scriptफसलें बर्बाद होने के कारण उपज की लागत तक निकालना हुआ मुश्किल | It is difficult to extract the cost of yield due to crop failure | Patrika News
विदिशा

फसलें बर्बाद होने के कारण उपज की लागत तक निकालना हुआ मुश्किल

सर्वे भी अब तक कई गांव में नहीं होने से किसान परेशानमुआवजा के इंतजार में किसान

विदिशाOct 18, 2019 / 11:03 am

Anil kumar soni

आनंदपुर। हार्वेस्टर से कटाई में लग रहा ज्यादा डीजल।

आनंदपुर। हार्वेस्टर से कटाई में लग रहा ज्यादा डीजल।

विदिशा/आनंदपुर @संजय चौरासिया की रिपोर्ट…

विगत दिनों हुई मूसलाधार बारिश के कारण कई किसानों क्षेत्र के अधिकांश किसानों की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई थीं। इस कारण उपज का लागत मूल्य तक कई किसानों को नहीं मिल पा रहा है। वहीं प्रशासनिक अमले के ढिलपुल रवैये का आलम यह है कि अब तक कई गांव में पटवारी सर्वे करने ही नहीं पहुंचे हैं, ऐसे में किसान चारों तरफ से परेशान नजर आ रहे हैं।

मुआवजा कब मिलेगा, कुछ पता नहीं

आनंदपुर के किसान ऊदल बघेल ने बताया कि 15 बीघा जमीन में मात्र सात क्विंटल सोयाबीन निकाला है। ऐसे में लागत मूल्य तक नहीं निकल पा रहा है। मुआवजा कब मिलेगा, कुछ पता नहीं। ऐसे में अगली फसल की बोवनी में समय लग जाएगा। वहीं गांव के लालाराम अहिरवार ने बताया की उन्होंने 10 बीघा खेत में फसल बोवनी की, जिसकी लागत 50 हजार रुपए आई थी और सोयाबीन महज 10 बोरा निकला, जिसको बेचने पर 30 हजार रुपए आए। इस प्रकार फसल की लागत तक नहीं निकल पाई।

 

एक बीघा में 50 से 1000 किलो निकल रहा

इस कारण अगली फसल के लिए कर्ज लेना पड़ेगा। क्षेत्र के किसान दिनेश शर्मा ने बताया की 200 बीघा में सोयाबीन की बोवनी की थी, जिसको कटवाने पर एक बीघा में 50 से 1000 किलो निकल रहा है। जबकि एक बीघा में करीब 30 किलो सोयाबीन से बोवनी की थी। जिसकी उस समय कीमत 1500 रुपये के लगभग थी और 500 रुपये की खाद, 1000 रुपए की दवा और करीब 2000 रुपए हंकाई-जुताई में लगे तथा 2000 रुपए निकलवाई लगती है।

 

लागत भी नहीं निकल रही

इस प्रकार कुल मिलाकर एक बीघा में सोयाबीन की लागत करीब 5 हजार रुपए आई थ। लेकिन फसल कटने पर कम उत्पाद के कारण प्रति बीघा महज दो से तीन हजार रुपए मिल पाए हैं। ऐसे में लागत तक नहीं निकल पाई। सतपाड़ा के किसान बद्री रघुवंशी, बंटी रघुवंशी आदि ने बताया की हमने जो कुछ भी बोया था उसमे से लागत भी नहीं निकल रही।

आनंदपुर। इस तरह पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं सोयाबीन की फसलें।
IMAGE CREDIT: Sanjay chorsiya

सर्वे ही नहीं हुआ, तो कैसे मिले मुआवजा
क्षेत्र के किसानों का कहना है कि कई गांव में अब तक पटवारी सर्वे करने ही नहीं पहुंच सके हैं। ऐसे में कब सर्वे होगा और कब तक मुआवजा मिलेगा यह कुछ तय नहीं हैं। जबकि कई खेतों में अभी भी पानी भरा हुआ है। वहीं जहां सर्वे हुआ, उस पर भी किसान प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं। किसानों का कहना है कि पटवारी मनमाने ढंग से सर्वे कर रहे हैं।

मवेशियों को खिला रहे फसल
फसलें बर्बाद हो जाने के कारण किसान इन फसलों को मवेशियों को खिला रहे हैं। कई किसानों ने तो कटाई ही नहीं कराई। गणेशराम ने बताया कि 40 बीघा में बोई अधिकांश सोयाबीन फसल बर्बाद हो जाने के कारण उन्होंने उसकी कटाई ही नहीं कराई और पूरे खेत को मवेशियों को चरवा दिया।

हार्वेस्टर में लग रहा डीजल अधिक
हार्वेस्टर संचालक जीवन रघुवंशी ने बताया की हार्वेस्टर को 700 रुपए बीघा से चला रहे हैं। लेकिन कुछ किसानों के खेतों में तो बीज ही निकल रहा है, जबकि बारिश अधिक होने से अभी तक खेतों में बतर नहीं होने से हार्वेस्टर अधिक ताकत लेकर चल रहा है। इस कारण डीजल भी अधिक लग रहा है। कुछ किसानों के सोयाबीन की आधी फली तो खेतों में ही गिर जाने से सड़ गई ।

छह बीघा में निकला चार बोरी सोयाबीन
गांव के किसान संदीप राजपूत ने बताया कि उन्होंने छह बीघा में सोयाबीन की कटाई कराई, तो सिर्फ चार बोरी सोयाबीन निकला। अच्छा सोयाबीन होने के बावजूद अच्छे भाव नहीं मिल पा रहे हैं। 3 हजार रुपए के भाव से व्यापारी खरीद रहे हैं। आनंदपुर उपमंडी होने के बाद भी मंडी में भी सही भाव नहीं मिल रहे।


मंडी की जगह निजी ले रहे सोयाबीन
मंडी में 500 बोरी के लगभग सोयाबीन आ रहा है। वहीं किसानों का कहना है कि कुछ व्यापारी मंडी में सोयाबीन लेने की बजाए निजी रूप से सोयाबीन खरीद लेते हैं और मंडी में भी मनमाने। भीलाखेड़ी निवासी किसान नेता लक्ष्मणसिंह बघेल ने बताया कि व्यापारी अपनी मनमर्जी से मंडी की जगह निजी रूप से सोयाबीन खरीद रहे हैं। जिससे किसानों को सही दाम नहीं मिल पा रहे हैं। यही व्यापारी मंडी में जाकर खरीदी सही से करें तो किसानों को उपज का उचित दाम मिले। कई गांव में पहुंचे ही पटवारी किसानों का कहना है कि क्षेत्र के कई गांव ऐसे हैं, जहां पटवारी सर्वे करने ही नहीं पहुंचे हैं।

इनका कहना है
इस बार तेज बारिश से सोयाबीन, उड़द की फसल को बहुत नुकसान हुआ है। सरकार को शीघ्र ही मुआवजा देना चाहिए। हमारी सरकार के दौरान प्राकृतिक आपदा के दौरान किसानों के लिए सरकार ने खजाना खोल दिया था। लेकिन कांग्रेस की इस सरकार में अभी तक ठीक से सर्वे के आंकलन का तक पता नहीं है।
– माखनसिंह जादौन, सदस्य, जिला पंचायत, विदिशा


हमने सभी गांव का सर्वे कराया है, जो गांव सर्वे से छूटे हों, तो उनका भी पटवारी भेजकर सर्वे कराया जाएगा। सरकार जब मुआवजा की राशि भेज देगी, तो तत्काल उसका वितरण शुरु हो जाएगा।
– शैलेंद्र सिंह, एसडीएम, लटेरी

Home / Vidisha / फसलें बर्बाद होने के कारण उपज की लागत तक निकालना हुआ मुश्किल

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो