scriptशराब का राज जानने अंग्रेज अफसर ने खुदवा दिया था कालभैरव मंदिर, फिर… | How to Kaal Bhairav drink liquor in Ujjain | Patrika News
उज्जैन

शराब का राज जानने अंग्रेज अफसर ने खुदवा दिया था कालभैरव मंदिर, फिर…

देश में अनेक ऐसे मंदिर हैं जिनके रहस्य आज तक अनसुलझे हैं। महाकाल की नगरी उज्जैन में कालभैरव का मंदिर भी अपने आप में ऐसा ही एक अनूठा और चमत्कारी मंदिर है। जहां भगवान महाकाल को रोज भांग से शृंगारित किया जाता है, वहीं उनके सेनापति कहे जाते कालभैरव दिनभर में क्विंटलों से शराब पी जाते हैं।

उज्जैनDec 06, 2023 / 07:45 pm

deepak deewan

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उज्जैन में कालभैरव का मंदिर

उज्जैन में बुधवार को काल भैरव की सवारी निकल रही है। चांदी की पालकी में सवार भैरव भगवान सशस्त्र जवान, बैंड, ढोल, ताशे, ध्वज, बग्घी के साथ शहर भ्रमण कर रहे हैं। सवारी सिद्धवट मंदिर पहुंचेंगी जहां आरती-पूजन के बाद सवारी पुन: कालभैरव मंदिर जाएगी। इसी के साथ दो दिनी भैरव जन्मोत्सव का समापन हो जाएगा।

देश में अनेक ऐसे मंदिर हैं जिनके रहस्य आज तक अनसुलझे हैं। महाकाल की नगरी उज्जैन में कालभैरव का मंदिर भी अपने आप में ऐसा ही एक अनूठा और चमत्कारी मंदिर है। जहां भगवान महाकाल को रोज भांग से शृंगारित किया जाता है, वहीं उनके सेनापति कहे जाते कालभैरव दिनभर में क्विंटलों से शराब पी जाते हैं।

यह सुनकर अजीब तो लगता है लेकिन है सौ फीसदी सच। उज्जैन में स्थित काल भैरव मंदिर में प्रसाद के रूप में शराब चढ़ाई जाती है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां पर भगवान काल भैरव साक्षात मदिरा पान करते हुए नजर आते हैं। शराब से भरे प्याले मूर्ति के मुंह से लगाते ही देखते देखते प्याले खाली हो जाते हैं। यह शराब कहां जाती है शराब, आज तक कोई नहीं जान सका है।

भगवान भैरवनाथ द्वारा मदिरापान किए जाने का राज जानने के लिए एक अंग्रेज अफसर ने गहरी तहकीकात करवाई। यहां तक कि उसने कालभैरव की मूर्ति के आसपास काफी गहराई तक खुदाई तक करवा दी। इसके बाद भी उसे कुछ नहीं मिला। जब भगवान भैरवनाथ की परीक्षा लेने का कोई नतीजा नहीं निकला तो अंग्रेज अफसर खुद ही बाबा काल भैरव का भक्त बन गया।

बताते हैं कि पुराने समय में यहां सिर्फ तांत्रिक ही आते थे और यहां तंत्र क्रियाएं करते थे। कालभैरव मंदिर को बाद में आम लोगों के लिए भी खोल दिया गया। भगवान भैरव को केवल मदिरा का भोग लगाया जाता है। काल भैरव को मदिरा पिलाने का सिलसिला सदियों से चला आ रहा है।

कौन है कालभैरव
काल भैरव का जिक्र स्कंद पुराण में भी है। मान्यता है कि शिवजी के तीसरे नेत्र से प्रकट बटुक भैरव ने क्रोध में आकर ब्रह्माजी का पांचवां मस्तक काट दिया। इससे उन्हें ब्रह्म हत्या का पाप लगा तो शिव ने भैरव से उज्जैन में क्षिप्रा तट पर ओखर श्मशान के पास तपस्या करने को कहा। तब जाकर उन्हें इस पाप से मुक्ति मिली।

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