तत्कालीन प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह ने सरकार के विशेषाधिकार दिए जाने पर करोड़ों के कामों की ताबड़तोड़ अनुशंसाएं कर दी थी। आला अधिकारियों ने मौके का फायदा उठाकर टेंडर किए बगैर सीधे ही चहेती फर्मों से खरीदी की व बाले-बाले निर्माण कार्य करा लिए। अब जांच एजेंसियां जब सारी फाइल खंगालेगी तो अनियमितता के कई किस्से उजागर होंगे। प्रदेश की कमलनाथ सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि सिंहस्थ घोटाले में शामिल रहे अधिकारी, इंजीनियर व अन्य दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। इधर इओडब्ल्यू एसपी राजेशसिंह रघुवंशी का कहना है कि फिलहाल भोपाल मुख्यालय से प्राथमिकी दर्ज होने संबंधी जानकारी मिली है। पत्र व निर्देश मिलने पर जांच शुरू करेंगे।
इन कामों की होना है जांच
– मेला क्षेत्र में 3.50 करोड़ रुपए से एलइडी फिक्चर्स लाइट लगाने का ठेका। 2.5 हजार एलइडी लाइट लगी थी। ये काम नगर निगम के जरिए हुआ है। ये काम एचपीएल इलेक्ट्रिकल ने किया।
– सिंहस्थ एरिया में अस्थायी लाइन व बिजली ट्रांसफॉर्मर, पोल लगाने का 17 करोड़ रुपए का ठेका। फिर इन्हें खोलने के लिए 4.50 करोड़ का ठेका अलग दिया। अंजता वायर एंड फेब्रिकेशन वक्र्स उज्जैन को इसका भुगतान हुआ।
– आगर रोड पर सड़क बनने में देरी होने पर बगैर टेंडर प्रक्रिया सीधे ही दिलीप बिल्डकॉन से करोड़ों रुपए के सड़क निर्माण कार्य करा लिए गए। इनका भुगतान पीडब्ल्यूडी ने किया है।
– मकोडि़या आम से खाकचौक होते हुए मंगलनाथ मंदिर तक 2.9 किमी डिवाइडर, पोल व लाइट लगाने का ठेका। भुगतान पूरा हुआ लेकिन काम मंगलनाथ से सांदीपनि आश्रम करीब 900 मीटर ही हुआ।
– कूलर किराए पर लेने, सेनेटरी पैड, मटके सहित अन्य खरीदी में अनियमितता। लघु उद्योग निगम के माध्यम से महंगी दरों पर ये खरीदी हुई है।