वीडिया कांफ्रेंसिंग के दौरान गायत्री परिवार रचनात्मक ट्रस्ट के गंगाधर उपाध्याय, राष्ट्रीय रोटी बैंक की पूनम सिंह, सम्पूर्ण सिन्धी समाज सिगरा के सुरेन्द्र लालवानी, समाजसेवी अनवर अहमद व एचडीएफसी बैंक के मनोज टण्डन प्रधानमंत्री से सीधे संवाद कर अपने अनुभव साझा किया। उन्होंने अखिल भारतीय केशरवानी वैश्य युवक सभा के प्रतिनिधि संदीप केसरी से भी संवाद किया और लॉकडाउन के दौरान किए गए कार्यों की सराहना की।
प्रधानमंत्री ने क्या क्या कहा
ये भगवान शंकर का ही आशीर्वाद है कि कोरोना के इस संकट काल में भी हमारी काशी उम्मीद से भरी हुई है, उत्साह से भरी हुई है।
ये सही है कि लोग बाबा विश्वनाथ धाम नहीं जा पा रहे?
ये सही है कि मानस मंदिर, दुर्गाकुंड, संकटमोचन में सावन का मेला नहीं लग पा रहा है।
लेकिन ये भी सही है कि इस अभूतपूर्व संकट के समय में और मेरी काशी, हमारी काशी ने, इस अभूतपूर्व संकट का जटकर मुकाबला किया है। आज का ये कार्यक्रम भी तो इसी की एक कड़ी ही है।
संक्रमण को रोकने के लिए कौन क्या कदम उठा रहा है, अस्पतालों की स्थिति क्या है, कहां क्या व्यवस्थाएं की जा रही हैं, क्वारंटीन को लेकर क्या हो रहा है, बाहर से आए श्रमिक साथियों के लिए क्या प्रबंध हो रहे हैं, ये सारी जानकारियां मुझे मिल रही थीं
पुरानी मान्यता है कि एक समय महादेव ने खुद मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी।
तभी से काशी पर ये विशेष आशीर्वाद रहा है कि यहां कोई भूखा नहीं सोएगा, मां अन्नपूर्णा और बाबा विश्वनाथ, सबके खाने का इंतज़ाम कर दें।
आप सभी के लिए, तमाम संगठनों के लिए, हम सभी के लिए ये बहुत सौभाग्य की बात है कि इस बार गरीबों की सेवा का माध्यम भगवान ने हमें बनाया।
एक तरह से आप सभी मां अन्नपूर्णा और बाबा विश्वनाथ के दूत बनकर हर ज़रूरतमंद तक पहुंचे।
कम समय में फूड हेल्पलाइन और कम्यूनिटी किचन का व्यापक नेटवर्क तैयार करना, हेल्पलाइन विकसित करना, डेटा साइंस की मदद लेना, वाराणसी स्मार्ट सिटी के कंट्रोल एंड कमांड सेंटर का भरपूर इस्तेमाल करना, यानि हर स्तर पर सभी ने गरीबों की मदद के लिए पूरी क्षमता से काम किया।
मुझे बताया गया है कि जब जिला प्रशासन के पास भोजन बांटने के लिए अपनी गाड़ियां कम पड़ गईं तो डाक विभाग ने खाली पड़ी अपनी पोस्टल वैन इस काम में लगा दीं।
सोचिए, सरकारों की, प्रशासन की छवि तो यही रही है कि पहले हर काम को मना किया जाता है।
जब इस बार महामारी आई, तो सभी भारत को लेकर डरे हुए थे।
इतनी आबादी, इतनी चुनौतियां, बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स निकल आए थे भारत पर सवाल खड़े करने के लिए।
इसमें भी 23-24 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश को लेकर तो शंकाएं-आशंकाएं और भी ज्यादा थीं।
लेकिन आपके सहयोग ने, उत्तर प्रदेश के लोगों के परिश्रम ने, पराक्रम ने सारी आशंकों को ध्वस्त कर दिया।
आज स्थिति ये है कि उत्तर प्रदेश ने न सिर्फ संक्रमण की गति को काबू में किया हुआ है बल्कि जिन्हें कोरोना हुआ है, वो भी तेज़ी से ठीक हो रहे हैं।
इसकी बहुत बड़ी वजह आप सभी लोग हैं।
कबीरदास जी ने कहा है-
“सेवक फल मांगे नहीं, सेब करे दिन रात”
सेवा करने वाला सेवा का फल नहीं मांगता, दिन रात निःस्वार्थ भाव से सेवा करता है!
दूसरों की निस्वार्थ सेवा के हमारे यही संस्कार हैं, जो इस मुश्किल समय में देशवासियों के काम आ रहें है।
इसी भावना के साथ केंद्र सरकार ने भी निरंतर प्रयास किया है, कि कोरोना काल के इस समय में सामान्य जन की पीड़ा को साझा किया जाए, उसको कम किया जाए।
गरीब को राशन मिले, उसकी जेब में कुछ रुपए रहें, उसके पास रोजगार हो और वो अपने काम के लिए ऋण ले सके।
आज भारत में 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है। इसका बहुत बड़ा लाभ बनारस के भी गरीबों को, श्रमिकों को हो रहा है।
आप कल्पना कर सकते हैं कि भारत, अमेरिका से भी दोगुनी आबादी से, एक पैसा लिए बिना उनका भरण-पोषण कर रहा है।
और अब तो इस योजना को नवंबर अंत तक, यानि दीपावली और छठ पूजा तक बढ़ा दिया गया है।
हमारी कोशिश यही है कि किसी गरीब को त्यौहारों के समय में खाने-पीने की कमी ना हो।
खाने के साथ-साथ, लॉकडाउन के कारण गरीब को खाना पकाने के लिए ईंधन की दिक्कत ना हो, इसके लिए उज्जवला योजना के लाभार्थियों को पिछले तीन महीने से मुफ्त गैस सिलेंडर दिया जा रहा है।
जनधन खाते में हजारों करोड़ रुपए जमा कराना हो या फिर गरीबों के, श्रमिकों के रोजगार की चिंता,
छोटे उद्योगों को, रेहड़ी-ठेला लगाने वालों को, आसान ऋण उपलब्ध कराना हो या खेती, पशुपालन, मछलीपालन और दूसरे कामों के लिए ऐतिहासिक फैसले, सरकार ने लगातार काम किया है।
हमारे बुनकर हों, नाव चलाने वाले हमारे साथी हों, व्यापारी-कारोबारी हों, सभी को मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि, हमारा निरंतर प्रयास है कि सभी को कम से कम दिक्कत हो और बनारस भी आगे बढ़ता रह।
इस समय काशी में ही लगभग 8 हज़ार करोड़ रुपए के अलग-अलग प्रोजेक्ट्स पर काम तेज़ी से चल रहा है।
जब स्थितियां सामान्य होंगी तो काशी में पुरानी रौनक भी उतनी ही तेजी से लौटेगी।
इसके लिए हमें अभी से तैयारी करनी होगी।
सरकार के हाल के फैसलों के बाद यहां की साड़ियां, यहां के दूसरे हस्तशिल्प के लिए, यहां के डेयरी, मत्स्य पालन और मधुमखी पालन के व्यवसाय के लिए नई संभावनाओं के द्वार खुलेंगे।
मैं किसानों से, युवा साथियों से भी ये आग्रह करूंगा कि इस प्रकार के व्यवसाय में बढ़चढ़ कर भागीदारी सुनिश्चित करें।
हम सभी के प्रयासों से हमारी काशी भारत के एक बड़े Export Hub के रूप में विकसित होगी।