साल में चार बार नवरात्रि पर्व
हिंदू धर्म में वैसे तो नवरात्रि पूरे साल में चार बार पड़ती है, लेकिन उनमें महत्व दो का ज्यादा है। इसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि शामिल है। बाकी दो नवरात्रि गुप्त तरीके से मनाई जाती है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 9 दिवसीय चैत्र नवरात्रि में 5 बार सर्वार्थसिद्धि, दो बार रवियोग तथा एक बार रवि पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है।
नौ दिन साधना से मिलती है देवी कृपा
साधना और सिद्धि के साथ यह दिन नौ दिन देवी कृपा से धन प्राप्ति के उपाय करने के लिए भी श्रेष्ठ बताए जा रहे हैं। चैत्र नवरात्रि शनिवार के दिन रेवती नक्षत्र के साथ आरंभ हो रही है। उदय काल में रेवती नक्षत्र का योग साधना व सिद्धि में पांच गुना अधिक शुभफल प्रदान करेगा।
पांच बार सर्वार्थ सिद्धि, दो बार रवियोग
नौ दिवसीय पर्वकाल में पांच बार सर्वार्थसिद्धि तथा दो बार रवियोग का होना धर्म की दृष्टि से श्रेष्ठ है। नवरात्रि में कलश स्थापना शुभ मुहूर्त शनिवार को सुबह 11.58 से लेकर दोपहर 12.49 बजे तक है। इस मुहूर्त के समय कर्क लग्न है। इसलिए पूजन के लिए यह अभिजीत समय लाभदायी होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार अनुसार रेवती नक्षत्र पंचक का पांचवां नक्षत्र है। इस नक्षत्र का शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से 1 घंटे तक स्पर्श होना, वह भी उदयकाल से करीब 45 मिनट तक रहना तंत्र साधना की दृष्टि से सर्वोत्तम है। नक्षत्र सिंद्धात की दृष्टि से देखें तो रेवती नक्षत्र का स्वामी पुषा है, जो ऋ ग्वेद के अन्य देवताओं में से एक है। इसलिए यह नवरात्रि यंत्र, तंत्र व मंत्र सिद्धि के लिए विशेष मानी जा रही है। इसमें धन प्राप्ति के लिए किए जाने वाले उपाय भी कारगर होंगे।
देवी मंदिरों में अनुष्ठान-पूजन
चैत्र नवरात्रि पर 14 अपै्रल तक हरसिद्धि माता ,गढ़कालिका, भूखी माता, चामुण्डा माता मंदिरों के साथ देवी मंदिरों में विशेष पूजन-अर्चन के साथ अनुष्ठान होंगे। हरसिद्धि माता में प्रतिदिन सांध्य आरती में दीपमालिकाएं प्रज्ज्वलित की जाएगी।