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आयड़ नदी सौंदर्यीकरण कार्य में देरी, ठेकेदारों पर गिरेगी गाज

उदयपुर की आयड़ नदी को संवारने के कार्य में माह-दर-माह देरी हो रही है। पहले यह काम मार्च में पूरा होना था। जिसे फिर अप्रेल तक पूरा करने की बात कही गई। लेकिन काम की रफ्तार को देखते हुए अभी यह एक माह और पूरा होता नहीं दिख रहा। अभी भी प्रोजेक्ट का लगभग चालीस फीसदी काम बकाया है।

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Ayad River

आयड नदी में चल रहा कार्य

उदयपुर की आयड़ नदी को संवारने के कार्य में माह-दर-माह देरी हो रही है। पहले यह काम मार्च में पूरा होना था। जिसे फिर अप्रेल तक पूरा करने की बात कही गई। लेकिन काम की रफ्तार को देखते हुए अभी यह एक माह और पूरा होता नहीं दिख रहा। अभी भी प्रोजेक्ट का लगभग चालीस फीसदी काम बकाया है।

हालांकि कार्य में ढिलाई कर रहे ठेकेदारों पर जुर्माना लगाया जा चुका है। साथ ही अब उन्हें ब्लैक लिस्टेड करने की तैयारी है।विधानसभा चुनाव के बाद जब शहर विधायक ताराचंद जैन ने आयड़ नदी सौंदर्यीकरण के कार्य का जायजा लिया था तो स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अधिकारियों ने इसे मार्च 2024 तक पूरा करने का आश्वासन दिया था। लेकिन उसके बाद उपजी अलग-अलग बाधाओं के चलते कार्य में विलंब होता चला गया।दरअसल, टूरिस्ट सिटी उदयपुर को और खूबसूरत बनाने के उद्देश्य से शहर के बीचोंबीच से गुजरने वाली आयड़ नदी को संवारने का कार्य चल रहा है। इसके तहत शहर के पांच किलो मीटर के हिस्से में नदी को संवारा जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के तहत जहां नदी के किनारों काे कृत्रिम रूप से सौंदर्यीकृत किया जा रहा है। वहीं इसे सदा नीरा बनाए रखने के लिए नदी के बीच एक नहर बनाई गई है। ताकि बारिश के बाद और खासकर गर्मी में इसमें पानी का बहाव बना रहे। हालांकि, प्राकृतिक बहाव से छेड़छाड़ व पक्के निर्माण को लेकर झील प्रेमी लगातार विरोध जता रहे हैं। पहले चरण में नदी में पुलां से लेकर सेवाश्रम तक सौंदर्यीकरण का कार्य चल रहा है। इस पर करीब 75 करोड़ का खर्च आएगा। यह कार्य आठ अलग-अलग ठेकेदारों को दिया है।

नदी के किनारों पर अतिक्रमण और कई जगह गिर रहे गंदे नाले इसके सौंदर्यीकरण में चुनौती है। नदी की चौड़ाई कहीं दो सौ फीट है तो कहीं सिकुड़ कर काफी कम रह गई है। अवैध निर्माणों के चलते जिकजेक आकार की हो चुकी नदी के वास्तविक सीमांकन के लिए कलक्टर अरविंद पोसवाल ने गत दिनों गिर्वा उपखंड अधिकारी आइएएस रिया डाबी के नेतृत्व में कमेटी गठित की थी। जिसके बाद गत दिनों आयड़ पुलिया के पास कुछ अतिक्रमण भी हटाए गए।

आयड़ रिवर ब्यूटिफिकेशन प्रोजेक्ट पर एक नजर ....

- सौंदर्यीकरण योजना के तहत 5 किलोमीटर संवरेगी आयड़ नदी

- सेवाश्रम से भुवाणा नई पुलिया तक होगा काम

- आठ संवेदक कर रहे अलग-अलग कार्य- कुल खर्च होंगे- 75 करोड़

कार्य जो शामिल हैं प्रोजेक्ट में ...

- नदी के बीचोंबीच 30 फीट (9 मीटर ) चौड़ी नहर, जिसमें हर मौसम में रहेगा जल प्रवाह

- एफसीआई गोदाम के निकट एसटीपी से लिफ्ट कर पानी को नहर के ऊपरी हिस्से से लाकर छोड़ा जाएगा

- नहर के पास तीस फीट चौड़ाई वाले हिस्से में हर 100 फीट पर बिजौलिया स्टोन लगेगा- हर 50 फीट पर कच्चा हिस्सा रहकर इसमें घास लगाई जाएगी

- यहां पगडंडी रास्ता होगा, आमजन के घूमने के लिए रहेगा

- पगडंडी रास्ते व पत्थर के पास घास वाले हिस्से में पौधे लगेंगे। बैठने के लिए कई जगह बैंच लगेगी

- पांच किलोमीटर तक नदी के अधिकांश हिस्से में हाइमास्ट लाइटें होंगी

आयड़ में मिलता है कई नदियों व तालाबों का पानी

आयड़ नदी का उद्घम गोगुंदा कस्बे के पास के पहाड़ों के दक्षिण पूर्वी ढलानों में है। वहां से करीब 30 किलोमीटर बहने के बाद साइफन तिराहे के पास से शहर में प्रवेश करती है और सेवाश्रम पुल के पास गिर्वा में जुड़ जाती है। इसकी सह नदियों पर मदार बड़ा व मदार छोटा तालाब बने हुए हैं और थूर पर एनिकट है। यहां से मदार नहर निकलती है, जो फतहसागर को भरती है। साइफन से सेवाश्रम पुल तक इस नदी की लंबाई करीब 6 किलोमीटर है। सेवाश्रम पुल के बाद लगभग 15 किलोमीटर लंबाई में बहने के बाद यह नदी उदयपुर के पूर्व में स्थित उदयसागर में प्रवेश करती है। उदयसागर भरने के बाद यह नदी इसके नीचे स्थित कई बांधों को भरती हुई चित्तौडगढ़़ में गोमती नदी में मिलती है, जो आगे जा कर पहले चम्बल, यमुना और अंत में गंगा में मिलते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है। आयड़ नदी में कई नदियों का संगम होने के बावजूद इसका पानी लगातार गिरने वाले प्रदूषित नालों के चलते गंदा हो गया और आसपास भूजल प्रभावित हो गया।


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