शिक्षक नेता ने बताया कि मौजूदा हालत यह है कि प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों से 1 लाख 27 हजार 868 प्रधानाध्यापकों के पद समाप्त कर दिए गए। विद्यालयों का संविलियन किया गया। अब स्थिति यह है कि विद्यालयों में कुल 15 लाख 70, 0000 बच्चे अध्ययनरत हैं, जिनके लिए आरटीई के मानक के अनुसार लगभग 60 0000 शिक्षकों की आवश्यकता है जबकि पूरे प्रदेश में लगभग तीन लाख शिक्षक कार्य कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त यदि प्रत्येक विद्यालय में मानक के अनुसार शिक्षकों की व्यवस्था की जाए तो लगभग 8 लाख 70, 000 अध्यापकों की आवश्यकता होगी जोकि बहुत ही कम है। इसके अतिरिक्त इस सरकार के स्तर से शिक्षामित्र पर अत्याचार किया गया उन्हें कहा गया कि वे अयोग्य अध्यापक हैं। क्या यदि वे 10,000 रुपये पा रहे हैं तो योग्य अध्यापक है और जब सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्ति पाकर 35,000 से 40,000 रुपये वेतन के रूप में प्राप्त कर रहे थे तब वे अयोग्य थे। सरकार को हमारे शिक्षामित्रों का सम्मान वापस करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षक समुदाय की सरकार से गुजारिश हैं कि वो पुरानी पेंशन को तत्काल बहाल करने की कार्रवाई करे।
उन्होंने बताया कि प्राथमिक स्तर पर हर विद्यालय में कम से कम 5 सहायक अध्यापक व एक प्रधानाध्यापक तथा उच्च प्राथमिक स्तर पर 3 सहायक अध्यापक व एक प्रधानाध्यापक की व्यवस्था मिलनी चाहिए। इसके अतिरिक्त विद्यालयों को भौतिक संसाधनों से लैस किया गाना चाहिए, जैसे कि चहारदीवारी, शुद्ध पेयजल, बिजली पंखे व बच्चों के लिए डेक्स-बेंच आदि की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
बताया कि सरकार शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए एक नई योजना बना रही है जिसके तहत वह कक्षा 1 से 3 तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए अल्प मानदेय पर शिक्षकों की व्यवस्था करने के बारे में सोच रही है। शिक्षक नेता ने कहा कि संघ ने चेताया है कि किसी भी प्रकार के ऐप को थोपने से पहले ऐप में हमारे द्वारा बताई जा रही कमियों को दूर करते हुए सरकार विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को पूरा करें, विद्यालय के भौतिक संसाधनों को दुरुस्त करें। हमारे शिक्षक जो दूरदराज विद्यालयों में अन्य जनपदों में शिक्षण कार्य कर रहे हैं उन्हें अपने गृह जनपद में घर के निकट नियुक्त किया जाए जिससे वे समय पर विद्यालय में उपस्थित होकर सुचारू रूप से शिक्षण कार्य कर सकें।
सरकार के प्रति अपना विरोध दर्ज कराने के लिए सर्वप्रथम हमें कई निर्णय लेने पड़ें हैं, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है कि जब तक सरकार हमें सुविधा मुहैया न कराए हम विद्यालय समय में अपने व्यक्तिगत फोन का इस्तेमाल नहीं करेंगे, ना ही हम कोई सेल्फी भेजेंगे, ना मैसेज भेजेंगे और ना ही एमडीएम की कॉल रिसीव करेंगे हम अपने विद्यालय में नियमित समय तक उपस्थित रहते हुए अपने समस्त दायित्वों का निर्वहन करेंगे तथा एम डी एम आदि का अभिलेखीकरण करते रहेंगे। चिकित्सा विभाग द्वारा हमें जो दवा खिलाने का काम दिया जाता है तथा एक मोटी पंजिका पकड़ा दी गई है जिसमें हमें दवा खिलाने के बाद संख्या लिखना है वह कार्य भी हम नहीं करेंगे प्रत्येक विभाग विद्यालय में उपस्थित होकर अपना कार्य स्वयं करें। शिक्षक केवल अपने कार्य व उत्तर दायित्वों का निर्वहन करेगा।
उन्होंने बताया कि विद्यालयों की मूलभूत सुविधाओं एवं शिक्षक समस्याओं को लेकर 11व12 एवं 13 सितंबर को सभी जनपदों में प्रांतीय अध्यक्ष के निर्देशन में धरना दिया गया लेकिन सरकार का उदासीन रवैया शिक्षकों को वृहद आंदोलन के लिए बाध्य कर रही है। ऐसे में अब 10 अक्टूबर को सभी जिलों में मशाल जुलूस निकालने का निर्णय किया गया है। इसके बाद भी सरकार की ओर से कोई पहल नहीं होती तो 6 नवंबर को शिक्षक महासंघ के बैनर तले लखनऊ में विशाल रैली होगी।