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उदयपुर

PATRIKA IMPACT: मेडिकल प्रोफेसर्स को आवंटित सरकारी आवास का मामला, झूठे हलफनामे देने वालों को दिया नोटिस, मांगा जवाब, वीडियो

उदयपुर. शहरी सीमा में निजी मकान होने के बावजूद झूठे हलफनामे दे सरकारी आवास आवंटित कराने के खुलासे से मेडिकल प्रोफेसर्स में खलबली मची है।

उदयपुरNov 02, 2017 / 01:00 pm

Sushil Kumar Singh

notice to govt medical professors doctors udaipur
उदयपुर . शहरी सीमा में निजी मकान होने के बावजूद झूठे हलफनामे दे सरकारी आवास आवंटित कराने के खुलासे से मेडिकल प्रोफेसर्स में खलबली मची है। बरसों से सरकारी आवास में डेरा डाले इन प्रोफेसर्स से आरएनटी मेडिकल कॉलेज प्राचार्य एवं नियंत्रक ने तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट उच्च चिकित्सा शिक्षा विभाग को भेजी जाएगी। सरकारी आवास व स्वयं के निजी आवास होने के बावजूद निजी संस्थाओं में प्रेक्टिस करने वाले प्रोफेसर्स के खिलाफ लगातार शिकायतों पर पत्रिका ने ऐसे सभी प्रोफेसर्स व वरिष्ठ चिकित्सकों के नाम उजागर किए थे।
बुधवार के अंक में ‘सफेदपोशों का शपथ लेकर सफेद झूठ’ समाचार पर आरएनटी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. डी.पी. सिंह ने सभी को नोटिस भेजकर तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट में दुकानों व भवनों के बाहर उनके होर्डिंग कब और कैसे लगाए, उनके मकान, मौजूदा निवास, निजी आवास होने पर सरकारी आवास लेने, निजी परिसरों में नियम विरुद्ध प्रेक्टिस सहित शपथ पत्र के उल्लंघन को लेकर सवाल पूछे गए हैं।

वरिष्ठ प्रोफेसर की आई शिकायत
एनाटोमी विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर घनश्याम गुप्ता के विरुद्ध भी निजी फ्लेट होने के बावजूद सरकारी आवास में रहने की शिकायत है। गुप्ता ने भी स्वीकार किया कि हींतावाला कॉम्पलेक्स में उनका एक फ्लेट है, लेकिन जूनियर बॉयज हॉस्टल के वार्डन होने के नाते नियम से रह रहे हैं। उनका कहना है कि एनाटोमी में रात के समय भी बॉडी आती है तो उन्हें वहीं रहना होता है। जबकि सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट गाइडलाइन है कि जिस सरकारी व्यक्ति का नगर निगम के क्षेत्र में मकान है वह व्यक्ति सरकारी आवास में लाभ नहीं ले सकता।
READ MORE: VIDEO: उदयपुर में निजी मकान होने के बावजूद मेडिकल प्रोफेसर्स को आवंटित हैं सरकारी आवास, क्यों हो रहा ऐसा, जानें पूरा सच 

अगर वह लाभ ले रहा है तो नियमानुसार उसे खाली करना पडेग़ा। सरकारी आवास में रहने के लिए शपथ पत्र भी देना होता है, अगर झूठा दिया जाए तो कैद का प्रावधान है।

वरिष्ठ प्रोफेसर की आई शिकायत
एनाटोमी विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर घनश्याम गुप्ता के विरुद्ध भी निजी फ्लेट होने के बावजूद सरकारी आवास में रहने की शिकायत है। गुप्ता ने भी स्वीकार किया कि हींतावाला कॉम्पलेक्स में उनका एक फ्लेट है, लेकिन जूनियर बॉयज हॉस्टल के वार्डन होने के नाते नियम से रह रहे हैं। उनका कहना है कि एनाटोमी में रात के समय भी बॉडी आती है तो उन्हें वहीं रहना होता है।
 

जबकि सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट गाइडलाइन है कि जिस सरकारी व्यक्ति का नगर निगम के क्षेत्र में मकान है वह व्यक्ति सरकारी आवास में लाभ नहीं ले सकता। अगर वह लाभ ले रहा है तो नियमानुसार उसे खाली करना पडेग़ा। सरकारी आवास में रहने के लिए शपथ पत्र भी देना होता है, अगर झूठा दिया जाए तो कैद का प्रावधान है।

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