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उन्नाव

आपके बच्चों के लिये जानलेवा है ये दूध, सरकार लोगों को कर रही जागरूक

कहीं आप भी तो नहीं अपने बच्चे के लिये दूधिये से ले रहे दूध, जान तक जा सकती है, मुख्यपशु चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि डेयरी पर इसका प्रयोग ज्यादा हो रहा है, यक्ष प्रश्न क्या खिलाए अपने नौनिहालों को

उन्नावAug 18, 2018 / 05:32 pm

Narendra Awasthi

कहीं आप भी तो नहीं अपने बच्चे के लिये दूधिये से ले रहे दूध, जान तक जा सकती है

oxcytocine

उन्नाव. बच्चों को पिलाया जाने वाला दूध अब सेहत के लिए खतरनाक बन गया है। यह दूध उनके मानसिक विकास और शारीरिक विकास को रोक रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं कि जो दूध आप अपने बच्चे के लिए दुनिया से ले रहे हैं वह खतरनाक है और दूध के रूप में दुनिया से ज़हर ले रहे हैं। इसका प्रयोग डेयरी में अधिक हो रहा है। औषधि निरीक्षक को इस दिशा में अभियान चलाकर अवैध रूप से प्रयोग किए जा रहे ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन को जब्त करना चाहिए। यह जानकारी मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर प्रमोद कुमार सिंह ने दी। उन्होंने कहा कि आक्सीटोसिन इन्जेक्शन का प्रयोग कर पशुपालकों और दुग्ध उत्पादकों द्वारा दुधारू पशुओं को बलपूर्वक यातना देकर उनका दूध निकाला जा रहा है। ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का असर मनुष्य के शरीर पर तो पड़ता ही है। साथ ही पशुओं में भी गंभीर स्थिति उत्पन्न होती है। इस संबंध में उन्होंने पशुपालक और दूध उत्पादकों से अपील की है कि ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन के उपयोग से बच्चे और प्रशासन को अपना सहयोग दें। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. प्रमोद कुमार सिंह ने बताया कि निदेशक, प्रशासन एवं विकास पशुपालन विभाग, उ.प्र. लखनऊ द्वारा दिये गये निर्देशों के के अनुसार पशुपालकों को इसकी जानकारी दी जा रही है और जागरुक किया जा रहा है।
पशुओं को खुला छोड़ना भी अपराध

दुग्ध उत्पादन में ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है। यह जानकारी निदेशक द्वारा जनपद मुख्यालय को दी गई है। जिसके प्रयोग में रोकथाम के लिए दिशा निर्देश भी दिए गए हैं। इसका दुष्परिणाम मानव शरीर पर तो पड़ता ही है, साथ ही पशुओं में भी हारमोनल असंतुलन के कारण बांझपन व अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्यायें उत्पन्न हो जाती है। मुख्यपशु चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि डेयरी उद्योग में लगे लोग ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग ज्यादा करते हैं। जबकि डेयरी उद्योग को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग ना करें। उन्होंने कहा कि औषधि निरीक्षक को सघन अभियान चलाकर ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन के प्रयोग पर रोक लगाने का प्रयास करना चाहिए। डॉ प्रमोद कुमार सिंह ने कहा कि डेयरी उद्योग में पाले गये दुधारू पशुओं के बछडों को छुट्टा छोड़ दिया जाता है। बछडे़ खेती को नुकसान पहुंचाते हैं, जिसके कारण उनके प्रति कू्ररता किया जाना भी संज्ञान में आया है।

बछडों को पशुपालन विभाग के सहयोग से निःशुल्क बधियाकरण करायें

उन्होंने समस्त पशुपालकों व डेयरी मालिकों से अनुरोध किया है कि आक्सीटोसिन इन्जेक्शन का प्रयोग न करें तथा बछडों को खुला न छोडें। अपितु जीवन निर्वाह हेतु भरण पोषण की व्यवस्था कर डेयरी पर रखें एवं उनके गोबर का प्रयोग बायोगैस बनाने तथा गोबर की खाद बनाकर उपयोग करें। उन्होंने बताया कि उन बछडों को पशुपालन विभाग के सहयोग से निःशुल्क बधियाकरण भी करायें। उन्होंने बताया कि पाले गये पशुओं को निराश्रित एवं खुला छोड़ देना पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम के प्राविधानों का उल्लंघन है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने समस्त पशुपालकों व डेयरी मालिकों से अपील की है कि इन सुझावों को निर्देश मान कर अपनायें।

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