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वाराणसी

इस बार 16 दिन का होगा पितृ पक्ष, सोमवार से आरंभ होगा महालय, जानें किन कारणों से लगता है पितृ दोष

Pitra Paksh 2021 will be of 16 Days Mahalaya Starting from 20 September- सोमवार 20 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहा है। 21 सितंबर की भोर 4:48 बजे लग रही प्रतिपदा इस बार 22 सितंबर की भोर 5:07 बजे तक रहेगी। मान्यता है कि संगम तीरे पिंडदान करने से मृत आत्माओं को पूर्ण शांति मिलती है।

वाराणसीSep 19, 2021 / 01:48 pm

Karishma Lalwani

Pitra Paksh 2021 will be of 16 Days Mahalaya Starting from 20 September

Pitra Paksh 2021 will be of 16 Days Mahalaya Starting from 20 September

वाराणसी. Pitra Paksh 2021 will be of 16 Days Mahalaya Starting from 20 September. सोमवार 20 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहा है। 21 सितंबर की भोर 4:48 बजे लग रही प्रतिपदा इस बार 22 सितंबर की भोर 5:07 बजे तक रहेगी। मान्यता है कि संगम तीरे पिंडदान करने से मृत आत्माओं को पूर्ण शांति मिलती है। पूर्वज अपने वंशजों को उनका मनोवांक्षित फल देते हैं। हिन्दू धर्म में देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण का महत्व है। पितृ पक्ष में माता-पिता के प्रति तर्पण करके श्रद्धा व्यक्त की जाती है। मान्यता है कि बिना पितृ ऋण से मुक्त हुए जीवन को निरर्थक माना जाता है। इस बार पितृ पर 21 को प्रतिपदा, 22 को द्वितीया, 23 को तृतीया, 24 को चतुर्थी, 25 को पंचमी, 26 को षष्ठी, 27 को सप्तमी, 28 को कोई श्राद्ध नहीं होगा। 29 को अष्टमी, 30 को मातृ नवमी, एक अक्तूबर को दशमी, दो को एकादशी, तीन को द्वादशी, चार को त्रयोदशी, पांच को चतुर्दशी और छह अक्तूबर को अमावस्या श्राद्ध के साथ पितृ विसर्जन होगा।
इस कारण लगता है पितृ दोष

काशी के पं. ऋषि नारायण द्विवेदी के अनुसार परिवार में किसी की अकाल मृत्यु, अपने माता-पिता आदि सम्मानीय जनों के अपमान, मरने के बाद माता-पिता का उचित ढंग से क्रियाकर्म और श्राद्ध और उनके निमित्त वार्षिक श्राद्ध आदि न करने से पितृ दोष लगता है। उन्होंने ये भी बताया कि सनातन धर्म में पितरों के प्रति श्रद्धा अर्पित करने के लिए पितृपक्ष महालया की व्यवस्था की गई है। श्राद्ध के 10 प्रकारों में से एक प्रकार को महालया कहा जाता है। पितृ दोष से मुक्ति के लिए हर सनातनी को वर्ष भर में पितरों की मृत्यु तिथि पर जल, तिल, जौ, कुश, पुष्प आदि से उनका श्राद्ध करना चाहिए। गो-ग्रास देकर एक, तीन, पांच ब्राह्मणों को भोजन कराने से पितृगण संतुष्ट होते हैं।
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