मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए कृषि क्षेत्र को बढ़ावा जरूरी
मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देना जरूरी है। यह कहना है चिंतक गोविंदाचार्य का। उन्होंने कहा कि मेहनती मोदी के सामने कई चुनौतियां है।
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उज्जैन. देश की कमजोर होती अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देना आवश्यक है। इसके लिए छोटे-छोटे कदम उठाने चाहिए। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेहनती नेता हैं। उनके सामने अनेक चुनौतियां हैं। इससे निपटने के लिए उन्हें ईमानदारी और उद्देश्यों में प्रतिबद्धता के साथ सतत कार्य करना होगा। उक्त बात दिव्य भारत प्रतिष्ठान संस्थापक संरक्षक केएन गोविंदाचार्य ने चर्चा में कही। सोमवार को गंगाघाट मौनतीर्थ पीठ पर आयोजित सनातन प्रवाह कार्यक्रम में शिरकत करने आए गोविंदाचार्य ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था का स्रोत परंपरागत है। इसमें बदलाव करने के स्थान पर प्रोत्साहन देना होगा। कृषि आधारित रोजगार के नए अवसर तलाशने होंगे। देश की वर्तमान आर्थिक स्थिति चिंताजनक तो नहीं, लेकिन चुनौतीपूर्ण है।
तो सिर्फ इनका दौर रहेगा
गोविंदाचार्य ने कहा कि देश की कृषि आधारित परंपरा को ठीक नहीं किया तो आने वाला समय केवल एबीसीडी का यानी ए फॉर अर्दली, बी फौर बेरा (वेटर), सी फौर चौकीदार और डी फॉर ड्राइवर का होगा। इससे बचने लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए। वित्त मंत्री से हाल में बड़े कारर्पोरेट सेक्टरों को कर से राहत प्रदान की है। एेसी राहत की जरूरत तो छोटे कारर्पोरेट सेक्टरों थी। नोटबंदी और जीएसटी को जिस उद्देश्य से लागू किया था,उसका लाभ देश को नहीं मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बारे में गोविंदाचार्य कहा कि पीएम मोदी की मंशा ठीक है, वो बहुत मेहनत करते हैं। धारा ३७० खत्म करने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। कुछ काम हुआ और कुछ बच गया। पूर्व में मोदी के संबंध में सीखने के बयान को लेकर गोविंदाचार्य ने कहा कि सीखना एक अनवरत प्रक्रिया है। वर्तमान व्यवस्था से निपटने के लिए हमें विचारधारा, पद्धति और आचरण तीनों स्तर पर स्पष्टता, समझ और प्रतिबद्धता की जरूरत है। दिव्य भारत प्रतिष्ठान पूरी तरह धर्मबोध एवं शौर्यबोध के पुनर्जागरण के लिए कार्य कर रहा है। गोविंदाचार्य ने कहा कि उनका राजनीति में आने का कोई इरादा नहीं है। वे जो कार्य कर रहे हैं, उससे संतुष्ट हैं। दिव्य भारत प्रतिष्ठान के राष्ट्रीय अध्यक्ष संत सुमनभाई के साथ भारतीय सनातन परंपरा से ओझल हो चुके धर्मबोध एवं शौर्यबोध के पुनर्जागरण के लिए कार्य किया जा रहा है।
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