रोमैन से रामानंद नाथ ने बताया कि भारतीय धर्म व संस्कृति से उनका पहले से ही गहरा जुड़ाव था। छह माह पूर्व ही गुरुदेव से कुएडलिनी जागरण का प्रशिक्षण प्राप्त किया था उसके बाद लगातार अभ्यास कर रहा था जिससे मन को काफी शांति मिली है और शरीर भी पहले से अधिक ऊर्जावान महसूस करता है। वापस जब यहां पर आया तो गुरुजी से दीक्षा देने का अनुरोध किया था और गुरु के आशीर्वाद से उन्हें दीक्षा मिली। आचार्य वागीश शास्त्री ने कहा कि तंत्र और मंत्र दोनों का संजोग करके मंत्र दीक्षा प्रदान की जाती है। वर्षों से पश्चिमी देश के लोग अध्यात्म व शांति की तलाश में मेरे पास आते हैं। प्रभु के आशीर्वाद से ऐसे लोगों को भक्ति मार्ग दिखाता हूं। उन्होंने कहा कि समर्पण और साधना के बिना इस मार्ग पर कोई नहीं चल सकता है। संस्था के सचिव आशपति शास्त्री ने बताया कि गुरुजी से मंत्र शिक्षा व कुण्डलिनी जागरण के लिए लोग लालयित रहते हैं लेकिन जिनका भाग्य होता है उन्हें ही ऐसी दीक्षा मिल पाती है।
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जानिए कैसे दी गयी दीक्षा
दीक्षा देने की प्रक्रिया का आरंभ गणेश-अम्बिका, सत्त घृत मातृका और नवग्रह पूजन के साथ आरंभ किया गया। इसके बाद गुरुपूजन, मंत्र दीक्षा और हवन की पूर्णाहुति दी गयी। इसके बाद ही शिष्य की दीक्षा पूरी हो पायी।
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