scriptउन्नाव: मां जानकी बिना श्री राम के विराजमान, यह है लव-कुश की कर्मस्थली, राम सर्किट में शामिल | Unnao: Maiya Janki present without Shri Ram, work place of Luv-Kush | Patrika News
उन्नाव

उन्नाव: मां जानकी बिना श्री राम के विराजमान, यह है लव-कुश की कर्मस्थली, राम सर्किट में शामिल

श्री राम 22 जनवरी को रामलला के रूप में अपने नए भवन में प्रवेश कर रहे हैं। चारों तरफ खुशियां हैं। लेकिन महर्षि वाल्मीकि आश्रम के पौराणिक मंदिर में मैया सीता श्री राम के बिना ही विराजमान है। उनके साथ लव और कुश है।

उन्नावJan 20, 2024 / 07:02 pm

Narendra Awasthi

लव-कुश के साथ विराजमान मैया सीता

मां जानकी का एकमात्र मंदिर, जहां बिना श्री राम के विराजमान है

श्री राम प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान को लेकर अयोध्या राम मय हो गई है‌। भक्तों का तांता लगा है। आगामी 22 जनवरी को रामलला अपने नए भवन में विराजमान होंगे। लेकिन जानकी कुंड परियर पौराणिक स्थल में स्थापित मंदिर में मैया सीता श्री राम के बिना ही विराजमान है। मुख्य पुजारी पंडित रमाकांत तिवारी ने बताया कि वनवास काल के दौरान महर्षि वाल्मीकि ने मैया सीता को आश्रय दिया था। यह पूरा क्षेत्र त्रेता युग में हुई घटनाओं से जुड़ी है। अश्वमेध यज्ञ के दौरान छोड़े गए घोड़े को पकड़ने के निशान मौजूद हैं। वह वटवृक्ष जहां लवकुश ने घोड़े को बांधा था, मौजूद है।

यह भी पढ़ें

कड़ाके की ठंड: विद्यालयों की छुट्टी का आया नया आदेश, जानें कब खुलेगा विद्यालय

महर्षि वाल्मीकि आश्रम जानकी कुंड परियर लोगों के आस्था का मुख्य केंद्र है। वैसे तो प्रतिदिन यहां भक्तों का आना-जाना बना रहता है। लेकिन जानकी जयंती प्रतिवर्ष धूमधाम से मनाई जाती है। जानकी कुंड परियर स्थित मंदिर में मां जानकी लव और कुश के साथ विराजमान है।‌ पास में ही वह कुआं भी स्थापित है। जहां मैया ने भू-समाधि ली थी। ‌महर्षि वाल्मीकि की भव्य मूर्ति लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। यहां पर अखंड रामायण का पाठ भी होता रहता है। मैया भक्तों की मनोकामना को पूरी करते हैं।

लव-कुश की कर्म भूमि

मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित रमाकांत त्रिपाठी ने बताया कि लव-कुश का जन्म यहीं पर हुआ था। ‌यह पूरा क्षेत्र लव-कुश की कर्मस्थली है। कुश ने नवाबगंज विकासखंड के गांव कुसुंभी माता की स्थापना की थी। जो कुशहरी देवी के नाम से विख्यात है। देवी मंदिर के सामने काफी बड़ा तालाब है। जो यहां की शोभा को बढ़ाता है। नवरात्रों के समय में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है। तालाब में स्थित मछलियों को भोजन भी कराया जाता है।

भूमेश्वर और बलखंडेश्वर की भी स्थापना हुई

महर्षि वाल्मीकि आश्रम के साथ भूमेश्वर महादेव, बलखंडेश्वर महादेव का नाम भी जुड़ा हुआ है। भुमेश्वर महादेव की स्थापना मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने उस समय की जब वह अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को लेने के लिए आए थे। बाल्मिक आश्रम में प्रवेश के पहले उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की। जिसे भूमेश्वर नाम से जाना जाता है। महर्षि वाल्मीकि ने श्री राम के बल को खंडित करने के लिए बलखंडेश्वर महादेव की स्थापना की। सावन के महीने में जलाभिषेक करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

केंद्र सरकार पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रही

केंद्र सरकार ने जानकी कुंड परियर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रहा है। पर्यटन मंत्रालय के सहयोग से यह कार्य हो रहा है। आश्रम को राम सर्किट से भी जोड़ा गया है। महर्षि वाल्मीकि आश्रम कानपुर और उन्नाव से सड़क मार्ग से जुड़ा है कानपुर से बिठूर होते हुए जानकी परियर का रास्ता सुलभ है। जबकि उन्नाव से चकलवंशी होते हुए परियर जाया जा सकता है।

Home / Unnao / उन्नाव: मां जानकी बिना श्री राम के विराजमान, यह है लव-कुश की कर्मस्थली, राम सर्किट में शामिल

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो