11 साल पहले जान गंवाने वाले 216 युवाओं की मौत की जांच रिपोर्ट कभी सामने नहीं आएगी. अब तक सरकार के टिप्पणी से तो ये ही अंदाजा लगाया जा सकता है. सरकार ने मेहरानगढ़ दुखांतिका पर कहा कि रिपोर्ट से कानून-व्यवस्था बिगड़ने का अंदेशा इसलिए चौपड़ा आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं होगी. वही दूसरी ओर राजस्थान हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि रिपोर्ट के कोर्ट के समक्ष सीलबंद लिफाफे में पेश कीजिए. मामले की अगली सुनवाई दो सितंबर को होगी.
बतादे कि रिपोर्ट सार्वजनिक करने को लेकर 2 साल पहले याचिका दायर हुई थी. राज्य सरकार ने केबिनेट सब कमेटी की अनुशंसा के आधार पर रिपोर्ट सार्वजनिक करने से साफ मना कर दिया है. यह रिपोर्ट विधानसभा में भी नहीं रखी जाएगी. इससे पहले भाजपा सरकार के कार्यकाल में गठित केबिनेट सब कमेटी ने भी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करने की अनुशंसा की थी. उसी अनुशंसा पर कांग्रेस सरकार में गठित नई केबिनेट सब कमेटी ने सहमति जताई है.
ऐसे समझे पूरे मामले को
मेहरानगढ़ दुखांतिका
तारीख- 30 सितंबर 2008
हादसा- मेहरानगढ़ स्थित चामुंडा माता मंदिर में भगदड़
त्रासदी- नवरात्र के पहले ही दिन 216 जानें गई
पड़ताल- तत्कालीन बीजेपी सरकार ने अक्टूबर 2008 में जस्टिस चौपड़ा आयोग गठित किया
वजह रिपोर्ट में कैद- आयोग ने 5 मई 2011 को कांग्रेस शासन के दौरान अपनी रिपोर्ट पेश की
जोखिम- पिछले साल बीजेपी सरकार ने कैबिनेट सब कमेटी गठित की
जिसने रिपोर्ट सार्वजनिक करने के जोखिम बताए
अब कांग्रेस ने भी पहली सब कमेटी की सिफारिश पर रजामंदी जताई