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देसी-विदेशी पक्षी देखने लिए करें केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की सैर

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान या केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान भारत के राजस्थान में स्थित एक विख्यात पक्षी अभयारण्य है

Dec 20, 2015 / 06:14 pm

भूप सिंह

National Park, Bharatpur

National Park, Bharatpur

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान या केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान भारत के राजस्थान में स्थित एक विख्यात पक्षी अभयारण्य है। इसको पहले भरतपुर पक्षी विहार के नाम से जाना जाता था। इसमें हजारों की संख्या में दुर्लभ और विलुप्त जाति के पक्षी पाए जाते हैं, जैसे साईबेरिया से आए सारस, जो यहां सर्दियों के मौसम में आते हैं। यहां 230 प्रजाति के पक्षियों ने भारत के राष्ट्रीय उद्यान में अपना घर बनाया है। अब यह एक बहुत बड़ा पर्यटन स्थल और केन्द्र बन गया है, जहां पर बहुतायत में पक्षीविज्ञानी शीत ऋतु में आते हैं। इसको 1971 में संरक्षित पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया था और बाद में 1985 में इसे विश्व धरोहर भी घोषित किया गया है।

इतिहास
इस पक्षीविहार का निर्माण 250 वर्ष पहले किया गया था और इसका नाम केवलादेव (शिव) मंदिर के नाम पर रखा गया था। यह मंदिर इसी पक्षी विहार में स्थित है। यहां प्राकृतिक ढ़लान होने के कारण, अक्सर बाढ़ का सामना करना पड़ता था। भरतपुर के शासक महाराज सूरजमल (1726 से 1763) ने यहां अजान बांध का निर्माण करवाया, यह बांध दो नदियों गंभीर और बाणगंगा के संगम पर बनाया गया था।

यह उद्यान भरतपुर के महाराजाओं की पसंदीदा शिकारगाह था, जिसकी परम्परा 9850 से भी पहले से थी। यहां पर ब्रिटिश वायसराय के सम्मान में पक्षियों के सालाना शिकार का आयोजन होता था। 1938 में करीब 4,273 पक्षियों का शिकार सिर्फ एक ही दिन में किया गया मेलोर्ड एवं टील जैसे पक्षी बहुतायत में मारे गए। उस समय के भारत के गवर्नर जनरललिनलिथ्गो थे, जिनने अपने सहयोगी विक्टर होप के साथ इन्हें अपना शिकार बनाया।

भारत की स्वतंत्रता के बाद भी 1972 तक भरतपुर के पूर्व राजा को उनके क्षेत्र में शिकार करने की अनुमति थी, लेकिन 1982 से उद्यान में चारा लेने पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया गया जो यहाँ के किसानों, गुर्जर समुदाय और सरकार के बीच हिंसक लड़ाई का कारण बना।

जंतु समूह
यह पक्षीशाला शीत ऋतु में दुर्लभ जाति के पक्षियों का दूसरा घर बन जाती है। साईबेरियाई सारस, घोमरा, उत्तरी शाह चकवा, जलपक्षी, लालसर बत्तख आदि जैसे विलुप्तप्राय जाति के अनेकानेक पक्षी यहां अपना बसेरा करते हैं।

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