ज्ञानपुर के बाहुबली विजय मिश्रा चार बार से इस सीट पर विधायक है।
मुलायम सिंह यादव के खास माने जाने वाले विजय मिश्रा की पूर्व सीएम
अखिलेश यादव से अच्छे संबंध नहीं है। यूपी चुनाव २०१७ में अखिलेश यादव ने विजय मिश्रा का टिकट काट दिया था जिसके चलते नाराज बाहुबली ने सपा से किनारा करते हुए निषाद पार्टी ज्वाइन कर ली थी और चुनाव जीत कर दिखा दिया था कि पार्टी के सिंबल नहीं अपनी पकड़ के चलते ही वह चुनाव जीतते आये हैं। निषाद पार्टी ने जौनपुर से बाहुबली धनंजय सिंह को भी टिकट दिया था लेकिन वह चुनाव हार गये थे इस तरह बाहुबली विजय मिश्रा अपनी पार्टी के एकमात्र विधायक है। गोरखपुर व फूलपुर संसदीय चुनाव की अधिसूचना जारी होने के पहले तक विजय मिश्रा चाहते थे कि निषाद पार्टी का बीजेपी से गठबंधन हो जाये। इलाहाबाद में केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गड़करी की सभा में भी विजय मिश्रा मौजूद थे उस समय माना जा रहा था कि बीजेपी व निषाद पार्टी में गठजोड़ हो सकता है। निषाद पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव विजय मिश्रा के सारे सपने तब टूट गये जब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा.संजय ने सपा से गठजोड़ करके अपने बेटे प्रवीण को सपा से टिकट दिला दिया। सपा से नाराज चल रहे बाहुबली विजय मिश्रा का अब सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ रहे प्रवीण का चुनाव प्रचार करना संभव नहीं होगा। गोरखपुर संसदीय सीट के उपचुनाव में ब्राह्मण वोटरों की अच्छी संख्या है ऐसे में विजय मिश्रा अपनी पार्टी के लिए बहुत
काम आ सकते हैं, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है।
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मायावती भी नाराज रहती है इसलिए बसपा से गठजोड़ बनता नहीं दिख रहा है। विजय मिश्रा के पास एक विकल्प बीजेपी है, लेकिन बीजेपी में शामिल हो चुके नंद गोपाल नंदी व अन्य नेता ऐसे हैं जो विजय मिश्रा को बीजेपी में शामिल होने नहीं देंगे। ऐसे में बीजेपी ने भी नरम रवैया अपनाया हुआ है। बाहुबली विजय मिश्रा पर सरकारी दबाव नहीं है और वह यूपी सरकार के कार्यक्रम में मंच साझा कर रहे हैं। इससे साफ हो जाता है कि संसदीय चुनाव 2019 को देखते हुए बीजेपी का विजय मिश्रा को लेकर नरम रुख जारी रहेगा।
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