बता दें कि वित्तविहीन शिक्षक लगभग दो दशक से भी ज्यादा अवधि से अपने वजूद के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वो खुद के सम्मानजनक वेतनमान, बेहतर सेवा शर्तों की मांग को लेकर पिछले दो साल से आंदोलित हैं। इसके तहत उन्होंने यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा का बहिष्कार किया। मूल्यांकन का बहिष्कार किया। प्रदेश भर में आंदोलन किया। प्रदेश के पदाधिकारियों ने लोकसभा चुनाव से पहले मंडलवार आंदोलन किया। लेकिन सरकार पर कुछ खास फर्क नहीं पडा।
यहां यह भी बता दें कि इन शिक्षकों का कहना है कि उनकी मांग पर पिछली सपा सरकार ने हर महीने एक मानदेय तय भी किया था, जो सरकार से दिया जा रहा था लेकिन सरकार बदलते ही नए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उस मानदेय को भी खत्म कर दिया। इतना ही नहीं पिछले साल इन शिक्षकों पर तीखी टिप्पणी भी कर दी जिससे ये काफी आहत हुए।
ये भी पढें-शिक्षक विधायक ने यूपी सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, कहा न जांचेंगे न जांचने देंगे यूपी बोर्ड परीक्षा की कापियां इसी बीच यूपी बोर्ड परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन से ठीक पहले माध्यमिक शिक्षक संघ (चेतनारायण गुट) के संस्थापक प्रदेश अध्यक्ष व शिक्षक विधायक चेतनारायण सिंह ने मूल्यांकन बहिष्कार की घोषणा की। सिंह के आह्वान पर मूल्याकन बहिष्कार भी हुआ तब उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल को वार्ता के लिए आमंत्रित किया। उस वार्ता में ही वित्तविहीन शिक्षकों के लिए सेवा नियमावली बनाने और अंशकालिक शिक्षकों को पूर्णकालिक का दर्जा देने का निर्णय लिया गया। साथ ही तय हुआ कि इन शिक्षकों को हर महीने 15,000 रुपये मिलेंगे। लेकिन इस राशि का भुगतान कोषागार से न हो कर सरकार प्रबंधकों से दिलवाएगी।
ये भी पढें-वित्त विहीन शिक्षकों की नौकरी अब होगी सुरक्षित, मिलेगा सम्मानजनक मानदेय अब वित्तविहीन शिक्षक ये 15,000 रुपये मासिक के मानदेय का भुगतान सीधे कोषागार से कराने की मांग कर रहे हैं। इसी मांग को लेकर वो आंदोलन करने जा रहे हैं। प्रधानाचार्य महासभा के जिलाध्यक्ष ओम प्रकाश दुबे और शिक्षक महासभा के जिला अध्यक्ष प्रमोद कुमार मिश्र ने वर्तमान सरकार को शिक्षा एवं शिक्षक विरोधी करार दिया है। उनका कहना है कि महासभा के लंबे संघर्षों के बाद सरकार शिक्षक सेवा नियमावली बनाकर अंशकालिक शिक्षकों को पूर्णकालिक का दर्जा दे रही है लेकिन 15000 रुपये का भुगतान कोषागार से न कराकर प्रबंधकों से दिलवाना चाहती है। शिक्षक महासभा इसका विरोध करती है। उन्होने वाराणसी जिले के सभी शिक्षक साथियों और प्रबंधकों से अपील की है कि वो 15 जुलाई 11:30 बजे जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय पर उपस्थित हों। वहां महासभा की ओर से मुख्यमंत्री को संबोधित संबोधित ज्ञापन जिला विद्यालय निरीक्षक वाराणसी को सौंपा जाएगा।