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उज्जवला में 26 हजार हितग्राही दोबारा सिलेंडर लेने ही नहीं आए

उज्जवला से भविष्य उज्जवल करने में रुचि नहीं 1 लाख 30 हजार 960 गैस कनेक्शन अब तक योजना में दिए, केवल 74 हजार हितग्राही ही दोबारा गैस सिलेंडर भरवाने पहुंचे, लेकिन इनकी भी निरंतरता नहीं, गरीब और ग्रामीण लोग हैं, जो महंगा सिलेंडर खरीदने में असमर्थ

उज्जैनJul 17, 2019 / 10:52 pm

Shailesh Vyas

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उज्जवला से भविष्य उज्जवल करने में रुचि नहीं १ लाख ३० हजार ९६० गैस कनेक्शन अब तक योजना में दिए, केवल ७४ हजार हितग्राही ही दोबारा गैस सिलेंडर भरवाने पहुंचे, लेकिन इनकी भी निरंतरता नहीं, गरीब और ग्रामीण लोग हैं, जो महंगा सिलेंडर खरीदने में असमर्थ

उज्जैन. ग्रामीण और गरीब महिलाओं को धुएं से छुटकारा दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने 2016 में जिस उज्ज्वला योजना की शुरुआत की थी, अब उनके घरों की छतों से फिर धुएं के गुबार दिखने लगे हैं। योजना में उज्जैन जिले में १ लाख ३० हजार ९६० गैस कनेक्शन दिए जा चुके हैं, इसमें से करीब २६ हजार से अधिक हितग्राही ऐसे हैं, जो दोबारा गैस सिलेंडर भरवाने ही नहीं पहुंचे, वहीं ५० प्रतिशत एेसे उपभोक्ता हैं, जिनकी सिलेंडर लेने में निरंतरता नहीं है। कभी भरवाया तो कभी नहीं भरवाया। खास बात यह है कि जिम्मेदार अधिकारी और एजेंसी अधिकृत तौर यह डाटा देने को तैयार नहीं है कि कितने हितग्राही उज्ज्वला योजना में शामिल होने के बाद भी इसका लाभ नहीं ले रहे हैं। दरअसल इस योजना के तहत लाभान्वित होने वाले परिवारों में से ८० से ८५ परिवार फिर से चूल्हा फूंक रहे हैं। इसका कारण बिना सब्सिडी वाले सिलेंडर के ऊंचे दाम और ग्रामीण इलाकों में गैस सिलेंडर्स की अपेक्षाकृत कम उपलब्धता को बताया जा रहा है। ग्रामीण इलाकों में हालात और भी खराब हैं। उज्जैन जिले में १ लाख ३० हजार ९६० कनेक्शन दिए जा चुके हैं, लेकिन ज्यादातर लोग दोबारा टंकी भरवाने नहीं पहुंचे। इसका एक प्रमुख कारण शुरुआती 6 सिलेंडरों पर सब्सिडी नहीं मिलना भी है। पूरी तरह मुफ्त लगने वाली इस योजना में सिर्फ खाली टंकी की कीमत शामिल नहीं है, बल्कि गरीब परिवारों को यह कनेक्शन 16 सौ से 2000 तक के ऋण पर दिए गए हैं। ऋण की भरपाई कनेक्शन धारकों को बिना सब्सिडी वाले सिलेंडर से चुकाना है। गैस कनेक्शन के एवज में चूल्हे और भरी हुई टंकी के पैसे सब्सिडी के रूप में नहीं, बल्कि ऋण के रूप में दिए गए। इसके एवज में शर्त यह है कि जब तक ऋण वसूल नहीं हो जाता, तब तक बिना सब्सिडी वाले सिलेंडर खरीदना होंगे। एलपीजी की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते गैस चूल्हे की कीमत मिलाकर ऋण के रूप में दी गई यह राशि दो हजार तक पहुंचने लगी थी। सब्सिडी वाले सिलेंडर रीफिल कराना बस की बात नहीं योजना में शामिल होने वाले ज्यादातर गरीब परिवार हैं। मजदूरी कर पेट पालने वाले इस परिवार के लिए यह कभी संभव नहीं हो सका कि गैस टंकी दोबारा रीफिल करा लें। महंगे बिना सब्सिडी वाले सिलेंडर रीफिल कराना इन गरीब परिवारों के बस की बात नहीं है। जिन्हें सब्सिडी की पात्रता है, वह उपभोक्ता भी कतराने लगे हैं। पहले उपभोक्ताओं को सब्सिडी वाली कीमत ही अदा करनी पड़ती थी। सब्सिडी की राशि सीधे कंपनियों के खाते में चली जाती थी। अब उपभोक्ताओं को टंकी की पूरी राशि एकमुश्त देनी होती है। सब्सिडी खाते में आती है। ग्रामीण क्षेत्रों में कमजोर बैंकिंग सुविधाओं के चलते भी ग्रामीणों को सब्सिडी का यह तरीका रास नहीं आ रहा।शिविर लगाकर लिए थे आवेदन प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना को 1 मई, 2016 में लांच किया गया था, जिसके तहत गरीब महिलाओं के मिट्टी के चूल्हे से आजादी देने के लिए फ्री गैस कनेक्शन देने का प्रावधान था। सरकार ने बीपीएल महिलाओं को 3 साल में गैस कनेक्शन को मुहैया कराने का लक्ष्य रखा था। इसके लिए जगह-जगह शिविर लगाने के साथ ही गैस एजेंसी संचालको ने बीपीएल सूची के आधार पर घर-घर सर्वे कर आवेदन प्राप्त किए थे।

उज्जवला की स्थिति आंकड़ों में
– केवायसी फॉर्म भरे :१,७८,७९६
– आवेदन स्वीकृत: १,३३,४७९
– कनेक्शन जारी :१,३०,९६०
– दोबारा सिलेंडर रीफिल नहीं : २६०००
– रीफिल में निरंतरता नहीं: ७४०००

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