इन सबके बाद भी जया बच्चन को राज्यसभा भेजने के बाद समाजवादी पार्टी के पास 10 विधायकों के वोट, बसपा के पास 19 विधायकों के, कांग्रेस के पास सात और आरएलडी के पास एक विधायक का वोट था। इधर समाजवादी पार्टी ने चुनाव के पहले अपने वोटों के बिखराव से बचने के लिये सियासी डिनर अखिलेश यादव की मौजूदगी में कर दिया। इसमें चाचा शिवपाल यादव और निर्दलीय विधायक बाहुबली राजा भइया भी शामिल हुए। इधर सपा का डिनर हुआ तो उधर बीजेपी ने भी अपने विधायकों के साथ डिनर किया।
इस रोक के बाद बसपा के पास 19 के बदले अब 18 वोट ही बचे। ऐसे में जहां 37 की गिनती की जा रही थी वहां अब 36 ही बच रहे थे। हालांकि निर्दलीय राजा भइया को लेकर यह आंकड़ा पूरा हो जा रहा था। पर सियासी हलकों में अभी भी यह सवाल है कि राजा भइया सपा के कहने पर बसपा को वोट देंगे या नहीं। इसके पीदे उनकी और बसपा सुप्रीमो मायावती की पुरानी अदावत को भी मद्देनजर रखा जा रहा है। इसके अलावा शिवपाल सिंह यादव के वोट को लेकर भी संशय है। यहां यह भी बता दें कि अखिलेश के डिनर में चार विधायक नहीं पहुंचे थे। उन्हें साधने में सपा तुरंत लग गयी, बावजूद इसके सपा-बसपा का मामला सियासी जानकार अभी भी रिस्क पर ही बता रहे हैं। शायद इसी लिये राजनीतिक गलियारों में गुरुवार की रात कत्ल की रात जैसी कही जा रही है। अब देखना यह होगा कि फूलपुर और गोरखपुर उपचुनाव में बीजेपी को हार का स्वाद चखाने वाला सपा-बसपा गठबंधन जीत का सिलसिला बरकरार रख पाता है। यह जीत गठबंधन और खासतौर से सपा के लिये बेहद जरूरी है, क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों का गठबंधन इसी जीत पर निर्भर होगा।