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निषाद पार्टी ने सपा से नाता जोड़ लिया है। पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में चौहान समाज की रैली में अखिलेश यादव मुख्य अतिथि थे इससे माना जा रहा है कि चौहान समाज भी सपा के साथ जा सकता है। स्वामी प्रसाद मौर्या के दामाद को अखिलेश ने पहले ही सपा में शामिल किया हुआ है। इस संदेश से साफ हो जाता है कि इस बार सपा को जितनी सीटे मिलेगी उस पर यादव के अतिरिक्त अन्य पिछड़ी जाति को भी चुनाव लडऩे का मौका मिल सकता है ऐसे में सपा छोटे दलों को अपनी सीट देगी तो पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसे में अखिलेश यादव छोटे दलों के नेता को अपने सिंबल पर चुनाव लड़ा सकते हैं जिससे सपा की सीट भी बचेगी और छोटे दलों से जुड़ी जातियों को सपा से जुडऩे का मौका मिल जायेगा।
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सपा ने सोशल इंजीनियरिंग को लेकर जो नया प्रयोग किया है उससे बीजेपी बैकफुट पर चली गयी है। सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने सीएम योगी सरकार को निशाना बनाया हुआ है। इसके बाद भी बीजेपी ने कोई कार्रवाई नहीं की है। इसके विपरीत बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को सुभासपा से वार्ता करने के लिए लखनऊ आना पड़ा है इससे साफ हो जाता है कि बीजेपी किसी भी हाल में पार्टी से जुड़ी हुई जातियों को छोडऩे वाली नहीं है क्योंकि भगवा पार्टी जान गयी है कि सोशल इंजीनियरिंग से दूर होने के चलते ही गोरखपुर व फूलपुर चुनाव में पार्टी को बड़ी हार मिली है।
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