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संघर्ष से ही समझा जा सकता है सफलता और जिंंदगी का मतलब

कुछ बाते ऐसी होती हैं जो दिल पर लग जाती है और उसकी टीस उम्र भर नहीं जाती।

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Jameel Ahmed Khan

Nov 12, 2017

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लहरों को खामोश देखकर ये न समझना कि समंदर में रवानी नही है, हम जब भी उठेंगे तूफान बन कर उठेंगे, बस उठने की अभी ठानी नही है।

कुछ बाते ऐसी होती हैं जो दिल पर लग जाती है और उसकी टीस उम्र भर नहीं जाती। अक्सर दिल पर जब कोई बात चुभती है तो इससे व्यक्ति खुद को अपमानित महसूस करता है और कुछ लोग इस अपमान का बदला लेने के लिए खुद को साबित करने में अपनी जिंदगी लगा देते हैं।


गोविंद जायसवाल उन्हीं में से एक हैं। बचपन से ही गोविंद ये सुनकर बड़े हुए थे कि एक रिक्शेवाला अपने बेटे को IAS कैसे बना सकता है। अपने पिता के लिए ऐसे शब्द गोविंद को तीर की तरह चुभते थे। उन्हें अपने पिता का संघर्ष और लोगों को मजाक उड़ाना बहुत बुरा लगता था। यह सब देखकर उन्होंने अपने मन मे ठान लिया था कि वह अपने परिवार को अब एक सम्मानजनक जीवन देंगे। मुश्किल ये थी कि एक कमरे के मकान में पूरा परिवार रहता था। ऐसे में सिविल सर्विसेज के तैयारी करना बहुत मुश्किल था। लेकिन गोविंद रात-रात भर जागकर पढ़ते थे। वहीं घर वालों की भी जिद थी कि वो गोविंद को ढ्ढ्रस् बनाकर ही मानेंगे।

गोविंद की पढ़ाई के लिए उनके पिता ने अपनी पुश्तैनी जमीन 30000 रुपए में बेच दी थी। लेकिन इससे भी उनका काम नहीं चला तो गोविंद पार्ट टाइम कुछ बच्चों को मैथ का ट्यूशन देने लगे। गोविंद ने सोच लिया था कि एक दिन वो कुछ ऐसा करेंगे कि लोगों को इसी रिक्शेवाले के बेटे पर गर्व हो। साल 2006 गोविंद ने पहली बार IAS की परीक्षा दी।

अपने पहले ही प्रयास में गोविंद जायसवाल ने IAS परीक्षा में 48 वां रैंक हासिल किया था। हिंदी माध्यम से परीक्षा देने वालों की श्रेणी में वह टॉपर रहे थे। 32 साल के गोविंद फिलहाल ईस्ट दिल्ली एरिया के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट हैं। अपने संघर्ष के दिनों के बारे में उनका कहना है कि अगर वो बुरे दिन नहीं होते तो वह सफलता और जिंदगी का मतलब कभी समझ नहीं पाते। तो दोस्तो जिंदगी का दूसरा नाम ही संघर्ष है, सफलता उनको मिलती है जिन्होंने संघर्ष किया कभी हार नही मानी। रात ढलने के बाद ही तो सवेरा होता है, क्या हुआ अगर आज जिंदगी आपके अनुकूल नही, बस डटे रहिये, हार मत मानिए, यकीन मानिए सफलता स्वयं आपके कदम चूमेगी।

डॉ शिल्पा जैन सुराणा