डेढ़ माह से भक्तों को दूर से दर्शन करना पड़े थे
सावन-भादौ में डेढ़ माह से भक्तों को दूर से दर्शन करना पड़े थे। इसके बाद मंदिर में सुबह और दोपहर में दो-दो घंटे वीआइपी के लिए रिजर्व समय रखा गया। यह समय पहले एक-एक घंटे का था, जिसे बाद में बढ़ाकर दो-दो घंटे कर दिया गया। इसको लेकर पत्रिका ने महाकाल मंदिर में वीआइपी व्यवस्था से आम श्रद्धालुओं को हो रही परेशानी को उठाया। साथ ही पत्रिका उज्जैन के फेसबुक पेज पर भी अभियान चलाया, जिसमें शहरवासियों ने वीआइपी कल्चर को खत्म करने के लिए आवाज उठाई। इस मामले में आम श्रद्धालुओं की जीत हुई और शुक्रवार 6 सितंबर से वीआइपी कल्चर पर विराम लग गया।
फेसबुक पर देखें वीडियो : महाकाल में वीआईपी कल्चर खत्म, गर्भगृह से दर्शन कर अभिभूत हुए
वीआइपी भी कतार मेंंं
शुक्रवार को भी आम दर्शनार्थियों को गर्भगृह से दर्शन कराए गए, तो दूर-दराज से आए श्रद्धालु गदगद हो गए। उनका कहना था कि बाबा पर जल-दूध अपने हाथों से अर्पण करने का अब हमें सौभाग्य मिला। मंदिर में कोई भी वीआइपी नहीं होता, सब बराबर हैं। इस बीच कुछ वीआइपी भी आए तो उन्हें प्रोटोकॉल से 6 नंबर गेट तक लाकर आम श्रद्धालुओं की कतार में लगा दिया गया। उन्होंने भी सामान्य दर्शनार्थियों के साथ बाबा महाकाल के दर्शन किए। बता दें, पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर ने वीआइपी समय में आम दर्शनार्थियों की कतार में लगकर दर्शन किए थे।
महाकाल मंदिर में 15 दिन भी नहीं चल पाई वीआइपी कल्चर को विराम देने वाली व्यवस्था
महाकाल मंदिर की दर्शन व्यवस्था पर बड़ा फैसला, कोई वीआइपी नहीं
यह बोले दर्शनार्थी
झालावाड़ से आए जितेंद्र शर्मा ने कहा कि महाकाल मंदिर में हम लोग पहले भी आ चुके हैं, लेकिन बाहर से दर्शन करके चले गए थे। अब गर्भगृह से दर्शन हुए तो बहुत अच्छा लगा। ऐसी व्यवस्था हमेशा बनी रहना चाहिए।
जबलपुर से आए सुनील नहारे ने कहा कि अर्से बाद महाकाल पर जल-दूध चढ़ा पाए, यात्रा सफल हो गई। मंदिर प्रबंधन इस प्रकार की व्यवस्था को आगे भी बनाए रखे।
वलसाड़ (गुजरात) से आए अजय प्रजापत ने बताया कि यहां सब बराबर हैं, कोई वीआइपी नहीं होता। कतार में लगकर दर्शन करने का अलग आनंद है।
दिल्ली से आए कुलवंत सिंह ने कहा कि काफी समय बाद आने का संयोग बना। यह सौभाग्य है कि मैंने महाकाल पर जल-दूध अर्पण किया, जीवन धन्य हो गया।