दो जेठ आ रहे हैं इस बार
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डिब्बावाला ने बताया कि इस बार ज्येष्ठ मास का प्रथम क्रम से संयोग बना है, अर्थात दो जेठ इस बार आ रहे हैं। प्रथम शुद्ध पक्ष के अमावस्या पर शोभन योग के साथ-साथ प्रात: १०.५७ से सर्वार्थ सिद्धि योग भी आरंभ होगा। आमतौर पर ज्येष्ठ अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि जैसे योग नहीं बनते। ये अपने आपमें विशिष्ट हैं। इस दिन शनि मंत्र , जप, पाठ व दान विशेष महत्वपूर्ण रहेंगे। जिन जातकों को साढ़े साती, महादशा, अंतर्दशा चल रही हो, ऐसे जातकों को शनि की अनुकूलता प्राप्त करने के लिए शनिदेव पर तिल्ली का तेल, काला उड़द, काली तिल्ली, वस्त्र, पानी वाला नारियल, स्टील बर्तन, नमकीन वस्तु, गुड़ आदि का दान करने से शनि की कृपा प्राप्त होती है।
वर्तमान में वक्री हैं शनि
ग्रह गोचर की गणना से देखें तो वर्तमान में शनि 14 अंश, ३१ कला तथा 16 विकला के साथ में वक्री चल रहे हैं। शास्त्रीय गणना से देखें तो वक्रगत प्रभाव अलग-अलग राशियों पर अलग-अलग पड़ता है। यही नहीं जैसे देखें तो शनि का वर्तमान में धनु में परिभ्रमण किंतु वक्र गत दृष्टि है, तो वक्री होकर हम देखें तो शनि का वृश्चिक, धनु, मकर राशि में अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा। साथ ही वक्र गत दृष्टि से देखें तो तुला पर अंतिम ढैया वक्री हुआ है। यह परेशानी तथा उलझन में डालता है, साथ ही न किए गए कार्यों को आरोपित भी करता है। एवं मिथुन राशि को देखें तो शनि का प्रभाव निश्चित फल देने वाला रहेगा। मेष राशि पर रोग दोष की निवृत्ति के उपचार के लिए अनुकूलता दे सकती है। वहीं धनु, मकर और कुंभ पर शनि का मिश्रित प्रभाव होगा। इन जातकों को अधिक अनुकूलता के लिए शनि के वैदिक जप, शनि का हवनात्मक अनुष्ठान करना चाहिए। साथ ही शनि की विशेष कृपा पाने के लिए भिक्षुकों को भोजन या पक्षियों को दाना डालना चाहिए।
६ सितंबर तक रहेंगे शनि वक्री
पंचांगीय गणना तथा शनि के परिभ्रमण की दृष्टि से देखें तो शनि का वक्रत्व काल 6 सितंबर तक रहेगा। इस दौरान प्राकृतिक सिद्धांत की गणना से देखें तो वक्रगत शनि के प्रभाव ऋतुकाल को भी प्रभावित करेंगे। चूंकि वर्तमान में जो आंधी-तूफान चल रहे हैं, वे शनि की वक्रगत दृष्टि तथा अन्य ग्रहों से दृष्टि संबंध के आधार पर पश्चिम उत्तर दिशा को प्रभावित करेंगे। यहां पर आने वाले महीनों पर भी प्राकृतिक अस्थिरता का अनुभव होगा, अर्थात असमय आंधी-तूफान तथा वर्षा की स्थिति बनेगी। 6 सितंबर के बाद प्राकृतिक दृष्टिकोण से संतुलन बनेगा।
मंदिरों में होंगे अभिषेक- महाआरती
ज्येष्ठ मास की अमावस्या को सूर्य व छाया के पुत्र शनि देव का जन्मोत्सव मनाया जाता है। शनि जयंती महोत्सव मंगलवार को ज्येष्ठ अमावस्या पर मनाई जाएगी। शनि कृपा के लिए भक्त शनि जयंती पर जप-तप करेंगे। भगवान शनि को तेल चढ़ाकर और दान कर पुण्य प्राप्त करेंगे। इस अवसर पर मंदिरों में अभिषेक- महाआरती होगी।
चल समारोह भी निकाला जाएगा
नगर में शनि जयंती धूमधाम से मनाई जाएगी। इंदौर रोड पर त्रिवेणी स्थित नवग्रह शनि मंदिर में दर्शन, पूजन, आरती होगी। मंदिर प्रांगण में शाम को भजन संध्या होगी। इस अवसर पर भगवान को छप्पन भोग लगाया जाएगा। ढाबा रोड स्थित गेबी हनुमान की गली के सामने शनि मंदिर में भी धार्मिक अनुष्ठान, शृंगार होगा। नगर के अन्य शनि मंदिरों में भी कार्यक्रम के साथ जयंती मनाई जाएगी। शनिदेव मंदिर निकास चौराहा में शनि जयंती धूमधाम से मनेगी। शनिदेव मंदिर समिति के हेमंत लश्करी ने बताया कि मंगलवार शाम ६.३० बजे मंदिर में शनिदेव की महाआरती होगी। इसके बाद मंदिर के सामने स्थित गोवर्धन औषधालय के मैदान में भंडारा होगा। सप्तऋषि मंदिर गयाकोठा के पास ग्यारह मुखी हनुमान मंदिर पर शनि जयंती के अवसर पर सुंदरकांड का आयोजन किया जा रहा है। संयोजक रवि राय ने बताया कि इस अवसर पर महाआरती एवं महाप्रसादी का आयोजन किया जाएगा।