script3 अगस्त 1991 का वो हत्याकांड, जिससे यूपी की राजनीति में आ गया था भूचाल और अब… | The massacre of August 3 1991 which had created a stir in the politi | Patrika News
वाराणसी

3 अगस्त 1991 का वो हत्याकांड, जिससे यूपी की राजनीति में आ गया था भूचाल और अब…

3 अगस्त 1991 को वाराणसी के चेतगंज थानाक्षेत्र में एक सनसनीखेज घटना ने यूपी की राजनीति में भूचाल ला दिया था। दरअसल, यहां कांग्रेस नेता अवधेश राय की हत्या कर दी गई थी।

वाराणसीJun 05, 2023 / 10:18 pm

Patrika Desk

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3 अगस्त 1991, दिन था शनिवार, वाराणसी के चेतगंज थाना क्षेत्र के लहुराबीर इलाके में रहने वाले कांग्रेस नेता अवधेश राय अपने भाई अजय राय के साथ अपने घर के बाहर खड़े थे। तभी वैन से पहुंचे बदमाशों ने अवधेश को निशाना बनाकर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। वैन सवार बदमाशों ने अवधेश राय की गोली मारकर हत्या कर दी।
मुख्तार के खिलाफ दर्ज की शिकायत

अवधेश के भाई और पूर्व विधायक अजय राय इस घटना को लेकर वाराणसी के चेतगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। अजय राय ने अपने भाई की हत्या का आरोप मुख्तार अंसारी पर लगाया। अवधेश राय हत्याकांड में कुछ और लोगों पर भी आरोप लगाया गया। जिनमें पूर्व विधायक अब्दुल कलाम, भीम सिंह, कमलेश सिंह और राकेश श्रीवास्तव उर्फ राकेश न्यायिक का नाम सामने आता है।
अवधेश हत्याकांड की मुख्य वजह जानते हैं?

अवधेश हत्याकांड का मूल वजह थी चंदासी कोयला मंडी की वसूली और दबंगई। चंदासी कोयला मंडी में मुख्तार अंसारी का एकछत्र राज चलता था। लेकिन अवधेश राय अपनी दबंग छवि के चलते चंदासी कोयला मंडी से लेकर वाराणसी के तमाम बाजार, व्यापारियों से वसूली में मुख्तार अंसारी के लिए रोड़ा बन गए थे।
चंदासी कोयला मंडी पर कब्जे को लेकर ही नंदकिशोर रूंगटा के अपहरण और हत्या का आरोप मुख्तार अंसारी पर लगा था। मुख्तार अंसारी की अवैध वसूली में अवधेश राय रोड़ा बन गए थे और अपनी दबंग छवि के कारण मुख्तार से टक्कर लेने वालों में गिने जाने लगे थे। मुख्तार अंसारी के कई जानने वालों को अवधेश राय ने सरे बाजार जलील किया था। अवधेश राय की हत्या के पीछे भी इसे ही वजह माना जाता है।
मुख्तार ने कोर्ट से केस डायरी करा दी गायब

अवधेश हत्या के मामले में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की तो वहीं अजय राय के मजबूत पक्ष की गवाही को देखते हुए मुख्तार ने दूसरा हथकंडा अपनाया। मुख्तार पर आरोप है कि उसने केस की डायरी को ही गायब करवा दिया। केस का ट्रायल शुरू होने से पहले ही कोर्ट के रिकॉर्ड रूम से ओरिजनल फाइल गायब हो गई। मामले का पता तब चला जब ट्रायल के दौरान केस डायरी की फोटोकॉपी कोर्ट में दाखिल की गई।
CBCID ने की थी जांच

साल 1991 में हुए इस हत्याकांड की जांच CBCID यानी क्राइम-ब्रांच, क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट ने की और चार्जशीट दाखिल दी। दाखिल की गई चार्जशीट के आधार पर ट्रायल शुरू हुआ।
(यह खबर श्रेया पांडेय ने लिखी है। श्रेया पत्रिका यूपी डिजिटल के साथ इंटर्नशिप कर रही हैं)

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