कृष्ण के अत्यन्त प्रिय वृक्ष कदम्ब के जोड़े को ब्रज क्षेत्र वृन्दावन से लाकर लगाया था।
जिनके बीजों से इस स्थान के चारों ओर कदम्ब ही कदम्ब समेत पीपल, नीम, देशी बबूल के सैंकड़ों वृक्ष लग गए, जिनमें सबसे ज्यादा पेड़ कदम्ब के लगे हैं। इसकी वजह से गांव के लोग इस वन क्षेत्र को कदम बनी तथा नाड़ी को कदम्ब तालाब कहकर पुकारते हैं। इस सघन वन में कदम्ब बाबा का चबूतरे पर वर्षो से अखंड ज्योत चल रहीं है, वहीं जींव जन्तुओं के लिए चुग्गे पानी की व्यवस्था चुग्गा चबूतरा पर संचालित है।
यह व्यवस्था कदम्ब बनी विकास समिति की देखरेख में संपादित हो रहीं हैं। जहां नवरात्र में रामचरित मानस, अखंड हरि कीर्तन के आयोजन जनकल्याण की कामना को लेकर किए जाते हैं। यह क्षेत्र 15 बीघा क्षेत्र में विस्तारित है। वहीं सुन्दीफल में करीब 147 परिवारों के 800 से अधिक लोग निवास करते हैं।
यहां नौनिहालों के विकास पोषण के लिए आंगनबाड़ी केंद्र, शिक्षा के लिए उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। गांव सुन्दीफल से पंचायत मुख्यालय चौगाई तक आ जाने का रास्ता कच्चा उबड़ खाबड़ मार्ग है। गांव में विजयवर्गीय, जाट बैरवा समाज के लोग रहते हैं। यहां के ग्रामीणों का मुख्य व्यवसाय खेती है तथा कई लोग जीविका उपार्जन को लेकर पीपलू, लावा, जयपुर में रहते हैं। मुख्य व्यवसाय कृषि एवं पशुपालन है। मुख्य फसल गेहूं बाजरा एवं दुग्ध उत्पादन होता है। गांव में ठाकुर जी का मंदिर है। मुख्य आस्था का स्थल कदम बाबा का स्थान है।