मालूम हो कि 24 जनवरी को स्वयं तहसीलदार ने प्राचार्य से दीवार पर पुन: श्लोगन लिखने की बात कही थी, लेकिन प्रबंधन द्वारा अमल नहीं करने के कारण सोमवार को यह स्थिति बनी। जिस पर तहसीलदार ने कॉलेज प्रबंधन को जमकर फटकार लगाई। वहीं विद्यार्थियों के प्रदर्शन के दौरान जब स्टॉफ के लोग प्राचार्य कक्ष का ताला खोलकर पेंट्स लेने पहुंचे, तो विद्यार्थी उग्र हो गए और जोरदार नारेबाजी करते हुए कर्मचारी को ताला खोलने से रोक दिया। जिस पर फिर तहसीलदार ने प्रबंधन को फटकार लगाई और कहा कि वे जैसे-तैसे मामले को संभाल रहे हैं और प्रबंधन लापरवाही पर लापरवाही बरत रहा है। उन्होंने ऐसे में कार्रवाई करने की तक चेतावनी दे डाली।
11 बजे से चल रहे प्रदर्शन के तीन घंटे बाद प्रबंधन ने प्रशासन और पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में छात्रसंघ की दीवार पर पहले सफेद पेंट्स पोता और इसके बाद श्लोगन लिखने की तैयारी शुरु की, तब कहीं जाकर अभाविप के सदस्यों के साथ विद्यार्थियों का आक्रोश कम हुआ और नारेबाजी बंद की। करीब चार घंटे बाद पुलिस और प्रशासन के अधिकारी वापस हुए।
कॉलेज में प्रदर्शन के बाद दोपहर को अभाविप सदस्य विद्यार्थियों के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे और एडीएम एचपी वर्माको ज्ञापन सौंपकर एक हफ्ते में प्राचार्य के निलंबन की मांग की और मांग नहीं माने जाने पर कॉलेज में अनिश्चितकालीन तालाबंदी किए जाने की चेतावनी दी गई। जिस पर एडीएम ने कहा कि कलेक्टर बाहर है उनके आने पर उन्हें मामले की जानकारी दी जाएगी और उचित कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान योगेंद्रसिंह रघुवंशी, विकासखंड संयोजक अभिषेक शर्मा, अमित जोशी, जिला कॉलेज प्रमुख प्रिंस चतुर्वेदी, जिला मीडिया प्रभारी गौरव रघुवंशी, नगर सह मंत्री भूपत धाकड़, जिला छात्रा प्रमुख महिमा दुबे, अर्चना किरार,शिवम रघुवंशी, आकाश वर्मा, आशीष मोहतो, नीरज कुशवाह आदि मौजूद रहे।