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उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में अधिक महिलाओं की जरूरत है। शिक्षा में करीब 60 और आंगनबाड़ी में 100 फीसदी महिलाएं काम कर रही हैं। घर पर 3 साल तक माताएं बच्चों को संस्कार देती हैं। उन्होंने बताया कि गर्भस्थ शिशु पर माता की मनः स्थिति, वातावरण, खानपान का प्रभाव पड़ता है, इसके कई उदाहरण भी बताए। बच्चों के खान-पान और आदतों पर खास तवज्जो देने की बात कही। बीएचयू में प्रदेश की मंत्री स्वाति सिंह ने राज्यपाल का स्वागत किया।इसे भी पढ़ें- रेलवे का बड़ा तोहफा, 31 जनवरी तक चलेगी एक और स्पेशल ट्रेन, ये है मैलानी एक्सप्रेस का शेड्यूल
टीबी ग्रसित बच्चों की मदद को आगे आएं उद्यमीराज्यपाल ने साड़ी इंडस्ट्रीज और माइक्रो स्माॅल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज (एमएसएमई) के उद्यमियों से टीबी ग्रसित बच्चों और आंगनबाड़ी केन्द्रों को गोद लेकर समाज का सहयोग करने की अपील की है। कोरोना काल में लोगों के स्वयं आगे आकर मदद करने का जिक्र करते हुए कहा कि पूरे विश्व ने इसे देखा। पूरी दुनिया में हम इसमें सबसे आगे हैं। सर्किट हाउस में उद्यमियों के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि सरकार अपने स्तर पर हर क्षेत्रों में बहुत बड़े पैमाने पर लोगों के जीवन स्तर को सुधारने एवं सामाजिक कार्य कर रही है। लेकिन इस कार्य में समाज के उद्यमियों एवं प्रबुद्ध जनों को भी बढ़ चढ़कर आगे आकर अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को 2025 तक पूरी तरह टीबी मुक्त करने का संकल्प लिया है। चिकित्सा व्यवस्था और लोगों के सहयोग से 2025 तक भारत वास्तव रूप में टीबी मुक्त हो जाएगा।
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मां संस्कारी और सुशील होगी तो बच्चे भी वैसे होंगेउत्तर प्रदेश के लघु एवं सूक्ष्म उद्योग राज्यमंत्री चौधरी उदयभान सिंह ने भी उद्यमियों से टीवी ग्रसित बच्चों एवं आंगनवाड़ी केंद्रों को गोद लेकर अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मां संस्कारी व सुशील होगी तो बच्चे भी वैसे ही होंगे, तो देश भी सशक्त होगा। उन्होंने उद्यमियों का आह्वान करते हुए कहा कि समाज एवं सृष्टि के लिए जीना होगा।