पशुओं को खुला छोड़ना भी अपराध दुग्ध उत्पादन में ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है। यह जानकारी निदेशक द्वारा जनपद मुख्यालय को दी गई है। जिसके प्रयोग में रोकथाम के लिए दिशा निर्देश भी दिए गए हैं। इसका दुष्परिणाम मानव शरीर पर तो पड़ता ही है, साथ ही पशुओं में भी हारमोनल असंतुलन के कारण बांझपन व अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्यायें उत्पन्न हो जाती है। मुख्यपशु चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि डेयरी उद्योग में लगे लोग ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग ज्यादा करते हैं। जबकि डेयरी उद्योग को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग ना करें। उन्होंने कहा कि औषधि निरीक्षक को सघन अभियान चलाकर ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन के प्रयोग पर रोक लगाने का प्रयास करना चाहिए। डॉ प्रमोद कुमार सिंह ने कहा कि डेयरी उद्योग में पाले गये दुधारू पशुओं के बछडों को छुट्टा छोड़ दिया जाता है। बछडे़ खेती को नुकसान पहुंचाते हैं, जिसके कारण उनके प्रति कू्ररता किया जाना भी संज्ञान में आया है।
बछडों को पशुपालन विभाग के सहयोग से निःशुल्क बधियाकरण करायें उन्होंने समस्त पशुपालकों व डेयरी मालिकों से अनुरोध किया है कि आक्सीटोसिन इन्जेक्शन का प्रयोग न करें तथा बछडों को खुला न छोडें। अपितु जीवन निर्वाह हेतु भरण पोषण की व्यवस्था कर डेयरी पर रखें एवं उनके गोबर का प्रयोग बायोगैस बनाने तथा गोबर की खाद बनाकर उपयोग करें। उन्होंने बताया कि उन बछडों को पशुपालन विभाग के सहयोग से निःशुल्क बधियाकरण भी करायें। उन्होंने बताया कि पाले गये पशुओं को निराश्रित एवं खुला छोड़ देना पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम के प्राविधानों का उल्लंघन है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने समस्त पशुपालकों व डेयरी मालिकों से अपील की है कि इन सुझावों को निर्देश मान कर अपनायें।