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6 माह में 24,000 बच्चों से रेप, अब जल्द होगी ‘सुप्रीम’ सख्ती

6 माह में 24,000 बच्चों से रेप, अब जल्द होगी 'सुप्रीम' सख्ती

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देशभर में 2019 के शुरुआती छह महीनों में ही बच्चों से बलात्कार के 24,000 मामले सामने आने से आहत सीजेआई रंजन गोगोई ने खुद सीजेआइ ने संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील वी.गिरी को न्याय मित्र नियुक्त किया. वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को भी सुनवाई में मदद करने का निर्देश दिया. याचिका की सुनवाई सीजेआइ रंजन गोगोई, जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ करेगी. बलात्कार की घटनाओं की संख्या में फिर से खरनाक वृद्धि के शीर्षक से दर्ज करने का निर्देश दिया. सभी हाईकोर्ट से आंकड़े मंगवाए है. पीठ ने कहा कि मामले में हस्तक्षेप मंजूर नहीं होगा. कोर्ट ने गिरी को कहा कि वे सोमवार को सुझाव दे कि कोर्ट क्या निर्देश जारी कर सकता है.

सीजेआइ गोगोई का बयान
‘राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मीडिया में हालिया रिपोर्टों से जाहिर है कि ऐसे मामलों में दोषियों को सजा दिलाने
कानून लागू करने में विफलता से कानून का डर गायब होता जा रहा है’

बच्चों से रेप के संवेदनशील मामलों में पुलिस की लापरवाही को भी जिम्मेदार बताया गया है. यूपी के 50 फीसदी से ज्यादा यानी 1779 मुकदमों की जांच अभी तक पूरी नहीं हो सकी है. मध्यप्रदेश 2389 मामलों के साथ दूसरे नंबर पर है. लेकिन पुलिस 1841 मामलों में जांच पूरी कर चार्जशीट भी दाखिल कर चुकी है. प्रदेश की निचली अदालतों ने 247 मामलों में ट्रायल भी पूरा कर लिया. केन्द्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय ने 18 राज्यों में 1023 फास्ट ट्रैक कोर्ट खोलने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है . इन्हे स्थापित करने की जिम्मेदारी गृह मंत्रालय के पास होगी. ये अदालतें अगले साल तक काम करना शुरू कर देंगी. इनमें महिला के यौन उत्पीड़न और बाल अपराधों से जुड़े पॉक्सो एक्ट के मामलों की सुनवाई होगी. फिलहाल देश में 664 फास्ट ट्रैक कोर्ट काम कर रही है