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वाराणसी

Yogi Adityanath government ने खत्म कर दिए 1 लाख से ज्यादा टीचर्स के पद

-Primary education को दुरुस्त करने के लिए चाहिए 8 लाख से ज्यादा शिक्षक-प्राथमिक शिक्षकों ने किया ऐलान, अब होगी आर-पार की लड़ाई-बोले शिक्षक, सरकार पहले मुहैया कराए मूलभूत सुविधाएं
 

वाराणसीOct 03, 2019 / 01:26 pm

Ajay Chaturvedi

सीएम योगी आदित्यनाथ

सीएम योगी आदित्यनाथ

डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदी

वाराणसी. Yogi Adityanath government में Primary education में खत्म हो गए एक लाख से ज्यादा प्रधानाध्यापकों के पद। स्कूलों का हाल ये कि बच्चों को पढाने के लिए शिक्षक ही नहीं हैं, जो हैं उनसे शिक्षा से इतर काम लिए जा रहे हैं। इसके लिए रोजाना नए-नए एप डाउनलोड कराए जा रहे हैं। ऐसा प्राथमिक शिक्षकों का कहना है। उन्होने इन सारी समस्याओं को दूर कराने के लिए अब आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है।
शिक्षकों ने स्कूलो में अध्यापक, प्रधानाध्यापकों के रिक्त पदों को भरने, मूलभूत सुविधाएं मुहैया करने आदि के बाबत सरकार से सीधी लड़ाई का मन बनाया है। इस संबंध में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिनेश चंद्र शर्मा ने प्रदेश भर के शिक्षकों को संघर्ष के लिए तैयार रहने को कहा है। संघ की वाराणसी इकाई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व काशी विद्यापीठ ब्लॉक के अध्यक्ष सनत कुमार सिंह ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि सरकार के स्तर से शिक्षकों पर थोपे जाने वाले नित नए ऐप व हमारे प्रति अविश्वास की भावना को समाप्त करने के लिए समिति ने निम्नवत कदम उठाने का प्रस्ताव पारित किया है।
15 लाख बच्चों के लिए चाहिए 8 लाख से ज्यादा शिक्षक
शिक्षक नेता ने बताया कि मौजूदा हालत यह है कि प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों से 1 लाख 27 हजार 868 प्रधानाध्यापकों के पद समाप्त कर दिए गए। विद्यालयों का संविलियन किया गया। अब स्थिति यह है कि विद्यालयों में कुल 15 लाख 70, 0000 बच्चे अध्ययनरत हैं, जिनके लिए आरटीई के मानक के अनुसार लगभग 60 0000 शिक्षकों की आवश्यकता है जबकि पूरे प्रदेश में लगभग तीन लाख शिक्षक कार्य कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त यदि प्रत्येक विद्यालय में मानक के अनुसार शिक्षकों की व्यवस्था की जाए तो लगभग 8 लाख 70, 000 अध्यापकों की आवश्यकता होगी जोकि बहुत ही कम है। इसके अतिरिक्त इस सरकार के स्तर से शिक्षामित्र पर अत्याचार किया गया उन्हें कहा गया कि वे अयोग्य अध्यापक हैं। क्या यदि वे 10,000 रुपये पा रहे हैं तो योग्य अध्यापक है और जब सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्ति पाकर 35,000 से 40,000 रुपये वेतन के रूप में प्राप्त कर रहे थे तब वे अयोग्य थे। सरकार को हमारे शिक्षामित्रों का सम्मान वापस करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षक समुदाय की सरकार से गुजारिश हैं कि वो पुरानी पेंशन को तत्काल बहाल करने की कार्रवाई करे।
हर विद्यालय में मानक के अनुरूप नियुक्त हों शिक्षक
उन्होंने बताया कि प्राथमिक स्तर पर हर विद्यालय में कम से कम 5 सहायक अध्यापक व एक प्रधानाध्यापक तथा उच्च प्राथमिक स्तर पर 3 सहायक अध्यापक व एक प्रधानाध्यापक की व्यवस्था मिलनी चाहिए। इसके अतिरिक्त विद्यालयों को भौतिक संसाधनों से लैस किया गाना चाहिए, जैसे कि चहारदीवारी, शुद्ध पेयजल, बिजली पंखे व बच्चों के लिए डेक्स-बेंच आदि की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
सरकार अब खोज रही अल्प मानदेय पर शिक्षक
बताया कि सरकार शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए एक नई योजना बना रही है जिसके तहत वह कक्षा 1 से 3 तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए अल्प मानदेय पर शिक्षकों की व्यवस्था करने के बारे में सोच रही है। शिक्षक नेता ने कहा कि संघ ने चेताया है कि किसी भी प्रकार के ऐप को थोपने से पहले ऐप में हमारे द्वारा बताई जा रही कमियों को दूर करते हुए सरकार विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को पूरा करें, विद्यालय के भौतिक संसाधनों को दुरुस्त करें। हमारे शिक्षक जो दूरदराज विद्यालयों में अन्य जनपदों में शिक्षण कार्य कर रहे हैं उन्हें अपने गृह जनपद में घर के निकट नियुक्त किया जाए जिससे वे समय पर विद्यालय में उपस्थित होकर सुचारू रूप से शिक्षण कार्य कर सकें।
शिक्षकों की चेतावनी नहीं करेंगे ये काम

शिक्षक नेता ने बताया कि प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में तय मसौदे के अनुसार सरकार से मांग की गई है कि शिक्षकों से मध्यान भोजन का संचालन ना कराया जाए, ड्रेस वितरण आदि कार्यों से मुक्त किया जाए, जिस प्रकार से सरकार निःशुल्क पाठ्य पुस्तक, जूता मोजा, बैग आदि का वितरण कराती है उसी प्रकार से निःशुल्क ड्रेस तथा स्वेटर का वितरण भी कराए। पुस्तकों को लेने के लिए हमारे अध्यापकों को बीआरसी तक बुलाया जाता है जो कि सर्वथा अनुचित है। प्रत्येक विद्यालय में सरकार को पुस्तक उपलब्ध कराने का उचित कदम उठाना चाहिए। विद्यालयों में मानक के अनुसार शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए तथा एक अनुचर व लिपिक की भी नियुक्ति होनी चाहिए। शिक्षक स्वयं ही विद्यालय का ताला खोलते हैं, कमरों की सफाई करते हैं तथा घंटी बजाते हैं जो सर्वथा अनुचित है।
बीआरसी, एनपीआरसी से देंगे त्यागपत्र

बताया कि संघ के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ दिनेश चंद्र शर्मा ने सभी पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि ऐसे लोग जो बीआरसी अथवा एनपीआरसी का कार्य कर रहे हैं तो तत्काल अपने पद से त्यागपत्र देते हुए विद्यालय की व्यवस्था में संलग्न हो । इसके अतिरिक्त यदि सरकार को हमारे ऊपर कोई भी ऐप थोपना है तो वह पहले हमारे विद्यालय की व्यवस्थाओं को चुस्त दुरुस्त करने हेतु बच्चों को बैठने के लिए डेस्क बेंच बिजली पंखे स्वच्छ पेयजल हेतु समरसेबल पंप व आर.ओ., स्वच्छ शौचालय इत्यादि की व्यवस्था सुदृढ़ करें ,शिक्षकों की पुरानी पेंशन को बहाल करें, पदोन्नति जो काफी दिन से रुकी हुई है उसे तत्काल प्रारंभ करें, राज्य कर्मचारियों की भांति शिक्षकों को भी एसीपी व चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध कराएं, हमारी गर्मी की छुट्टी को समाप्त करते हुए हमें भी राज्य कर्मचारियों की भांति समस्त छुट्टियों के एवज में अर्न लीव प्रदान करे।
जब तक नहीं मिलती सुविधा, अपने निजी मोबाइल फोन का नहीं करेंगे इस्तेमाल
सरकार के प्रति अपना विरोध दर्ज कराने के लिए सर्वप्रथम हमें कई निर्णय लेने पड़ें हैं, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है कि जब तक सरकार हमें सुविधा मुहैया न कराए हम विद्यालय समय में अपने व्यक्तिगत फोन का इस्तेमाल नहीं करेंगे, ना ही हम कोई सेल्फी भेजेंगे, ना मैसेज भेजेंगे और ना ही एमडीएम की कॉल रिसीव करेंगे हम अपने विद्यालय में नियमित समय तक उपस्थित रहते हुए अपने समस्त दायित्वों का निर्वहन करेंगे तथा एम डी एम आदि का अभिलेखीकरण करते रहेंगे। चिकित्सा विभाग द्वारा हमें जो दवा खिलाने का काम दिया जाता है तथा एक मोटी पंजिका पकड़ा दी गई है जिसमें हमें दवा खिलाने के बाद संख्या लिखना है वह कार्य भी हम नहीं करेंगे प्रत्येक विभाग विद्यालय में उपस्थित होकर अपना कार्य स्वयं करें। शिक्षक केवल अपने कार्य व उत्तर दायित्वों का निर्वहन करेगा।
शिक्षक-शिक्षिकाओं को स्कूल तक पहुंचने में हो रही दिक्कतें

कहा कि बहुत से ऐसे विद्यालय हैं जहां पर जाने के लिए कोई साधन नहीं हैं। कहीं नदी है तो कहीं नाले हैं। विद्यालय नाव द्वारा पार करके जाया जाता है जहां पहुंचने के लिए काफी समय लगता है, विद्यालय तक पहुंचने में जहां शिक्षिकाओं को कई साधन बदलने पड़ते हैं 4 से 8 किलोमीटर तक पैदल भी जाना पड़ता है साथ ही रास्ते में शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं के आवागमन के वक्त रेलवे क्रॉसिंग का भी सामना करना पड़ता है जो ट्रेनों के लेट होने से नियमित समय पर खुल नहीं पाते ऐसी स्थिति में हमारे विद्यालय में या उसके निकट शिक्षकों के लिए आवास की व्यवस्था होनी चाहिए ।
10 अक्टूबर को प्रदेश भर में निकाला जाएगा मशाल जुलूस
उन्होंने बताया कि विद्यालयों की मूलभूत सुविधाओं एवं शिक्षक समस्याओं को लेकर 11व12 एवं 13 सितंबर को सभी जनपदों में प्रांतीय अध्यक्ष के निर्देशन में धरना दिया गया लेकिन सरकार का उदासीन रवैया शिक्षकों को वृहद आंदोलन के लिए बाध्य कर रही है। ऐसे में अब 10 अक्टूबर को सभी जिलों में मशाल जुलूस निकालने का निर्णय किया गया है। इसके बाद भी सरकार की ओर से कोई पहल नहीं होती तो 6 नवंबर को शिक्षक महासंघ के बैनर तले लखनऊ में विशाल रैली होगी।

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