उज्जैनPublished: May 26, 2023 12:44:33 pm
aashish saxena
शहर में लगने वाले स्वास्थ्य शिविरों में चौंकाने वाले हालात सामने आ रहे, कहीं २७ फीसदी प्री डायबिटीक पाए गए तो कहीं 10 प्रतिशत अधंत्व के नजदीक मिले
उज्जैन.
30 की उम्र के बाद नियमित स्वासथ्य परीक्षण नहीं करवाना, कई माममलों में गंभीर परिणाम दे रहा है। विशेषकर डायबिटीज के मामले में जिले में ही ऐसे कई नए मरीज सामने आ रहे हैं जिनका शुगर लेवल २५० के पार है और उन्हेंं डायबिटीक होने का पता तक नहीं था। यही नहीं, बीमारी को लंबे समय तक नजर अंदाज करने से शरीर के अन्य अंग खराब होने के केस भी मिल रहे हैं।
विभिन्न सामाजिक व स्वास्थ्य संगठन, एनजीओ या अन्य माध्यम से जिले में समय-समय पर हैल्थ चेकअप कैंप आयोजित होते हैं। सामान्य गतिविधि की तरह लगने वाले इन शिविरों की रिपोट्स डायबिटीज के पुराने मरीजों के साथ युवाओं को भी अलर्ट करने वाली है। क्योंकि शिविर में ऐसे कई युवाा मिल रहे हैं जो अनायास कैंप में आए और जांच में उन्हें पता चला कि वे डायबिटीक या प्री-डायबिटीक हैं। शिविर आयोजक कहते हैं कि ऐसे युवाओं के लिए यह चौकाने वाला समय होता है क्योंकि इससे पहले उन्हें अंदाजा ही नहीं था कि वे मधुमेह से ग्रस्त हैं। पत्रिका ने हाल ही में आयोजित कुछ स्वास्थ्य परीक्षण शिविरों की रिपोट्स की समीक्षा की। आंकड़ों की स्थिति वाकई भयावह और सचेत करने वाली मिली हैं।
शुगर से अंधत्व की समस्या बढ़ रही
जिला रेड क्रोस सोसायटी सचिव ललित ज्वैल बताते हैं, हाई ब्लड शुगर से डायबिटिक रेटिनोपैथी नामक, मोतियाबिंद और ग्लूकोमा जैसी बीमारी हो सकती है। चिंता की बात है कि आज भी कई मरीज डायबिटीज के गंभीर परिणामों को लेकर सचेत नहीं है। शुगर के ऐसे मरीज भी सामने आते हैं जिन्हें देखने में समस्या होने पर वे चिकित्स के पास नहीं जाते बल्कि चश्मे की दुकान से कम्प्युटराइज्ड जांच करवाते और बढ़े हुए नंबर का चश्मा पहन लेते हैं। कुछ समय बाद उन्हें फिर दृष्टी बाधा होती है। नेत्र परीक्षण शिविर में ऐसी स्थितियां सामने आ रही हैं।