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नेताओं के लिए भी हो शैक्षणिक योग्यता

आज के दौर में हर क्षेत्र में शिक्षा का महत्व है, राजनीति में नेताओं के लिए शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य की जानी चाहिए।

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Jameel Ahmed Khan

Jun 20, 2018

politicians educational qualification

Politicians Education Qualification

आज के दौर में हर क्षेत्र में शिक्षा का महत्व है, राजनीति में नेताओं के लिए शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य की जानी चाहिए। खास तौर से उनके लिए जिन्हें मंत्रिमंडल में जगह दी जाने वाली हो। हाल ही में जब कर्नाटक में ८वीं पास एमएलए को मंत्री बनाया गया है तो नेताओं की शिक्षा को लेकर कई सवाल खड़े हुए हैं। ऐसे नेता अपने प्रदेश में शिक्षा के उन्नयन के लिए क्या कर पाएंगे। हालांकि इस देश में तो निरक्षर भी मंत्री व मुख्यमंत्री पद पर पहुंच गए हैं।

यह देश का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि नीतियां बनानी की जिन पर जिम्मेदारी है उनके लिए ही शिक्षा की न्यूनतम योग्यता की पाबंदी नहीं। जबकि आम आदमी पर शिक्षा को लेकर दुनिया भर की बाध्यता थोपी जा रही है। जब- तब नेताओं की शैक्षणिक योग्यता भी विवादों में आती रहती है। कभी कोई प्रधानमंत्री की डिग्री पर सवाल उठाता है तो कभी किसी मंत्री की पर।आज जब देश में नई शिक्षा नीतियां बनाई जा रही है तब नेताओं की शिक्षा को लेकर भी सवाल उठने ही चाहिये।य ह विडम्बना ही है कि हमारे संविधान में एमएलए और एमपी के लिए कोई न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता तय नही की गई हैं बल्कि केेेेवल अनुुुभव को तरजीह दी गई है।

आज जब चपरासी से लेकर अफसर तक के लिए शैक्षणिक योग्यता तय है तब नेताओं के लिए उच्च शिक्षा की अनिवार्य योग्यता होनी ही चाहीये क्योंकि ये ही नियम कायदे बनाते हैं और देश को चलाते हैं।उ च्च शिक्षित नेता ही सही अर्थ में सार्थक नीतियाँ बना सकते है और समाज को सही दिशा दे सकते है।अगर राजनीती में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता तय की जाए तो इससे न केवल राजनीति में शिक्षित बुद्धिजीवी वर्ग बल्कि योग्य,उच्च शिक्षित युवा भी आगे आएंगे जिससे देश के विकास में भी ब?ा योगदान हो सकेगा।

होना तो यह चाहिए सरपंच से लेकर सांसद तक के चुनाव में खड़े होने के लिए न्यूनतम योग्यता कम से कम स्नातक रखी जाए। मंत्री भी उनको ही बनाया जाए जो संबंधित विषय में दक्षता रखते हों। अब यदि किसी डॉक्टर को कृषि मंत्री और किसी किसान को शिक्षा मंत्री बना दिया जाए तो काम कैसे चलेगा? आज जब हम हर क्षेत्र में शिक्षा की अनिवार्यता की बात करते हैं तो राजनीति के क्षेत्र को इससे अछूता रखना कतई उचित नहीं कहा जा सकता।

विमला एन.बारहठ