अन्य दिनों में भी केवल एक समय ही शाम के वक्त भोजन दिया जाता है। यह रोचक बात है कि उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क (Sajjangarh Biological Park Udaipur) में हर मंगलवार वन्यजीवों का ‘उपवास’ का दिन होता है। दरअसल केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के निर्देशानुसार सज्जनगढ़ में बायोलॉजिकल पार्क की शुरुआत के पहले से ही यहां रखे गए वन्यजीवों की फास्टिंग के लिए मंगलवार का दिन निर्धारित है। बायोलॉजिकल पार्क बनने से पहले गुलाब बाग चिड़ियाघर में यह व्यवस्था कायम थी। जिसे 2015 में सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क का स्वरूप देने के बाद भी नियमित रखा गया।
23 प्रजातियों के वन्यजीव हैं सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में : उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में 23 विभिन्न प्रजातियों के वन्य जीव हैं। इनमें मांसाहारी, शाकाहारी, रेप्टाइल आदि शामिल हैं। इनमें खास तौर पर टाइगर, एशियाटिक लॉयन, पैंथर, भालू, लोमड़ी, सांभर, चीतल सहित कई प्रजातियों के जीव हैं।
वन्यजीवों की सेहत और बायोलॉजिकल पार्क के प्रबंधन दोनों ही दृष्टि से सप्ताह में एक दिन की फास्टिंग जरूरी है। जब जानवर जंगल में रहता है तो शिकार के लिए घूमता फिरता है, जिससे वह फिजिकली फिट रहता है, जबकि पार्क में उतना मूवमेंट नहीं हो पाता। ऐसे में फीडिंग में एक दिन का ब्रेक देना सेहत के लिए अच्छा होता है। इसके अलावा इस दिन पार्क बंद रहता है तो विजिटर्स भी नहीं होते। ऐसे में कैज व डिस्प्ले एरिया की मेंटेनेंस भी हो जाती है। देवेंद्र कुमार तिवारी, उपवन संरक्षक, वन्य जीव
फास्टिंग डे पर होते हैं अन्य कामकाज वन्य जीवों की फास्टिंग के दिन बायोलॉजिकल पार्क में संबंधित वन्य जीवों की कैज, डिस्प्ले एरिया, ऑफ डिस्प्ले एरिया आदि की साफ सफाई सहित रखरखाव संबंधी अन्य कार्य किए जाते हैं। नियमित दिनों में यह कार्य होना संभव नहीं होता, इसलिए आमतौर पर रखरखाव संबंधी ज्यादातर कार्य इसी दिन होते हैं।
सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के पशु चिकित्सक डॉ. हिमांशु व्यास के अनुसार बायोलॉजिकल पार्क और चिड़ियाघरों में रहने वाले वन्य जीवों की फास्टिंग की व्यवस्था केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के निर्देशानुसार है। दरअसल, वन्य जीव जब जंगल में होते हैं, तब उन्हें रोजाना शिकार नहीं मिलता। यह उनकी शारीरिक प्रकृति का हिस्सा है, कि वे एक से ज्यादा दिन भूखे रह सकते हैं। यही वजह है कि उनकी सेहत को ध्यान में रखते हुए उन्हें हर सप्ताह एक दिन फीड नहीं दिया जाता है। कभी कभी वन्य जीवों के बीमार होने की स्थिति में भी ऐसा किया जाता है कि उन्हें फीड देना बंद करना पड़ता है।