International Tea Day: चीन के जंगल में उबलते पानी पर गिर गई थी पत्तियां…..तब हुई थी ‘चाय’ की खोज
International Tea Day: पहले लोग केवल गुमटी, ठेलों पर ही चाय का आनंद लेते थे। इन ठियो पर दोस्तों की राय आपकी जिंदगी बदले या न बदले लेकिन एक चाय चुस्की आपका मूड जरूर बदल देती थी।
International Tea Day: एनर्जी ड्रिंक यानी चाय का बिजनेस बेहद पुराना है। धीरे-धीरे यह गुमटियों से रेस्टोरेंट होटलों तक पहुंचा अब यह हाईटेक ठियो में तब्दील हो चुका है। चाय पिलाना अब स्टैंडर्ड जॉब बन चुका है। टेबल नंबर 7 पर कटिंग चाय देना की आवाज पुरानी बात हो गई है। अब ब्रांडेड दुकानों पर फ्लेवर्ड चाय पीने का टशन युवाओं में देखा जा रहा है। लेमन टी, मसाला चाय, गुड़ वाली चाय आदि फ्लेवर्ड लोगों का स्वाद बदल चुके हैं। इस बदलाव ने चाय के बिजनेस के प्रति नजरिया बदला है। चाय अब एनर्जी ड्रिंक नहीं अमृततुल्य की उपाधि ले चुकी है।
चाय बेचने के लिए युवाओं ने इनोवेटिव आइडियाज पर काम किया है। इनकी फ्लेवर्ड चाय पीकर लोग अब पुराने कैफे हाउस की कॉफी का स्वाद भूल चुके हैं। कोरोना काल के बाद चाय के बिजनेस में काफी नयापन देखा गया है। इससे लोगों को रोजगार तो मिला ही है लोगों में चाय पीने और पिलाने के प्रति नया ट्रेंड शुरू हो गया है। जिन दुकानों पर पहले युवतियां नहीं जाती थी अब वही हाइटेक दुकानों पर चाय का ऑर्डर दे रही हैं। येवले चाय, चाय सुट्टा, एमबीए चायवाला जैसे ब्रांडों ने शहर में चाय की खपत बढ़ा दी है।
रोज 800 से 1000 कप चाय की होती है बिक्री
शहर के शिवम तिवारी ने बताया येवले चाय की फ्रेचाइजी लिए हुए मुझे छह माह हुए हैं। पूरे सेटअप में मुझे 21 लाख रुपए की लागत आई। इसके बाद येवले चाय और अन्य फूड प्रोडक्ट खरीदने के 2 लाख अलग से खर्च हुए। सारी सामग्री पुणे से आती है। उज्जैन में येवले के देवास रोड, नानाखेड़ा, महाकाल, मालीपुरा, इंदिरागांधी चौराहा फ्रीगंज, नई सड़क और आरडीगार्डी को मिलाकर 7 आउटलेट हैं। पहले यहां हर वर्ग के लोग चाय पीने दुकानों पर नहीं जाते थे लेकिन येवले पर आपको बच्चे, युवक-युवतियां और बुजुर्ग सभी व्यक्ति चाय पीते हुए दिख जाएंगे।
कई फ्लेवर्ड की चाय ने लोगों में चाय के प्रति और उत्सुकता और स्वाद बढ़ा दिया है। मेरे शॉप के आसपास बैंक, ऑफिस और यूनिवर्सिटी है। यहां हर वर्ग के कस्टमर चाय पीने आ रहे हैं। यहां 10 रुपए से 130 रुपए तक चाय मिल जाएगी। इसमें शुगर फ्री चाय की कीमत थोड़ी ज्यादा है। इसमें ब्लैक टी, लेमन टी सहित गुड़ की चाय भी आपको एक अलग स्वाद का अहसास कराएगी। कंपनी समय-समय पर कस्टमर से वीडियो बनवाकर सीधे फीडबैक लेती है। दिनभर में हमारे 800 से 1000 कप चाय बिक जाती है।
20 हजार किलो चायपत्ती शहर में प्रतिदिन बिकती है
शहर में प्रतिदिन 15-20 लाख रुपए की चायपत्ती बिक जाती है। करीब 30 दुकानें हैं जो शहर में चायपत्ती बेचती है। इनका प्रतिदिन का कारोबार रिटेल और होलसेल में मिलाकर 20 हजार किलो का हो जाता है। चाय व्यवसायी अशोक जैन ने बताया मैंने तोपखाना में 45 साल पहले बिजनेस शुरू किया था। इसके बाद 2001 से फव्वारा चौक पर मेरी शॉप है जिसमें लगातार मैं कई प्रकार की चायपत्ती की बिक्री कर रहा हूं। अमूमन लोग 280, 340 और 400 रुपए प्रतिकिलो वाली चाय ज्यादा खरीदते हैं। इसमें मोटी और बारीक चाय ज्यादा बिकती है।
ये सभी ब्रांडेड चाय के साथ स्नैक, केक्स और फास्ट फूड और पानी की बॉटल भी रखते हैं जिससे लोग चाय की दुकानों पर ज्यादा समय बिताएं। चाय के कुछ लोकप्रिय प्रकारों में ग्रीन टी, हर्बल टी, इलायची चाय, काली चाय, आइस्ड चाय, अरोमा चाय, केसर चाय, तंदूरी चाय आदि शामिल हैं।
इन शहरों से सप्लाय होती है चाय
उज्जैन में चाय असम, गुवाहाटी, सिलीगुड़ी, दार्जलिंग, कोलकाता कोच्चि नीलगिरी से आयात होती है। असम से आने वाली चाय ज्यादा महंगी होती है। इसमें दार्जलिंग की चाय सबसे स्वादिष्ट होती है। यह तेज सुगंध और रंग के लिए भी प्रसिद्ध है।
माना जाता है यहां पर हुई थी चाय की खोज
कहते हैं कि चाय की खोज ईसा पूर्व 2737 में चीन के सम्राट शेन नॅग ने की। वह उबला पानी पीते थे, एक बार लाव-लश्कर के साथ जंगल से गुजर रहे थे, रास्ते में आराम के वक्त पीने के लिए पानी उबाला जा रहा था कि बर्तन में पेड़ की कुछ पत्तियां गिर गईं, जिससे पानी का रंग बदल गया। इसे पिया गया तो ताजगी महसूस हुई। इसे ही चाय कहा गया लेकिन उसके बाद करीब 2 हजार साल तक ये ‘चाय’ चीन में नदारद रही जो विस्मय पैदा करता है।
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