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उदयपुर

कोरोना के कर्मवीर: दस कार्मिकों ने दिन रात काम कर अब तक जांच लिए 507 कोरोना के नमूने

– हर नमूने की जांच में लगते हैं न्यूनतम छह घंटे
– 14 मार्च को हुई थी आरएनटी मेडिकल कॉलेज उदयपुर की माइक्रोबायोलॉजी लैब में जांच

उदयपुरApr 02, 2020 / 02:40 pm

bhuvanesh pandya

दस कार्मिकों ने दिन रात काम कर अब तक जांच लिए 507 कोरोना के नमूने

दस कार्मिकों ने दिन रात काम कर अब तक जांच लिए 507 कोरोना के नमूने

भुवनेश पंड्या

उदयपुर. बीते 19 दिनों में आरएनटी की माइक्रोबायोलॉजी लैब दिन रात चल रही है, इस लैब में अब तक 507 को-विड 19 के नमूनों की जांच हो चुकी है, इनमें से केवल 5 नमूने पॉजिटिव आए हैं जबकि अन्य 502 नमूने नेगेटिव मिले हैं। जो पांच नमूने पॉजिटिव आए थे, इनमें से दो प्रतापगढ़ के दम्पती के थे, जो अब नेगेटिव होकर डिस्चार्ज हो चुके हैं, तो तीन नमूने डूंगरपुर जिले के है, जिनका दादा, पिता व पोते का यहां कोरोना वार्ड में उपचार जारी है।
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– ये है प्रक्रिया: कोरोना की जांच आरएनटी मेडिकल कॉलेज में जारी है, आम तौर पर लोग ये समझते है कि जो भी सर्दी, जुकाम या बुखार का मरीज है उन सभी को कोरोना संदिग्ध मानते हुए उनके नमूने लिए जाते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। यहां कोरोना के नमूने उन्हीं के लिए जा रहे हैं जिन मरीजों की कोई ट्रेवल हिस्ट्री हो यानी जो कहीं बाहर घूम कर आए हों, जो गंभीर जुकाम से पीडि़त हो, जो नियमित बुखार से परेशान हो साथ ही कही विदेश से या किसी के संपर्क में रहकर आए हों।
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जिसके नमूने लिए उसे आइसोलेशन में रखना जरूरी

– जिन मरीजों का स्वाब टेस्ट लिया जाता है, उन्हें तब तक आइसोलेशन में रखा जाता है, जब तक उसकी रिपोर्ट नेगेटिव नहीं आ जाती। प्रत्येक मरीज का स्वाब लेने से पहले बकायदा पीपीई किट पहनना होता है।
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ऐसे लेते हैं मरीजों का स्वाब कोई मरीज जांच के लिए आने के बाद उसकी पहले स्क्रीनिंग की जाती है, स्क्रीनिंग के बाद डेक्रोल स्टिक से ओरल केवेटी खुलवाकर गले के कोस्टिरियर फेरिंजियल वाल से चंद सैंकड में स्वाब का नमूना लिया जाता है। इस स्टिक के आगे एक विशेष हिस्सा होता है, उस पर स्वाब टेस्ट ले लिया जाता है, फिर उसे वायरल ट्रांसपोर्ट मीडिया यानी टेस्ट ट्यूब नुमा वीटीएम में डाल देते हैं। ये टेस्ट ट्यूब प्लास्टिक जैसा होता है, इससे वायरस इसके साथ ही पहुंच जाता है। इस वीटीएम को एक वेक्सिन केयरिंग ट्रिपल लेयर केरियर बॉक्स में रखा जाता है, ये आइस बॉक्स जैसा होता है, इसे लैब में रख देते है इसके बाद इसका जांच करवाया जाता है।
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पत्रिका ने उठाया मुद्दा तो शुरू हुई लैब आरएनटी मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब से नमूनों को पहले नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे व एसएमएस जयपुर को भेजा जाता था, वहां से करीब तीन दिन में ये रिपोर्ट तैयार होकर नेगेटिव या पोजेटिव होने की पुष्टि सहित यहां भेजी जाती थी, लेकिन राजस्थान पत्रिका ने गत 8 मार्च को कोरोना लैब टेस्ट बीकानेर, झालावाड़ और जोधपुर में, उदयपुर में क्यों नहीं शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर इस व्यवस्था पर सरकार को आगाह किया था। इसे लेकर सरकार ने यहां भी इस जांच की शुरुआत कर दी। अब यहां छह घंटे में मरीजों की पॉजिटिव या नेगेटिव रिपोर्ट मिल रही है।
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– पीसीआर मशीन से होती है जांच: इसलिए लगते हैं छह घंटे वर्तमान में उदयपुर आरएनटी में दो पीसीआर (पोलीमेरेस चेन रिएक्शन) फिलहाल माइक्रोबायोलॉजी लैब में लगी हुई हैं। इनमें से एक मशीन में तो नियमित रूप से एच वन एन वन यानी स्वाइन फ्लू के नमूनों की जांच होती थी, जबकि दूसरी मशीन अतिरिक्त थी,अब उसमें कोरोना की जांच की जाती है, लेकिन इन दिनों दोनों को इन कोरोना के नमूनों की जांच के लिए ले रहे है।

तीन-तीन घंटे के दो प्रोसेसजैसा की माइक्रोबायॉलोजी लैब की प्रभारी डॉ अंशु शर्मा ने बताया पहले तीन घंटे: जो भी स्वाब होता है उसमें से आरएनए मटेरियल निकालने का काम मैन्यूअली किया जाता है, इसे निकालने के बाद उसे मशीन में लगाया जाता है। निकालने से लेकर मशीन में लगाने में तीन घंटे लगते हैं।
अगले तीन घंटे: पीसीआर मशीन में नमूना लगाने के तीन घंटे बाद मरीज पॉजिटिव है या नेगेटिव इसकी रिपोर्ट आती है। प्रतिदिन 15 पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट किट) का यहां उपयोग किया जा रहा है।
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लैब में नियमित कार्य जारी है, प्रयास ये है कि हम अधिक से अधिक नमूनों की जांच कर जल्द से जल्द रिपोर्ट दें, फिलहाल दो पीसीआर पर तीन शिफ्टों में काम हो रहा है।
डॉ लाखन पोसवाल, प्राचार्य आरएनटी मेडिकल कॉलेज उदयपुर

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