एमबी हॉस्पिटल चौकी प्र्रभारी एएसआई डालचंद्र मेघवाल एवं जवान विक्रमसिंह ने सौदागरों की ओर से बंधक बनाए गए पीडि़त के काका के भी बयान दर्ज किए। अब देखना यह है कि पीडि़त हरीश के बयानों के अलावा पुलिस पन्नाधाय महिला चिकित्सालय प्रशासन की ओर से गठित नर्सिंग एवं चिकित्सकीय दल की उस जांच रिपोर्ट को कार्रवाई में शामिल करती है या नहीं, जिसमें टीम ने स्पष्ट किया है कि 10 जनवरी की रात को पीडि़त हरीश से ब्लड के बदले सौदागरों की टीम ने एक हजार रुपए वसूले थे।
गौरतलब है कि स्टिंग के माध्यम से खून के सौदागरों के खुलासे के बाद पीडि़त हरीश ने पुलिस और जांच दलों को पूर्व में दिए गए बयानों में इस बात को स्वीकार किया था कि आरोपितों ने उससे खून के बदले कीमत ली थी।
राजस्थान पत्रिका ने 12 जुलाई को ‘गरीब जिंदगी का सौदा, खून से कमाई’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर बहुत पहले ही मेडिकल कॉलेज प्रशासन और पुलिस थाने के ओहदेदारों का ध्यान समस्या की ओर से आकर्षित किया था।
दोबारा बयान के नाम पर औपचारिकता कर जांच को भटकाया जा रहा है। पुलिस मोबाइल की कॉल डिटेल तक निकलवाने से परहेज कर रही है। बातचीत की रिकॉर्डिंग और पीडि़त हरीश मीणा के मोबाइल नंबर 8290346360, जिस पर 10 जनवरी की रात को 9.30 बजे से 12.30 बजे के बीच सौदागरों के फोन आए थे।