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उज्जैन

इनकी मौत के बाद क्या क्षिप्रा के पानी से हो पाएगा अगला सिंहस्थ

क्षिप्रा किनारे लगाए पौधो में से 22 हजार पर संकट, पौधे बचाने जहां मानव शृंखला बनाई थी वहां भी शुरू हुआ काम

उज्जैनNov 26, 2019 / 10:27 pm

aashish saxena

Crisis on 22 thousand of the saplings planted on the shore,

क्षिप्रा किनारे लगाए पौधो में से 22 हजार पर संकट, पौधे बचाने जहां मानव शृंखला बनाई थी वहां भी शुरू हुआ काम

उज्जैन. सिंहस्थ 2016 के सफल आयोजन के लिए क्षिप्रा नदी में नर्मदा का जल भी लाना पड़ा था। अगला सिंहस्थ क्षिप्रा के पानी से ही हो, इसके लिए वन विभाग के साथ मिल विभिन्न संस्था, संगठन और स्कूली बच्चों ने नदी किनारे हजारों पौधे लगाए हैं। अब सीवरेज प्रोजेक्ट के कारण इन पौधों के नश्ट होने की स्थिति बन रही है। एेसे में बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि इन पौधों की एेसे ही मौत होती रही तो क्या अगला सिंहस्थ क्षिप्रा के पानी से हो पाएगा।

क्षिप्रा शुद्धिकरण के लिए बड़ी संख्या में लगाए गए पौधों पर जेसीबी का पंजा चलाने की तैयारी है। सीवरेज प्रोजेक्ट अंतर्गत नदी किनारे पाइप लाइन बिछाने के लिए त्रिवेणी से मंगलनाथ तक करीब २२ हजार पेड़-पौधे नष्ट होने का अनुमान है। हालांकि नगर निगम इस नुकसान की भरपाई, उतने ही पौधे दोबारा लगवाने का दावा कर रहा है। सिंहस्थ के दौरान वन विभाग ने संस्था रूपांतरण, सामाजिक संगठन व स्कूल छात्रों के साथ मिल क्षिप्रा किनारे पौधारोपण किया था। रेती घाट खेत्र में ही करीब 10 हजार पौधे लगाए थे जिनकी ऊंचाई तीन साल में 6 फीट से अधिक हो गई है। इधर सीवरेज प्रोजेक्ट अंतर्गत नदी किनारे पाइप लाइन बिछाई जा रही है। पाइप लाइन बिछाने का कार्य आगे बढ़ते हुए रेती घाट क्षेत्र में पहुंच चुका है। पाइप व पौधों के बीच महज 10 फीट का अंतर शेष है। कार्य आगे बढ़ाने के लिए हाल में पौधों को सुरक्षित करने के लिए लगाई गई तार फेंसिंग भी तोड़ दी गई है। यह वही स्थान है जहां एक पखवाड़े पूर्व पर्यावरण प्रेमियों ने मानव शृंखला बनाकर पौधों की सुरक्षा करने की मांग की थी। यहां कार्य आगे बढ़ता है तो रेती घाट क्षेत्र में ही डेढ़ हजार से अधिक पौधों के नश्ट होने की आशंका है। मामले को लेकर प्रर्यावरण प्रेमियों ने कलेक्टर शशांक मिश्र से भी शिकायत की है।

सीधी लाइन को 90 डिग्री मोड़ा

साई मंदिर के पीछे की ओर से आ रही सीवर लाइन को रेती घाट क्षेत्र में सीधे आगे न बढ़ाते हुए नदी के निचले क्षेत्र की आेर करीब 90 डिग्री मोड़ दिया गया है। इस मोड़ से कुछ फीट आगे बढऩे पर फिर पाइप लाइन मो लगभग 90 डिग्री ही मोड़कर नदी के समानांतर बिछाया जा रहा है। इससे पाइप लाइन का आकार उल्टे जेड (अंगेजी का अक्षर) के रूप में बन गया है। जगह-जगह 90 डिग्री पाइप लाइन मोडऩे से इसके चॉक होने की भी आशंका है। सीधे की जगह उल्टे जेड आकार में में पाइ लाइन डालने से पौधे इसकी चपेट में आ गए हैं। पर्यार्वरण प्रेमियों की मांग है कि या तो सीवर लाइन सीधे बिछाई जाए या फिर जो पौधे चपेट में आ रहे हैं, उन्हें नष्ट न करते हुए अन्यत्र विस्थापित किया जाए। अधिकारियों ने बैठक कीसीवरेज लाइन बिछाने से पौधों के नष्ट होने की समस्या को लेकर हाल में वन विभाग, पीएचई व टाटा कंपनियों के अधिकारियों के बीच बैठक भी हुई थी। सूत्रों के अनुसार इसमें तय ले-आउट अनुसार सीवरेज लाइन बिछाने और नष्ट होने वाले पौधों के एवज में उतने ही नए पौधे लगाने का निर्णय लिया गया। बैठक में यह भी बताया गया कि त्रिवेणी से मंगलनाथ तक नदी किनारे सीवरेज लाइन बिछाने में अधिकतम 22 हजार पौधे नष्ट हो सकते हैं।

इनका कहना

इस विषय के संबंध में अधिकारियों से जानकारी लेकर समीक्षा की जाएगी। क्या बेहतर हो सकता है, उस पर निर्णय लेंगे।

– शशांक मिश्र, कलेक्टर

संबंधित विभाग व कंपनी प्रतिनिधि की संयुक्त बैठक में विभिन्न पक्षों पर चर्चा की गई है। प्रयास यही है कि कम से कम नुकसान हो। जल्द ही बैठक के मिनट्स तैयार कर वरिष्ठ अधिकारियों को को प्रस्तुत किए जाएंग।

– डॉ. किरण बिसेन, डीएफओ

कोई भी एेसा नहीं चाहेगा की पौधे नष्ट हों। सीवर लाइन नदी के नजदीक ही बिछाई जाती है। तकनीकी आधार पर सीवर लाइन बिछाई जा रही है। पूरा प्रयास किया जा रहा है कि कम से कम पौधे प्रभावित हो। अमृत मिशन में पहले ही 1.23 लाख पौधे लगाए जा चुके हैं। इसके बावजूद जितने पौधे प्रभावित होंगे, उतने दोबारा लगाए जाएंगे।

– धर्मेंद्र वर्मा, इइ पीएचई

ग्रेडिएंट को ध्यान में रखकर सीवरेज लाइन बिछाई जा रही है। प्रयास यही है कि कम से कम नुकसान हो। पौधों के संबंध में बैठक हुई है जो निर्देश प्राप्त होंगे, उस आधार पर कार्य किया जाएगा।

– शोभित मिश्रा, प्रोजेक्ट मैनेजर टाटा कंपनी

वन विभाग के साथ मिलकर शहरवासियों द्वारा पौधरोपण किया गया था। आज यह क्षेत्र हरियाली से भरकर वन के रूप में विकसित हो रहा है। सीवरेज लाइन बिछाने के लिए मार्ग बदला या या पौधों को विस्थापित किया जाए। इस तरह से पौधों को नष्ट करना उचित नहीं है। हम इसका विरोध करेंगे।

– राजीव पाहवा, संस्था रुपांतरण प्रमुख

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