दीपक अग्रवाल- राजस्थान पत्रिका और हमारे इंटेलिजेंस के ज़रिए मुझे गड़बड़ियों के बारे में जानकारी हुई है, ये बेहद अफसोस की बात है, मैंने इस बारे में शासन स्तर पर बात की है।
मंदिर की सुरक्षा को लेकर अलग अलग स्तर पर ज़िम्मेदार अफसरों से इस बारे में मेरी बात बात हुई. मैंने एडिश्नल डायरेक्टर जनरल सिक्योरिटी से आग्रह कर रहा हूं कि वो उच्च अधिकारियों की बैठक बुलाएं जिससे विश्व में बेहद महत्वपूर्ण माने जानेवाले काशी विश्वनाथ मंदिर की सुरक्षा सहित अन्य कमियां फौरन दूर की जा सकें।
दीपक अग्रवाल- ये सही है और निश्चित रूप से मैेने पहले भी कहा है कि पुलिस का रोल डिफाइन होना ही चाहिए। सिक्योरिटी का एंगल तो है लेकिन इसका ये कत्तई मतलबन नहीं कि किसी के साथ किसी प्रकार की अभद्रता की जाए और दूर से आनेवाले लोगों को इस बात का अफसोस हो कि वो यहां क्यों आ गए. मैं दिल्ली से वापस जाते ही पहली प्राथमिकता पर इस विषय को लेने वाला हूं।
दीपक अग्रवाल- जी मैंने पत्रिका में पढ़ा और मैंने एडीजी पुलिस वाराणसी पीवी रामा शास्त्री साहब से अनुरोध किया है कि जो लंबे समय से तैनात हैं उन्हें फौरन हटाया जाए, उनकी जगह नए लोगों को लाया जाए जिससे किसी का भी चाहे वो पुलिस कर्मी हों या मंदिर प्रशासन के लोग वहां वर्चस्व ना बना पाएं।
दीपक अग्रवाल- मुख्य कार्यपाल अधिकारी को कहा है कि दर्शन करवाने का जो सिस्टम है जिम्मेदारी है अब मंदिर प्रशासन देखेगा, पुलिस नहीं. पुलिस सुरक्षा देखेगी. सीईओ काशी विश्वनाथ को कहा है कि मंदिर प्रशासन के लोगों को भी इस बात का निर्देश दें कि किसी भी श्रद्धालु के साथ बदसलूकी की सूरत में कड़ा दण्ड दिया जाए।
दीपक अग्रवाल- बिल्कुल सही कहा आपने, यूनिफॉर्म कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर है, अब जितनी जगह है वो निर्धारित करके उतने ही टिकट काटे जाएंगे. वो ऑनलाइन है, आरती के दौरान ज्यादा लोगों को मंदिर में घुसने नहीं दिया जाएगा।