
Hindi
किसी भी देश के विकास में भाषा का महत्वपूर्ण योगदान होता है। भारत की जनभाषा हिंदी का भी इस दृष्टि से योगदान अक्षुण्ण है। हिंदी में भारत अभिव्यक्त होता है। हिंदी दिवस हमारे लिए हिंदी की दशा और दिशा को लेकर चिंता करने का दिन न होकर गौरवान्वित होने का दिन है क्योंकि अब हिंदी अपनी वैश्विक पहचान बना चुकी है। इस वैश्विक पहचान के पीछे हर हिन्दी उपयोगकर्ता का योगदान है क्योंकि वह पूरे सम्मान के साथ इसका उपयोग करता है।
सोशल मीडिया पर आज यह अपनी विशिष्ट पहचान के साथ छायी हुई है। इसके उल्लास का व्याकरण इस कदर जनमानस पर हावी है कि अब इसे लेकर कमतर महसूस करने की भावना देश की नयी पीढ़ी में नहीं दिखाई देती। आज हिंदी कविताओँ और उपन्यासों को लेकर हिंदी के पाठकों की हो रही सतत वृद्धि इस की रोचकता को स्वयं सिद्ध करती है। हिंदी का एक-.एक शब्द हमें हमारी संस्कृति से परिचित कराता है।
हमारे मनोभाव सबसे सटीक हिंदी में ही अभिव्यक्त होते हैं। सर्वाधिक जुड़ाव और आत्मीयता-ए-सलिल की तरह प्रवाहित होती हिंदी में ही महसूस की जा सकती है और यह बात अब नयी पीढ़ी भी समझ चुकी है । यही कारण है कि हिंदी के प्रति एक उत्साह और सम्मान अब नयी पीढ़ी में भी दिखाई देता है।भले ही कुछ लोग हिंदी दिवस को खानापूर्ति का दिन माने पर हिंदी दिवस महज़ एक खानापूर्ति ना होकर अब एक सूत्र में जोडऩे वाला दिन बन रहा है।
अनेक बोलियों और लोक शब्दों को समावेशित करती हुई हिंदी अब संयोजक और सम्पर्क भाषा की भूमिका में भी दिखाई दे रही है। हिन्दी के इस उत्साहवर्धक प्रसार से हम भावात्मक एकीकरण की और बढ़ रहे हैं जो किसी भी राष्ट्र की प्राथमिक आवश्यकता है। देश के अनेक राज्यों के साथ-साथ दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोद संगठन (दक्षेस) के देशों में भी यह सम्पर्कभाषा का काम कर रही है और इस तरह यह अपनी वैश्विक पहचान में भी इजाफा कर रही है।
डॉ विमलेश शर्मा
Published on:
14 Sept 2017 06:24 pm
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