(Video) किराया पूरा दो, नहीं तो ये भी वापस नहीं दूंगा और रास्ते में ही उतार दूंगा
रायल ट्रैवल्स की बस में दिव्यांगों को नहीं मिल रहा किराये में 50 प्रतिशत छूट का लाभ, अपमानित कर रहे कंडक्टरपत्रिका के हस्तक्षेप के बाद दिव्यांग को किराये में मिली छूट
रायल ट्रैवल्स की बस में दिव्यांगों को नहीं मिल रहा किराये में 50 प्रतिशत छूट का लाभ, अपमानित कर रहे कंडक्टरपत्रिका के हस्तक्षेप के बाद दिव्यांग को किराये में मिली छूट
अनिल मुकाती.
पत्रिका आंखों देखी
उज्जैन. राज्य शासन के निर्देश पर परिवहन विभाग की ओर से बस किराये में दी गई ५० प्रतिशत छूट का लाभ दिव्यागों को नहीं मिल पा रहा है। बस में सफर के दौरान बस स्टाफ दिव्यांगों से अभद्रता कर रहे हैं, साथ ही मेडिकल बोर्ड की ओर से जारी किया गया प्रमाणपत्र भी स्वीकार नहीं कर रहे हैं। ऐसे में दिव्यांग जन खुद को अपमानित महसूस कर रहे हैं। मंगलवार को उज्जैन से इंदौर जा रही बस में भी एक ऐसा ही वाक्या हुआ। इसमें एक मूक बधिर युवक ने बस कंडक्टर को खुद के दिव्यांग होने का हवाला दिया और प्रमाण पत्र भी दिखाया, लेकिन कंडक्टर उसे बस से उतारने की धमकी भी देने लगा। इस पर बस में मौजूद पत्रिका टीम ने हस्तक्षेप किया और बस स्टाफ को परिवहन विभाग के निर्देश के बारे में बताया। इसके बाद बस स्टाफ माना और युवक को बस में बैठने दिया। यह तो एक वाक्या है, लेकिन रोज कई बार ऐसा होता होगा, जब अपना हक लेने के लिए दिव्यांगों को अपमानित होना पड़ता होगा।
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हमारा जब चालान कटता है ना, तो पुलिस वाले हमें छूट नहीं देते
दोपहर 2.45 बजे रायल ट्रैवल्स की बस (एमपी 13 पी 3785) नानाखेड़ा बस स्टैंड से रवाना होती है। बस पूरी भरी हुई है। पीछे की सीट पर मूकबधिर युवक बान्ता प्रसाद भी बैठा है। तभी कंडक्टर टिकट के लिए आता है। बांता प्रसाद से किराया मांगने पर वह उज्जैन से इंदौर तक का आधा किराया 30 रुपए देता है। इस पर कंडक्टर कहता है कि किराया 60 रुपए लगेगा। यह सरकारी बस नहीं है। बांता प्रसाद उसे आरटीओ की ओर से किराये में छूट के लिए बनाया गया प्रमाण पत्र दिखाता है, लेकिन कंडक्टर टस से मस नहीं होता है। वह मोबाइल पर टाइप कर उसे समझाने की कोशिश करता है। इस पर कंडक्टर उससे अभ्रदता करते हुए कहता है कि पूरा किराया दे दो, नहीं तो ये ३० रुपए भी रख लूंगा और यहीं उतार दूंगा। इस पर बांता प्रसाद रुंआसा होकर उससे फरियाद करने लगता है। इस पर कंडक्टर कहता है कि जब हमारा चालान कटता है तो हमें कोई छूट नहीं मिलती, कोई बस से टकरा जाए तो पुलिस हमें ही पकड़ती है। इसके बाद कंडक्टर बांता प्रसाद से तेज आवाज में बात करने लगता है। काफी हुज्जत करने के बाद कंडक्टर उसे आगे बस ड्राइवर के पास जाने को कहता है। बांता प्रसाद आगे जाता है तो वहां भी उसके साथ अभद्रता होने लगती है। वह इशारों में लगातार समझाने की कोशिश करता है, लेकिन कोई उसकी बात नहीं समझता है। बस जब शनि मंदिर के आगे पहुंचती है तो बांता प्रसाद को बस से उतारने के लिए चालक बस धीमी करने लगता है। इस पर बांता प्रसाद अपने मोबाइल से बस स्टाफ का फोटो लेने की कोशिश करता है। तभी स्टाफ का एक आदमी उसका मोबाइल नीचे कर देता है। यह सारा नजारा देखने के बाद पत्रिका संवाददाता कंडक्टर और स्टाफ को नियमों के बारे में बताता है। इस पर बस स्टाफ थोड़ा नरम होता है और बांता प्रसाद को बस से नहीं उतारा जाता है।
यह है नियम
क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी की ओर से जारी आदेश के अनुसार मप्र राजपत्र असाधारण प्राधिकार से प्रकाशित परिवहन विभाग द्वारा जारी दिनांक 27.10.2016 के अनुसार समस्त प्रक्रम बस (यात्री बस) सेवाओं में विभिन्न प्रकार के दिव्यांग व्यक्तियों को प्रभारित किराये में 50 प्रतिशत की छूट प्रदान की गर्ई है। इसके लिए दिव्यांग व्यक्ति को मेडिकल बोर्ड की ओर से जारी प्रमाण पत्र दिखाना होगा। अगर बस स्टाफ पूरा किराया लेता है तो संबंधित दिव्यांग उसकी शिकायत आरटीओ के साथ ही नजदीकी पुलिस थाने में भी कर सकता है।
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मैंने कुछ गलत तो नहीं किया, बस में सूचना लिखवाना चाहिए
राहत की सांस लेने के बाद बांता प्रसाद ने इशारों में पत्रिका को धन्यवाद दिया और मोबाइल पर टाइप कर बताया कि मैंने कुछ गलत तो नहीं किया। सरकार की ओर से दिव्यांगों को दी गई छूट की बात ही तो कही थी। ऐसा हर बस में मेरे साथ होता है। सरकार ने नियम तो बना दिए, लेकिन इसका कितना पालन हो रहा है, यह भी तो देखना चाहिए। आरटीओ विभाग को हर बस में दिव्यांगों को मिलने वाली छूट की सूचना चस्पा करवाना चाहिए। ताकी रोज-रोज दिव्यांगों को अपमानित नहीं होना पड़े।
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