पितृपक्ष अमावस्या पर ही कई बड़ी दुर्गा प्रतिमाएं स्थापना स्थल पर आ चुकीं थीं। दुर्गानगर की प्रतिमा, जयप्रकाश मंच, क्रांति चौक, बांसकुली की महाकाली सहित अनेक प्रतिमाएं एक दिन पहले ही पंडाल में पहुंच चुकी थीं। जबकि जेल रोड सिंहवाहिनी दरबार की विशाल महाकाली प्रतिमा को सोमवार की देर शाम तक श्रंगारित किया जाता रहा, रात को यह प्रतिमा पंडाल में पहुंची। इसी तरह विजय मंदिर मार्ग, कुम्हारगली आदि की प्रतिमाएं भी रात तक पंडाल में पहुंच सकीं। छोटी प्रतिमाओं को ले जाने का सिलसिला दिन भर चला। कई लोग लोडिंग आटो, ट्रेक्टर ट्रालियों, बाइक और ट्रेनों से भी देवी प्रतिमाओं को ले गए। पूरे माहौल में देवी-देवी की जयकार हो रही थी। देवी प्रतिमा ले जाते लोग उल्लास से परिपूर्ण नाचते हुए जा रहे थे।
——– दस फीट आगे तक दुकानें….. इस बीच नवरात्र आरंभ के दिन बाजार भी खूब व्यस्त रहा। खासकर देवी जी की चुनरी, पूजा सामग्री, नारियल, पुष्प मालाएं और फलाहार का सामान खूब बिका। पूजन सामग्री वालों ने बाजार में दुकानें भी अपनी दुकान से करीब 10 फीट आगे तक लगा रखीं थीं। इससे माधवगंज क्षेत्र, मुख्य बाजार, बांसकुली, तिलक चौक से बांसकुली आदि में खासा जाम और भीड़ रही।
—— मंदिरों में विशेष अनुष्ठान शुरू मंदिरों में विशेष अनुष्ठान शुरू हो गए। दुर्गानगर के ज्वाला देवी दरबार, चिरोल वाली माता के दरबार, चूना गली में सिद्धीदात्री दरबार सहित अनेक मंदिरों में देवी की अखंड ज्योतियां जगमगा उठीं। सुबह से ही देवी मंदिरों में जल अर्पित करने के लिए महिलाओं सहित श्रद्धालु उमड़ पड़े। देवी मंदिर रंगबिरंगी रोशनी से जगमगाते रहे। देर शाम से फिर मंदिरों में देवी दर्शन के लिए भीड़ उमडना शुरू हो गई।
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