29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मां चंडिका देवी धाम: महर्षि वक्र ने मां दुर्गा के महत्व को बताया, दुर्गा सप्तशती के नाम से हुआ विख्यात

मां चंडिका देवी सिद्ध पीठ का पौराणिक महत्व है। यहीं पर महान तपस्वी वक्र ने मां दुर्गा के महत्व के विषय में बताया था। जो दुर्गा सप्तशती के नाम से विख्यात है। गंगा तट पर स्थित यह धाम लखनऊ, कानपुर, उन्नाव, रायबरेली, फतेहपुर से सड़क मार्ग से जुड़ा है।

2 min read
Google source verification
नवरात्र स्पेशल: मां चंडिका देवी धाम बक्सर उन्नाव

मां चंडिका देवी धाम उन्नाव में मां चंडिका और मां अंबिका के विग्रह

चैत्र नवरात्र के पावन अवसर पर मां चंडिका देवी धाम में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। गंगा नदी के किनारे स्थित मां चंडिका देवी धाम का पौराणिक महत्व है। माता के दो विग्रह है। जिनकी मां चंडिका और मां अंबिका के रूप में पूजा की जाती है। दोनों विग्रह के सामने गंगा नदी बह रही है। यहां रोजाना मुंडन, कर्ण छेदन आदि संस्कार होते रहते हैं। मंदिर के पुजारी पंडित विजय कुमार तिवारी ने बताया कि चंडिका देवी मंदिर का उल्लेख पुराणों में भी है। यहीं पर दुर्गा सप्तशती की रचना हुई है।

यह भी पढ़ें: एलआईसी अमृत बाल योजना: मिलता है गारंटी युक्त बोनस, लोन की सुविधा भी उपलब्ध

मां गंगा के तट पर स्थित चंडिका देवी धाम के पंडित विजय शंकर तिवारी ने बताया कि पौराणिक काल में परम तपस्वी वक्र ऋषि का आश्रम भी यहीं पर था। जिनके नाम से क्षेत्र को बक्सर के नाम से जाना गया। मां चंडिका और मां अंबिका की मूर्ति स्वयं उत्पन्न हुई है। जिनका उल्लेख पुराणों में भी है।

मेघा ऋषि ने मां दुर्गा के महत्व को बताया

मेघा ऋषि ने यहां पर 'मां दुर्गा' के महत्व के विषय में राजा सूरथ और समाधि वैश्य को सुनाया था। जो आगे चलकर दुर्गा सप्तशती के नाम से विख्यात हुआ। महाभारत काल के दौरान बलराम ने भी यहां की यात्रा की। जो भक्त मैया के दरबार में सच्चे मन से माथा टेकता है। उनकी मुरादे पूरी होती हैं। शक्कर के अंदर खोवा भरकर बनाई कुशली भक्तों को पसंद है।

कैसे पहुंचे सिद्ध पीठ मां चंडिका देवी धाम?

बक्सर स्थित सिद्ध पीठ मां चंडिका देवी धाम लखनऊ, कानपुर, उन्नाव रायबरेली, फतेहपुर से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। जिला मुख्यालय से सिद्ध पीठ करीब 55 किलोमीटर है। लाल कुआं, ऊंचगांव होते हुए मां के दरबार तक पहुंचा जा सकता है। लखनऊ, रायबरेली से आने वाले भक्त उन्नाव-रायबरेली मार्ग पर स्थित बिहार तिराहे से मनकापुर, ऊंचगांव होते हुए मां के दरबार पहुंच सकते हैं।