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वाराणसी

काशी विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह की बाहरी दीवारों को स्वर्णमंडित करने का काम शुरू, 10 दिन में स्वर्णिम आभा से दमकने लगेगा मंदिर

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह की भीतरी दीवारों को स्वर्णमंडित करने के बाद अब बाहरी दीवारों पर भी सोने के पत्तर लगाने का काम शुरू हो गया है। बताया जा रहा है कि 10 दिन के भीतर गर्भगृह की बाहरी दीवारें भी स्वर्णिम आभा से दमकने लगेंगी। जानकारों की मानें तो मंदिर के दो शिखर को 187 वर्ष पूर्व महाराजा रणजीत सिंह ने स्वर्णमंडित कराया था।

वाराणसीJun 03, 2022 / 10:19 am

Ajay Chaturvedi

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह की बाहरी दीवारों को स्वर्णमंडित करने का काम शुरू

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह की बाहरी दीवारों को स्वर्णमंडित करने का काम शुरू

वाराणसी. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी प्रकरण के बीच मंदिर के गर्भगृह की बाहरी दीवारों को स्वर्णिण आभा से दमकाने का काम शुरू हो गया है। कहा जा रहा है कि 10 दिन के भीतर गर्भगृह की बाहरी दीवारें भी स्वर्णमंडित हो जाएंगी। ये मौका 187 साल बाद आया है। इससे पूर्व महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर के दो शिखरों को स्वर्णमंडित कराया था।
स्वर्ण शिखर से गर्भगृह के द्वार तक की दीवारें होंगी स्वर्ण मंडित

मंदिर प्रशासन के मुताबिक श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के स्वर्ण शिखर से नीचे मंदिर के द्वार तक सोने के पत्तर लगाए जाएंगे। इसमें 24-28 क्विंटल सोना लगने का अनुमान है। यह काम 10 दिन में पूरा हो जाएगा।
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श्री काशी विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह की भीतरी दीवारें फरवरी में ही हो चुकी हैं स्वर्णमंडित
फरवरी में गर्भगृह की भीतरी दीवारों को किया गया था स्वर्णमंडित

बता दें कि इससे पहले इसी साल फरवरी में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह की भीतरी दीवारों को स्वर्ण मंडित किया गया था। उसमें 37 किलो सोना लगा था। यहां ये भी बता दें कि ये सोना एक दक्षिण भारतीय शिवभक्त ने दान दिया था। उसके बाद कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने उस शिवभक्त की प्रार्थना को स्वीकार करते हुए गर्भगृह की भीतरी दीवारों को स्वर्णमंडित कराने की इजाज दी थी। ये भी बता दें कि गर्भगृह की भीतरी दीवारो के स्वर्णमंडित होने के बाद ही बाहरी दीवारों पर सोने का पत्तर लगाने का फैसला हुआ था। बताया गया था कि ये काम अप्रैल में ही आरंभ हो जाएगा।
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गर्भगृह की भीतरी दीवारों पर लगा एक्रेलिक फाइवर
गर्भगृह की जिन भीतरी दीवारों पर फरवारी में सोना मढ़ा गया था उसकी रक्षा के लिए भूतल से आठ फीट की ऊंचाई तक एक्रेलिक शीट लगाई गई है ताकि धुआं आदि से सोने के पत्तरों को कोई नुकसान न पहुंचे। उनकी आभा धूमिल न हो।
मंदिर की चारों चौखट भी होगी स्वर्णमंडित

गर्भगृह की भीतरी और बाहरी दीवारों को स्वर्णमंडित करने के बाद गर्भगृह के चारों द्वार के चौखट पर भी सोने का पत्तर लगाया जाएगा। फिलहाल इन चौखटो पर चांदी का पत्तर चढा है। उसे हटा कर उन्हें स्वर्णमंडित किया जाएगा। इस कार्य के निमित्त सांच तैयार कर लिया गया है।
“मंदिर के गर्भगृह की बाहरी दीवारों को स्वर्णमंडित करने का काम दिल्ली की कंपनी को सौपा गया है। जमीन से आठ फीट की ऊंचाई से शिखर तक सोने का पत्तर लगाया जाएगा। इसके लिए सांचा तैयार करने में ही महीना भर का समय लगा। अब गर्मी के मद्देनजर सुबह-शाम ही काम चलेगा।”– सुनील कुमार वर्मा, मुख्य कार्यपालक अधिकारी

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