यहां आने वाले लोग त्वचा से संबंधित रोगों से छुटकारा पाने के लिए मन्नत मांगते हैं। अपनी मनोकामना को पूरा करने के लिए यहां श्रद्धालु झाड़ू चढ़ाते हैं। मंदिर के पुजारी का इस बारे में कहना है कि ये मंदिर करीब 150 साल पुराना है।
मंदिर में झाड़ू चढ़ाने की इस परंपरा का पालन सदियों से होता आ रहा है। अपनी बात को आगे जारी रखते हुए पुजारी ने आगे कहा कि यहां रोज शिवलिंग पर झाड़ू चढ़ाने के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है।
सोमवार के दिन यहां हजारों की संख्या में लोग झाड़ू चढ़ाने के लिए आते हैं। यहां लोगों की ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से त्वचा की सारी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है। यहां ऐसा करने के पीछे एक बहुत ही दिलचस्प कहानी है।
कहा जाता है कि इस गांव में भिखारीदास नाम का एक बहुत धनी व्यापारी रहता था।भिखारीदास की त्वचा पर काले रंग के धब्बे थे और इससे उसे काफी दर्द भी होता था। इस रोग के उपचार के लिए एक दिन वो एक वैद्य के पास गया। रास्ते में उसे एक आश्रम दिखाई दिया।
भिखारीदास को काफी प्यास लगी थी इसीलिए वो पानी की तलाश में आश्रम की ओर बढ़ा। जैसे ही वो अंदर गया वैसे ही आश्रम की सफाई कर रहे एक साधू के झाड़ू से उसका शरीर स्पर्श हो गया।झाड़ू के छूने मात्र से भिखारीदास के दर्द का निवारण हो गया।
भिखारीदास ने जब महंत से इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि ये भगवान शिव का चमत्कार है और वो उनके बहुत बड़े भक्त है। भिखारीदास ने खुश होकर सोने की अशर्फियों से भरी हुई थैली का भेंट करना चाहा लेकिन महंत ने उसे लेने से इंकार कर दिया।
उन्होंने कहा कि यदि तुम वाकई में कुछ देना चाहते हो तो आश्रम के स्थान पर शिव मंदिर का निर्माण करवा दो। भिखारीदास ने वैसा ही किया। धीरे-धीरे यहां झाड़ू चढ़ाने की मान्यता का प्रचार-प्रसार हो गया जो कि आज भी चलता आ रहा है।
यहां केवल मुरादाबाद से ही नहीं बल्कि आस-पास के जिलों से भी भक्त आते हैं और त्वचा संबंधित समस्या से लेकर अपनी तमाम परेशानियों को दूर करने की मन्नत मांगते हैं।