उन्होंने कहा कि हवन यज्ञ से वातावरण एवं वायु मंडल शुद्ध होने के साथ-साथ आत्मिक बल मिलता है। हर कथा या अनुष्ठान का तत्व सार होता है। जो मन बुद्धि व चित्त को निर्मल कर देता है, मनुष्य शरीर भी भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है। जीवन में प्रसाद का अपमान करने से भगवान का ही अपमान होता है। भगवान को लगाए गए भोग से बचा हुआ शेष भाग मनुष्य के लिए प्रसाद बन जाता है, कथा समापन के दिन रविवार 14 जनवरी को विधि विधान से पूजा करवाई गई। दोपहर में यज्ञ के बाद देर शाम तक भंडारा लगाकर प्रसाद बांटा गया।