scriptगर्भावस्था में उच्च रक्तचाप हो सकता है खतरनाक, समय पर लें इलाज | High blood pressure in pregnancy can be dangerous | Patrika News
महिला स्वास्थ्य

गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप हो सकता है खतरनाक, समय पर लें इलाज

High blood pressure in pregnancy: गर्भावस्था में कई शारीरिक बदलावों के चलते हाइ बीपी भी होता है। इस दौरान रक्तचाप का बढऩा खतरे का निशान है। यह मां व गर्भस्थ शिशु के लिए जानलेवा हो सकता है। इसलिए प्रेग्नेंसी में समय-समय पर रक्तचाप की जांच अवश्य करवाएं। प्रेग्नेंसी इंड्यूस हाइपरटेंशन (पीआइएच) यानी गर्भावधि उच्चरक्तचाप की 14 में से एक गर्भवती को आशंका रहती है। ऐसा अक्सर 20 सप्ताह की प्रेग्नेंसी के बाद हो सकता है। सामान्य रूप से स्वस्थ व्यक्ति में सिस्टोलिक रक्तचाप 120 एमएम और डायस्टोलिक रक्तचाप 80 एमएम होता है।

जयपुरAug 09, 2023 / 05:25 pm

Jyoti Kumar

high_bp_in_pregnancy.jpg

High blood pressure in pregnancy: गर्भावस्था में कई शारीरिक बदलावों के चलते हाइ बीपी भी होता है। इस दौरान रक्तचाप का बढऩा खतरे का निशान है। यह मां व गर्भस्थ शिशु के लिए जानलेवा हो सकता है। इसलिए प्रेग्नेंसी में समय-समय पर रक्तचाप की जांच अवश्य करवाएं। प्रेग्नेंसी इंड्यूस हाइपरटेंशन (पीआइएच) यानी गर्भावधि उच्चरक्तचाप की 14 में से एक गर्भवती को आशंका रहती है। ऐसा अक्सर 20 सप्ताह की प्रेग्नेंसी के बाद हो सकता है। सामान्य रूप से स्वस्थ व्यक्ति में सिस्टोलिक रक्तचाप 120 एमएम और डायस्टोलिक रक्तचाप 80 एमएम होता है।


यह भी पढ़ें

Silent killers diseases: ये 7 बीमारियां हैं ‘साइलेंट किलर’, पता चलने से पहले मौत के मुंह में चला जाता है इंसान



ऐसे समझें
गर्भावस्था के समय सिस्टोलिक रक्तचाप 140 एमएम और डायस्टोलिक रक्तचाप 90 से ज्यादा हो तो यह स्थिति हाइ बीपी कहलाती है। जब डायस्टोलिक रक्तचाप 100 एमएम तक रहे तो यह मॉडरेट हाइ बीपी और जब यह 110 एमएम से ज्यादा हो जाता है तो गंभीर हाइ बीपी होता है।

 

ऐसे होता है डायग्नोसिस
गर्भावस्था के दौरान नियमित रक्तचाप, वजन एवं यूरिन में प्रोटीन की जांच एवं कुछ खास जांचे भी करवाई जाती हैं। गर्भस्थ शिशु की हार्ट रेट मॉनिटर के लिए स्पेशल सोनोग्राफी की जाती है।

यह भी पढ़ें

Home Remedies for Eye Flu: 24 घंटे में ठीक हो जाएगा आई फ्लू, घर मौजूद इन चीजों से धो लें आंखें


ये लक्षण दिखें तो…
वजन जल्दी (5 दिन में 2.5 किग्रा तक) बढऩा, पैर, चेहरे व उंगलियों पर सूजन, हाथ-पैरों में सुन्नता, कानों में घंटियों की आवाज आना, पेटदर्द, धुंधला दिखना, शिशु की गतिशीलता कम महसूस होना व रक्तस्त्राव।

 

bp_in_pregnancy.jpg

इसलिए होता है पीआइएच
गर्भावस्था में रक्तचाप के कारणों को लेकर वैज्ञानिकों के अलग-अलग मत हैं। काफी हद तक यह वंशानुगत समस्या होती है। कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार, यह समस्या शरीर में कैल्शियम की कमी या रासायनिक स्राव में परिवर्तन होने से भी हो सकती है। ऐसे भी पहचानें प्रेग्नेंसी में हाइ बीपी: हाथ-पैरों में सूजन, पेशाब में एल्बुमिन प्रोटीन निकलना आदि स्थितियां होना प्री एक्लैम्पसिया कहलाती है।

 

यह भी पढ़ें

अगर आप भी पहनते हैं टाइट जींस तो हो जाएं सावधान, 6 बीमारियां बना सकती है अपना शिकार



ये है बचाव व उपचार
नियमित चेकअप करवाएं। कोई लक्षण दिखे तो अनदेखी न करें।
बाईं करवट लेकर आराम करें।
डॉक्टरी परामर्श के अनुसार रक्तचाप नियंत्रित करने वाली दवाइयां लें।
गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए हर 3 सप्ताह में अल्ट्रासाउंड और गर्भवती के रक्त की जांचें करवाएं।
रक्तचाप सामान्य होने तक वजन जांचें।
हर दूसरे दिन पेशाब में प्रोटीन और हर 4 घंटे पर रक्तचाप की जांच करवाएं।
पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, कैल्शियम का सेवन करें।

 

डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।

 

Home / Health / Women Health / गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप हो सकता है खतरनाक, समय पर लें इलाज

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो