scriptपंद्रह सौ रुपए की रिश्वत ली, अब चार साल रहेंगे जेल में | Bribe, now in prison for four years | Patrika News
उज्जैन

पंद्रह सौ रुपए की रिश्वत ली, अब चार साल रहेंगे जेल में

जिपं के सामाजिक न्याय विभाग में कार्यरत समन्वयक अधिकारी ने राष्ट्रीय परिवार सहायता के 20 हजार रुपए स्वीकृत करने मांगी थी दो हजार की रिश्वत

उज्जैनDec 26, 2018 / 09:12 pm

Lalit Saxena

patrika

corruption,court,Lokayukta,punishment,bribery,District Panchayat,Social Justice Department,

उज्जैन. 1500 रुपए की रिश्वत लेते पकड़ाए जिला पंचायत के सामाजिक न्याय विभाग के समन्व्यक अधिकारी अनिल भास्कर को भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट ने दो धाराओं में चार-चार वर्ष की कैद और चार हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है। बाबू ने राष्ट्रीय परिवार सहायता की 20 हजार रुपए की राशि स्वीकृत कराने के नाम पर दो हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी, मौके पर 1500 रुपए लेते लोकायुक्त पुलिस ने उसे रंगेहाथों पकड़ लिया था।

लोकायुक्त एसपी गीतेश गर्ग ने बताया कि फरियादी जितेंद्र कोठार ने १९ मई २०१४ को शिकायत की थी कि उसके पिता की 2013 में मृत्यु हो गई है। उसकी मां सावित्री बाई के नाम से राष्ट्रीय परिवार सहायता योजना से 20000 रुपए स्वीकृत हुए थे। यह राशि के भुगतान के लिए जिला पंचायत कार्यालय उज्जैन के सामाजिक न्याय विभाग के लेखा शाखा में पदस्थ अनिल भास्कर 2000 रुपए की रिश्वत मांग रहा है। शिकायत की तस्दीक वॉइस रिकॉर्डर से कराने पर सही पाई गई। लोकायुक्त निरीक्षक बसंत श्रीवास्तव ने ट्रैप की कार्रवाई करते हुए १९ मई को दमदमा उज्जैन स्थित संयुक्त संचालक सामाजिक न्याय विभाग के कार्यालय में आरोपी अनिल भास्कर को १५०० रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया। आरोपी भास्कर ने रिश्वत की राशि पेंट की जेब में रख ली थी। उसके हाथ और पेंट उतरवाकर धुलवाए तो घोल का रंग गुलाबी हो गया। बाद में भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट में चालान पेश किया गया। इस पर विशेष न्यायाधीश एलडी सोलंकी ने आरोपी अनिल भास्कर को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 एवं 13 में चार-चार वर्ष सश्रम कारावास एवं दोनों धाराओं में दो- दो हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया।

कोर्ट ने कहा- इस कृत्य से संपूर्ण तंत्र को हानि पहुंचती
रिश्वत में दोषी पाए समन्वय अधिकारी अनिल भास्कर को सजा देते समय कोर्ट ने सख्त टिप्पणी भी की। कोर्ट ने कहा कि कि अभियुक्त को शासकीय सेवक के रूप में कई जिम्मेदारियों का निर्वाह करना होता है और यदि वह अपने कर्तव्य का पालन पूर्ण ईमानदारी से नहीं करता है तब संपूर्ण तंत्र को क्षति पहुंचती है तथा लोकहित प्रतिकूल रूप से प्रभावित होता है। न्यायाधीश ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के न्याय दृष्टांत के आलोक में निर्णय में लिखा कि वर्तमान में भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति समाज में बढ़ती जा रही है इस तरह के अपराधों में समुचित दंड आज्ञा पारित की जाना चाहिए ताकि उपरोक्त तरह के आपराधिक कृत्यों पर रोक लग सके और समाज पर इसका प्रभाव पड़े।

Home / Ujjain / पंद्रह सौ रुपए की रिश्वत ली, अब चार साल रहेंगे जेल में

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो